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National Youth Day: कुछ नया करने की आजादी चाह रहे युवा

वित्तीय प्रोत्साहन का लालच जनरेशन जेड पर असर खो रहा है क्योंकि उनके पास अब बड़े सपने हैं, लेकिन जरूरी नहीं कि वह सपना सिर्फ नौकरी हो

Last Updated- January 11, 2023 | 10:53 PM IST
Budget 2023: Plans came to prepare youth for jobs
PTI

अंकन भट्टाचार्य हमेशा हार्वर्ड में पढ़ना चाहते थे। एक विशेष परीक्षा पास करने के बाद बोस्टन कॉलेज ने उन्हें प्रवेश देने के लिए पाठ्यक्रम शुल्क 50 फीसदी माफ कर दिया था। लेकिन उनके लिए अन्य खर्चों से भी निपट पाना समस्याजनक था। और फिर उन्हें कई नौकरियों के प्रस्ताव मिलने शुरू हो गए। शीर्ष वेंचर कैपिटल फंड से लेकर अंतरराष्ट्रीय परामर्श फर्मों तक, कई वैश्विक दिग्गज कंपनियां उनके लिए नौकरी का दरवाजा खोले खड़ी थी।

यह संभव था कि पहले की पीढ़ी के लोग नौकरी को स्वीकार कर लेते। लेकिन उनमें से किसी एक नौकरी को चुनने का मतलब हार्वर्ड बिजनेस स्कूल से एमबीए करने के सपने को तोड़ना होता। ऐसे में, 21 वर्षीय आईआईटी दिल्ली के छात्र ने एक नौकरी करने का फैसला किया। लेकिन, उन्होंने एक ऐसी फर्म को चुना जो बेहतर वेतन साथ ही उन्हें हार्वर्ड में पढ़ने के लिए आधी फीस का खर्च अपनी तरफ से उठाने पर सहमत हो गई।

भट्टाचार्य जैसी कहानियां भारत के युवाओं के बीच अपवाद के बजाय नियम बन रही हैं। उनके लिए केवल वित्तीय प्रोत्साहन कोई बड़ा मायने नहीं रखता है और ऐसा भी नहीं है कि जिस नौकरी को पाना उनका कभी सपना था उसकी बहुत आवश्यकता दिख रही हो। जैसा कि भारत 12 जनवरी को राष्ट्रीय युवा दिवस मनाता है, यह समझना महत्त्वपूर्ण है कि युवाओं का उनके काम से एक अलग रिश्ता है। वे सीखने के अवसरों, एक ही फर्म में कई तरह के काम करने के अवसरों, उद्देश्य की भावना और अपने करियर के प्रति स्वयं के नियंत्रण की मांग कर रहे हैं। ऐसा ही मानव संसाधन (एचआर) पेशेवरों और रोजगार एजेंसियों का भी कहना है, जिनसे बिज़नेस स्टैंडर्ड ने बातचीत की।

21 वर्षीय कृतिशा जनवेजा ने कहा कि जैसा मैं अपने साथियों के बीच देखती हूं, हम सबसे निडर पीढ़ी हैं। हम नई चीजों को खोजने की आजादी चाहते हैं, यहां तक कि असफल होने और फिर से उठ कर आगे बढ़ने की आजादी चाहते हैं। कृतिशा ने मुंबई स्थित एक वैश्विक प्रबंधन परामर्श कंपनी को जॉइन किया क्योंकि वह कई क्षेत्रों और उद्योगों में अपनी रुचियों का पता लगाना चाहती थी और यह समझना चाहती थी कि वह किस काम को अच्छी तरह से कर सकती हैं। कंपनी की कार्यशैली और 5-10 साल में उद्योग की प्रासंगिकता भी एक बड़ा अंतर बनाती है।

श्रेया पेजी कहती हैं, ‘हम अंत में यही कहेंगे कि नौकरियां बेहतर तो हो सकती हैं, लेकिन बेहतरीन तो नहीं होती।’ श्रेया टेक उद्योग में कार्यरत हैं और वर्तमान में घर से काम (वर्क फ्रॉम होम) कर रही हैं। मध्य प्रदेश के जबलपुर की एक 24 वर्षीया युवती ने कहा कि सिर्फ पैसा ही उनके लिए कोई प्रेरणा नहीं है। वह कहती हैं कि आपको किसी भी काम में वेतन तो मिलेगा, लेकिन मानसिक संतुष्टि का क्या?

तो आज के जॉब इंटरव्यू के दौरान युवा क्या मांग रहे हैं?

बेन ऐंड कंपनी (इंडिया) में वाइस प्रेसिडेंट-टैलेंट और एचआर प्रमुख सोनाली मिश्रा कहती हैं कि मुख्य रूप से इन युवाओं की मांग उद्देश्य, प्रभाव, संतुलन और स्वायत्तता होती है। युवा कर्मचारी जानना चाहते हैं कि उनका योगदान सबसे अंतिम ग्राहक तक को कैसे प्रभावित करता है। वे अपने करियर को एक सीधी रेखा के रूप में नहीं बल्कि विविध अनुभवों की एक श्रृंखला के रूप में सोचते हैं जो उनके दृष्टिकोण को विस्तृत कर सकते हैं। यह पुराने पेशेवरों से बहुत अलग है क्योंकि अब के युवा जोखिम भी लेना चाहते हैं और मूल्य स्थिरता के लिए अधिक इच्छुक हैं।

बुनियादी उम्मीदें

कार्यस्थलों पर विविधता और समावेशन के प्रयास एक बुनियादी अपेक्षा बन रहे हैं। एडीपी रिसर्च इंस्टीट्यूट की पीपल ऐट वर्क 2022 की रिपोर्ट में पाया गया कि लगभग 83 फीसदी युवा कर्मचारी लिंग के आधार पर वेतन में असमानता पाने या कोई विविधता और समावेशन (डी ऐंड आई) नीति नहीं होने पर कार्यस्थल छोड़ देंगे।

श्नाइडर इलेक्ट्रिक इंडिया के सीएचआरओ-ग्रेटर इंडिया जोन, बीनू फिलिप कहते हैं कि आज के युवाओं में सबसे महत्त्वपूर्ण अंतर एक स्थायी दुनिया के निर्माण के प्रति उनकी जागरूकता और प्रतिबद्धता है। वे एक ऐसा वातावरण चाहते हैं जो इस जुनून को बढ़ावा दे और उन्हें उभरती प्रौद्योगिकियों पर काम करने या उन्हें इसके लायक बनाने के लिए प्रोत्साहित करे। इसका मतलब यह है कि कंपनियों को भी कार्यशैली में बदलाव के साथ तालमेल बिठाना पड़ा है।

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चेन्नई स्थित अवतार समूह की संस्थापक-अध्यक्ष सौंदर्या राजेश, जो डी ऐंड आई पर काम करती हैं, ने कहा कि आज के युवा डिजिटल की दौड़ में असाधारण रूप से जागरूक हैं, पिछली पीढ़ियों की तुलना में सामाजिक रूप से अधिक जागरूक हैं और विविधता के प्रति अत्यधिक जागरूक हैं।

First Published - January 11, 2023 | 10:53 PM IST

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