अगस्त में माल ढुलाई के प्रमुख मार्गों पर भाड़े में औसतन 4.5 से 5 फीसदी की वृद्धि हुई। इंडियन फाउंडेशन ऑफ ट्रांसपोर्ट रिसर्च ऐंड ट्रेनिंग (आईएफटीआरटी) ने कहा है कि लॉकडाउन खत्म होने के बाद लगातार तीसरे महीने माल भाड़े में वृद्धि दर्ज की गई है। इसे सभी क्षेत्रों से निर्यात एवं कार्गो में बढ़ोतरी से रफ्तार मिली।
आईएफटीआरटी के सीनियर फेलो एसपी सिंह ने कहा, ‘यदि आप हरेक मार्ग के किराये पर गौर करेंगे तो पाएंगे कि अगस्त में 2019 के बाद सबसे अधिक तेजी रही।’ इससे ट्रकिंग एवं ट्रांसपोर्ट कारोबार को काफी फायदा हुआ और बेड़ा मालिक सभी परिचालन लागत की भरपाई करने में समर्थ हैं। वैश्विक महामारी के प्रकोप के बाद पहली बार ऑपरेटरों का राजस्व उनकी आय से अधिक दिखने लगा है। यह उन्हें न केवल पुराने ट्रकों को बदलने के लिए बल्कि बेड़े का विस्तार करने के लिए भी प्रेरित करेगा।
सिंह ने कहा कि डीजल कीमतों में स्थिरता और फाइनैंस के लिए कम ब्याज दरों ने ट्रांसपोर्टरों को परिचालन लागत कम करने में मदद की है। जून में भारत का औद्योगिक उत्पादन एक साल पहले के मुकाबले 13.6 फीसदी बढ़ गया। हालांकि इसकी मुख्य वजह पिछले साल का कमजोर आधार रहा।
केयर रेटिंग्स ने एक नोट में कहा, ‘कोविड संक्रमण के दैनिक मामलों में लगातार हो रही गिरावट और आर्थिक गतिविधियां बढऩे से जून में लगातार दूसरी बार औद्योगिक गतिविधियों में सुधार हुआ। सुधार की यह रफ्तार जुलाई में भी बरकरार रहेगी क्योंकि उसकी झलक विनिर्माण पीएमआई में मिल चुकी है।’
कमजोर आधार के बावजूद टाटा मोटर्स, अशोक लीलैंड, महिंद्रा ऐंड महिंद्रा (एमऐंडएम) और आयशर मोटर्स सहित शीर्ष चार वाणिज्यिक वाहन निर्माताओं की कुल बिक्री एक साल पहले के 41,202 वाहनों के मुकाबले 23 फीसदी बढ़कर 50,886 वाहन हो गई। वाहनों के डिस्पैच में भी अधिकतर कंपनियों के मामले में सुधार दिखा। हालांकि इस मार्चे पर एमऐंडएम की रफ्तार थोड़ी सुस्त रही और उसने कम्रिक एवं सालाना आधार पर क्रमश: 50 फीसदी एवं 42 फीसदी की गिरावट दर्ज की।