BFSI Summit: निवेशकों को अपनी उम्मीदें सीमित रखनी चाहिए और सतर्क रहना चाहिए। वैश्विक वैल्यूएशन, खासकर अमेरिकी टेक्नोलॉजी शेयरों में, अब भी ऊंचे हैं। यह सलाह शीर्ष म्यूचुअल फंड विशेषज्ञों ने शुक्रवार को मुंबई में आयोजित बिजनेस स्टैंडर्ड बीएफएसआई इनसाइट समिट 2025 में दी।
‘वन ईयर ऑफ पुअर रिटर्न्स: डज़ इट मैटर?’ शीर्षक वाले पैनल डिस्कशन में कई शीर्ष फंड मैनेजर शामिल हुए। आईसीआईसीआई एएमसी के एस. नारन, पीपीएफएएस एएमसी के राजीव ठक्कर, निप्पॉन एएमसी के शैलेश राज भान, आदित्य बिड़ला सन लाइफ एएमसी के महेश पाटिल और एसबीआई एएमसी के राजीव राधाकृष्णन ने इसमें हिस्सा लिया। उन्होंने बाजार की अस्थिरता, भारत के कमजोर प्रदर्शन और इक्विटी व डेब्ट बाजारों के दृष्टिकोण पर चर्चा की।
महेश पाटिल ने कहा कि भारत के कमजोर प्रदर्शन की वजह धीमी आय वृद्धि और सख्त नीतियां हैं। उनके मुताबिक, भारतीय बाजारों का वैल्यूएशन अन्य उभरते बाजारों की तुलना में पहले ही चरम पर था। कंपनियों की सितंबर तिमाही में इनकम ग्रोथ सिंगल डिजिट तक सीमित रही। राजकोषीय और मौद्रिक नीतियों की सख्ती ने दबाव और बढ़ा दिया।
महेश पाटिल ने कहा कि भारत के कमजोर प्रदर्शन की वजह धीमी आय वृद्धि और सख्त नीतियां हैं। उनके मुताबिक, भारतीय शेयर बाजार का वैल्यूएशन अन्य उभरते बाजारों की तुलना में पहले ही चरम पर था। कॉर्पोरेट आय वृद्धि सिंगल डिजिट तक सीमित रही। राजकोषीय और मौद्रिक नीतियों की सख्ती ने दबाव और बढ़ा दिया।
राजीव ठक्कर ने निवेशकों को असामान्य रिटर्न की उम्मीद न करने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि पिछले 12–15 महीनों में शेयर कीमतों में खास बदलाव नहीं हुआ। हालांकि आय में सुधार दिखा है, लेकिन कुछ सेक्टरों में वैल्यूएशन अब भी ऊंचे हैं। उन्होंने कहा, ”विस्फोटक रिटर्न की उम्मीद न करें। अगले पांच साल में इक्विटी बॉन्ड से बेहतर रह सकती है, लेकिन उम्मीदें यथार्थवादी होनी चाहिए।”
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राजीव राधाकृष्णन ने कहा कि डेब्ट निवेशकों के लिए मौजूदा माहौल अनुकूल है। उन्होंने बताया कि कई वर्षों बाद अब मुद्रास्फीति चिंता का कारण नहीं है। आरबीआई ने पॉलिसी में ढील और तरलता समर्थन से सकारात्मक माहौल बनाया है। अब फिक्स्ड इनकम बाजार स्थिर और मध्यम रिटर्न देने की स्थिति में है। उन्होंने जोड़ा कि आरबीआई के पास ब्याज दरों में और कमी की गुंजाइश है। एक बार ऐसा होने पर स्थिति लंबे समय तक स्थिर रह सकती है।
शैलेश राज भान ने कहा कि फिनटेक प्लेटफॉर्म्स ने म्यूचुअल फंड निवेश को व्यापक बनाया है। उन्होंने कहा, ”फिनटेक कंपनियां छोटे निवेशकों को जोड़ने और निवेश की पहुंच बढ़ाने में अहम भूमिका निभा रही हैं। जैसे-जैसे यह इकोसिस्टम परिपक्व होगा, निवेशक पारंपरिक फंड हाउसेज़ की ओर लौटेंगे।”
आईपीओ (IPO) की बढ़ती लहर पर उन्होंने कहा, ”तेजी के बाजार में आपूर्ति बढ़ना स्वाभाविक है। हमारा काम सही मूल्य पर सही बिजनेस चुनना है। जब वैल्यूएशन ऊंचे दिखें, तो हमें सतर्क रहना चाहिए।”
एस. नारन ने कहा कि अब कैपिटल अलॉटमेंट का अधिकांश जोखिम निवेशकों पर है। उन्होंने बताया कि 2005-07 में यह भूमिका बैंकों की थी और नुकसान की स्थिति में वही प्रभावित होते थे। अब जिम्मेदारी निवेशकों पर आ गई है। चाहे निवेश डायरेक्ट इक्विटी, म्यूचुअल फंड, पीएमएस या वैकल्पिक निवेश फंड में हो… जोखिम अब उन्हीं पर है। उन्होंने कहा कि कई लोगों को अभी तक यह एहसास नहीं हुआ है कि इस चक्र में पूरा भार निवेशकों पर ही है।
राजीव ठक्कर ने निवेशकों को वैश्विक विविधीकरण पर ध्यान देने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि लिबरलाइज्ड रेमिटेंस स्किम (Liberalised Remittance Scheme) और गिफ्ट सिटी (GIFT City) प्लेटफॉर्म का उपयोग इस दिशा में मदद कर सकता है। उन्होंने सोने और चांदी जैसे एसेट्स में निवेश से बचने की चेतावनी दी।
ठक्कर के अनुसार, हालिया तेजी केंद्रीय बैंकों की खरीद के कारण है, जो ‘अस्थायी और अप्रत्याशित’ है। उन्होंने कहा कि ऐसे एसेट्स में कैश फ्लो नहीं होता और ये स्वभाव से अनिश्चित होते हैं।