जीक्वांट्स के फाउंडर शंकर शर्मा शुक्रवार (31 अक्टूबर) को मुंबई में बिज़नेस स्टैंडर्ड BFSI इनसाइट समिट में बोलते हुए। | फोटो: कमलेश पेडनेकर
भारत के फाइनैंशल मार्केट आने वाले वर्षों में असाधारण रिटर्न दिखा सकते हैं क्योंकि टेक्नोलॉजी आधारित सेक्टर निवेश के परिदृश्य को तेजी से बदल रहे हैं। दिग्गज निवेशक और GQuants के फाउंडर शंकर शर्मा ने शुक्रवार को बिज़नेस स्टैंडर्ड BFSI इनसाइट समिट 2025 में यह बात कही।
“Investing in financial markets in an AI-driven world” विषय पर ए.के. भट्टाचार्य के साथ बातचीत में शर्मा ने कहा कि भारत का इक्विटी मार्केट अभी भी सर्विसेज पर केंद्रित है, लेकिन बाजार की संरचना अभी तक टेक्नोलॉजी के बढ़ते दबदबे को सही तरीके से नहीं दर्शाती है। उन्होंने कहा कि हमारा बाजार सर्विसेज पर आधारित है, जबकि टेक्नोलॉजी का हिस्सा लगभग शून्य है। यह असंतुलन ज्यादा समय तक नहीं टिक सकता। इसमें बदलाव आना ही होगा।
शंकर शर्मा ने आईटी सर्विसेज और असली टेक्नोलॉजी कंपनियों के बीच फर्क बताया। उन्होंने कहा कि TCS और Infosys जैसी कंपनियां “कोर टेक” यानी मूल टेक्नोलॉजी कंपनियां नहीं हैं। उनका मानना है कि भारत के बाजार में असली टेक्नोलॉजी कंपनियों की कमी है, जिसके चलते निफ्टी जैसे इंडेक्स ग्लोबल टेक सेक्टर की असली ग्रोथ क्षमता को नहीं दिखा पा रहे हैं।
उन्होंने यह भी कहा कि भारत के इक्विटी इंडेक्स इसलिए पिछड़ रहे हैं क्योंकि इनमें वास्तविक टेक्नोलॉजी कंपनियां शामिल नहीं हैं। सीमेंट और स्टील की कहानियां अब बीते जमाने की बात हो चुकी हैं। अब असली दांव टेक्नोलॉजी पर होगा। हां, इसमें जोखिम जरूर है, लेकिन वहीं से असाधारण (asymmetrical) रिटर्न मिलेंगे।
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) ने उनकी निवेश सोच को कैसे प्रभावित किया है, इस पर शर्मा ने कहा कि अब उनकी पोर्टफोलियो रणनीति पारंपरिक तरीकों से हटकर 80–90% डेटा और AI-आधारित हो गई है। AI ने उन्हें निवेश के अवसरों का दायरा बढ़ाने और एक साथ कई छोटे-बड़े दांव लगाने की क्षमता दी है।
उन्होंने कहा, ”पहले मैं कुछ बड़े दांव लगाता था, लेकिन अब AI की वजह से मैं बहुत सारे छोटे दांव और कुछ बड़े दांव एक साथ ले सकता हूं। मैंने AI के जरिए अपने निवेश में ‘ऑप्शनैलिटी’ बना लिया है।”
हालांकि शर्मा ने चेतावनी दी कि AI पर अति-निर्भरता खतरनाक हो सकती है। खासकर उन क्षेत्रों में जहां मानवीय विवेक और निर्णय क्षमता की जरूरत होती है।
उन्होंने कहा, “AI आपकी मूल प्रकृति को नहीं बदल सकता। लेकिन इसका ज्यादा इस्तेमाल जोखिमभरा है। आपको AI से यह उम्मीद नहीं करनी चाहिए कि वह आपको बताए कि आप सही हैं। अगर आप असहमति में विश्वास रखते हैं, तो आपको हर चीज पर सवाल उठाना होगा- खुद पर भी।”
फाइनैंशल सेक्टर पर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के बड़े पैमाने पर होने वाले असर पर शंकर शर्मा ने कहा कि अभी यह कहना जल्दबाजी होगी कि AI इस इंडस्ट्री को पूरी तरह बदल देगा।
उन्होंने कहा, “AI अभी बहुत नया है, इसलिए इसके बारे में कोई ठोस नतीजा निकालना मुश्किल है। खुद AI को नहीं पता कि वह पांच साल बाद कहां होगा। यह कोई जादुई समाधान नहीं है, जिसकी हर इंडस्ट्री तलाश कर रही हो। यह अभी बहुत अधूरा और अपूर्ण है।
वैश्विक बाजारों पर बात करते हुए शर्मा ने मौजूदा समय को “असाधारण रिटर्न का दौर” बताया। उन्होंने कहा, “ग्लोबल मार्केट्स में रिटर्न चार्ट से बाहर हैं। एक वैश्विक निवेशक के रूप में यह मेरे जीवन का सबसे बेहतरीन साल रहा है।”
उन्होंने अमेरिका में राजकोषीय अनुशासन (fiscal responsibility) की दिशा में बदलाव का स्वागत किया और कहा कि यह लॉन्ग टर्म में बाजारों को मजबूत करेगा। उन्होंने कहा कि टैरिफ (आयात शुल्क) हमेशा बुरे नहीं होते। लंबे समय में यह अमेरिका को फाइनैंशली ज्यादा जिम्मेदार बनाएंगे।
शंकर शर्मा ने तेल और अन्य कमोडिटीज को लेकर सकारात्मक रुख जताया, लेकिन कहा कि कच्चे तेल की ऊंची कीमतें ग्लोबल ग्रोथ के लिए नुकसानदायक होती हैं।
Also Read | Q2 Results: मारुति सुजुकी का मुनाफा 8% बढ़कर ₹3349 करोड़ हुआ, रेवेन्यू में भी इजाफा
उन्होंने कहा, “उच्च तेल कीमतें किसी के हित में नहीं हैं। दुनिया को बुल मार्केट्स पसंद हैं, लेकिन हमें तेल में बुल मार्केट पसंद नहीं है।” शर्मा ने यह भी जोड़ा कि फिलहाल चल रहा कच्चे तेल का ‘बेयर मार्केट’ (मंदी का दौर) उपभोक्ताओं और आर्थिक विकास- दोनों के लिए फायदेमंद है।
एसेट एलोकेशन को लेकर शर्मा ने निवेशकों को सलाह दी कि वे सिर्फ इक्विटी पर निर्भर न रहें। उन्होंने कहा, “अगर आप वास्तव में सुरक्षित निवेशक बनना चाहते हैं, तो आपकी पूरी पूंजी सिर्फ शेयर बाजार में नहीं होनी चाहिए। इक्विटी आपके पोर्टफोलियो का 30% से ज्यादा हिस्सा नहीं होना चाहिए।”
अंत में उन्होंने कहा कि AI और टेक्नोलॉजी भले ही बाजार की अगली ग्रोथ वेव तय करें, लेकिन संतुलित विविधता (diversification) और विपरीत सोच (contrarian thinking) ही निवेशकों को उतार-चढ़ाव भरे बाजार में सफल बनाएगी।