महाराष्ट्र सरकार ने अहम फैसला लेते हुए किसानों की कर्जमाफी के लिए सिफारिशें प्रस्तुत करने के लिए एक 9 सदस्यीय उच्च-स्तरीय समिति का गठन किया है। समिति छह महीने में अपनी रिपोर्ट देगी। समिति को अप्रैल तक सिफारिशें देनी हैं। उसके आधार पर आगे की प्रक्रिया की जाएगी और 30 जून, 2026 तक कर्जमाफी कर पर निर्णय लिया जाएगा। फिलहाल सरकार की प्राथमिकता प्राकृतिक आपदाओं से संकटग्रस्त किसानों के खातों में पैसा पहुंचाना है ।
कर्जमाफी के लिए बनी समिति की अध्यक्षता मुख्यमंत्री के प्रमुख आर्थिक सलाहकार और मित्रा (MITRA) के मुख्य कार्यकारी अधिकारी प्रविण परदेशी करेंगे। समिति को अगले 6 महीनों में अपनी रिपोर्ट राज्य सरकार को सौंपने के आदेश दिए गए हैं। समिति का मुख्य उद्देश्य किसानों की कर्जमाफी के लिए व्यवहारिक और प्रभावी सिफारिशें प्रस्तुत करना है। समिति अल्पकालिक और दीर्घकालिक दोनों प्रकार की सिफारिशें तैयार करेगी। समिति में राजस्व, वित्त, कृषि, सहकार और विपणन विभागों के अपर मुख्य सचिव शामिल होंगे। इसके अलावा, महाराष्ट्र राज्य सहकारी बैंक लिमिटेड, मुंबई के अध्यक्ष और बैंक ऑफ महाराष्ट्र के प्रतिनिधि भी समिति में शामिल होंगे।
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि प्राकृतिक आपदाओं के कारण संकट में आए किसानों के खातों में अब पैसा देना जरूरी है, क्योंकि अगर ऐसा नहीं हुआ तो वे रबी की बुवाई नहीं कर पाएंगे। इसलिए अब प्राथमिकता 32,000 करोड़ रुपये का पैकेज वितरित करना है। पिछली भारी बारिश के कारण संकट में आए किसानों को पैकेज के माध्यम से 32,000 करोड़ रुपये की सहायता दी जा रही है। अब तक खातों में 8,000 करोड़ रुपये का भुगतान किया जा चुका है। इस सप्ताह के अंत तक 18,500 करोड़ रुपये का भुगतान किया जाएगा और यह सुनिश्चित करने के लिए प्रावधान किए गए हैं और निर्देश दिए गए हैं कि पैसा पंद्रह दिनों के भीतर 90 प्रतिशत किसानों के खातों में सीधे चला जाए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारे घोषणापत्र में कर्ज माफी का फैसला था। यह एक अस्थायी मामला है। दीर्घकालिक उपाय करने के लिए एक समिति बनाई गई है। कर्ज वसूली जून तक होती है , इसलिए जून तक की समय सीमा है। इस संबंध में प्रदर्शनकारियों के साथ सकारात्मक चर्चा हुई है और सभी नेता इस रुख से सहमत हैं। अन्य मुद्दों पर अगले सप्ताह बैठक होगी।
किसानों के मुद्दों को लेकर प्रहार जनशक्ति पार्टी के नेता बच्चू कडू के आंदोलन की प्रमुख मांग कर्जमाफी थी । उनकी मांग है कि किसानों के सभी प्रकार के कर्ज (फसल, मध्यम अवधि, पॉली हाउस, सिंचाई आदि) बिना किसी शर्त के तुरंत माफ किए जाएं और नियमित रूप से कर्ज चुकाने वाले किसानों का भी ‘सात बारा कोरा’ (ऋण मुक्त) किया जाए। बेमौसम बारिश और बाढ़ से हुए फसल के नुकसान के लिए तत्काल और पर्याप्त मुआवजा दिया जाए। सोयाबीन के लिए 6,000 रुपये प्रति क्विंटल का मूल्य दिया जाए। फसल पर 20 फीसदी बोनस दिया जाए। गन्ने के लिए उचित एफआरपी की मांग। किसानों को उनकी उपज का गारंटीड मूल्य मिलना सुनिश्चित हो।