दीपेश शाह (ED, IFSCA), रेवती कस्तुरे (सीईओ, CareEdge Global IFSC), तुषार सचदे (पार्टनर, PwC) और वी. बालासुब्रमण्यम (एमडी और सीईओ, NSE इंटरनेशनल एक्सचेंज) | फोटो: कमलेश पेडनेकर
भारत ने GIFT City (गुजरात इंटरनेशनल फाइनेंस टेक-सिटी) इसलिए बनाई थी ताकि यह दुबई या सिंगापुर की तरह एक बड़ा वित्तीय केंद्र (financial hub) बन सके। अब सवाल है। क्या यह सपना सच हो रहा है? बिज़नेस स्टैंडर्ड BFSI समिट 2025 में कई विशेषज्ञों ने बताया कि GIFT City कितनी आगे बढ़ चुकी है और आने वाले समय में इसकी क्या संभावनाएं हैं।
IFSCA के ED दीपेश शाह ने कहा, “GIFT City अब बहुत तेजी से आगे बढ़ रही है। अभी तक 1,000 से ज्यादा कंपनियां यहां रजिस्टर हो चुकी हैं। कुछ साल पहले यह संख्या सिर्फ 129 थी। यानी, सिर्फ 3–4 साल में यह आठ गुना बढ़ गई है।” शाह ने बताया कि पहले भारत के ज्यादातर बैंक लोन विदेशों से आते थे, लेकिन अब GIFT City से ही $100 बिलियन से ज्यादा बैंकिंग कारोबार हो रहा है। उन्होंने कहा, “पहले यह आंकड़ा लगभग शून्य (0) था, लेकिन अब भारत खुद अपना फाइनेंशियल सेंटर बन गया है।”
दीपेश शाह ने कहा कि अब GIFT City में लगभग 35 तरह के बिजनेस सेक्टर काम कर रहे हैं। इनमें फिनटेक कंपनियां, निवेश फंड, विदेशी यूनिवर्सिटी और अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थान शामिल हैं। उन्होंने बताया कि GIFT के स्टॉक एक्सचेंज पर हर महीने लगभग $103 बिलियन का कारोबार होता है। शाह ने कहा कि यह दिखाता है कि GIFT City बहुत तेजी से बढ़ रही है और दुनिया भर के निवेशकों को आकर्षित कर रही है।
NSE इंटरनेशनल एक्सचेंज के एमडी और सीईओ वी. बालासुब्रमण्यम ने बताया कि MSC इंटरनेशनल, जो NSE की एकमात्र सहायक कंपनी है, अब 99% से ज्यादा मार्केट शेयर पर काबिज है। उन्होंने कहा कि डेरिवेटिव ट्रेडिंग और ओपन इंटरेस्ट दोनों में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है। उन्होंने बताया कि GIFT City में ओपन इंटरेस्ट अब $22 बिलियन तक पहुंच गया है। जो इस बात का सबूत है कि मार्केट अब ज्यादा मजबूत और लिक्विड हो गया है।
बालासुब्रमण्यम ने कहा, “ओपन इंटरेस्ट के मामले में NSE अब भारत से 4–5 गुना आगे निकल गया है।”
CareEdge Global IFSC की सीईओ रेवती कस्तुरे ने कहा कि अगर किसी जगह को असली फाइनेंशियल हब बनना है, तो वहां सिर्फ बैंक और निवेशक ही नहीं, बल्कि एक भरोसेमंद रेटिंग एजेंसी का होना भी जरूरी है। उन्होंने कहा, “GIFT City में रेटिंग एजेंसी का होना बहुत जरूरी है, ताकि पूरा वित्तीय सिस्टम मजबूत और भरोसेमंद बन सके।” कस्तुरे ने आगे कहा, “अब तक रेटिंग एजेंसियों पर अमेरिका का दबदबा रहा है, लेकिन अब भारत जैसी बड़ी अर्थव्यवस्था को अपनी ग्लोबल रेटिंग एजेंसी खड़ी करनी चाहिए।”
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PwC के पार्टनर तुषार सचदे ने कहा कि GIFT City में कारोबार करने वाली कंपनियों को लंबे समय की टैक्स स्थिरता और टैक्स में राहत मिलनी चाहिए। उन्होंने सुझाव दिया, “अगर कंपनियों को 15 से 20 साल तक टैक्स छूट (Tax Holiday) दी जाए, तो इससे लंबे समय के निवेश को बढ़ावा मिलेगा और बिजनेस में स्थिरता भी आएगी।”