देश के कुल चाय उत्पादन में 52% से अधिक योगदान देने वाले छोटे चाय उत्पादकों (Small Tea Growers – STGs) ने केंद्र सरकार से एक न्यायसंगत और पारदर्शी मूल्य निर्धारण प्रणाली स्थापित करने की मांग की है, जिससे वे कारखानों को हरी पत्तियों की बिक्री के माध्यम से उचित मूल्य प्राप्त कर सकें।
कॉमर्स मंत्री पीयूष गोयल को लिखे एक पत्र में, कॉनफेडरेशन ऑफ इंडियन स्मॉल टी ग्रोवर्स एसोसिएशन (CISTA) ने चाय उत्पादकों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की तर्ज पर मूल्य सुरक्षा योजना लागू करने का सुझाव दिया है। CISTA ने कहा कि टी बोर्ड को एक विस्तृत अध्ययन करना चाहिए, जिससे यह तय किया जा सके कि छोटे उत्पादकों और फैक्ट्रियों के बीच लाभ का न्यायसंगत बंटवारा कैसे हो।
CISTA के अध्यक्ष बिजॉय गोपाल चक्रवर्ती ने कहा कि छोटे चाय उत्पादक लगातार कम मूल्य प्राप्ति की समस्या से जूझ रहे हैं, जो इस क्षेत्र की दीर्घकालिक स्थिरता को खतरे में डाल रहा है। उन्होंने कहा कि छोटे उत्पादक देश के कुल चाय उत्पादन में 52% से अधिक का योगदान करते हैं और उनके लिए एक उचित मूल्य निर्धारण तंत्र की पहचान करना आवश्यक है, ताकि उनकी आजीविका सुरक्षित रह सके। CISTA ने मई 2023 में वाणिज्य मंत्रालय को इस मुद्दे पर एक विस्तृत स्थिति पत्र (status paper) भी सौंपा था, जिसमें संरचनात्मक बाधाओं और मूल्य प्राप्ति में लगातार आ रही कठिनाइयों को उजागर किया गया था।
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चक्रवर्ती ने यह भी कहा कि “न्यूनतम बेंचमार्क मूल्य” की अवधारणा को समाप्त कर, एक नई प्रणाली लागू की जानी चाहिए, जो कुल बिक्री मूल्य से जुड़ी हो, जिससे उत्पादकों को उचित और लाभकारी मूल्य मिल सके। CISTA ने श्रीलंकाई मॉडल को अपनाने की वकालत की, जिसमें नीलामी औसत मूल्य से अधिक कमाई को कारखानों और उत्पादकों के बीच समान रूप से साझा किया जाता है।
मूल्य सुरक्षा योजना का प्रस्ताव रखते हुए CISTA ने कहा कि वर्तमान में हरी चाय पत्तियों का औसत मूल्य ₹22 से ₹25 प्रति किलो के बीच है, जबकि उत्पादन लागत ₹17 से ₹20 प्रति किलो के बीच बनी हुई है। ऐसे में उत्पादकों को मुश्किल से ₹5 प्रति किलो का मामूली लाभ प्राप्त होता है। वहीं दूसरी ओर, एजेंट आमतौर पर ₹2 प्रति किलो का कमीशन लेते हैं, जिससे उत्पादकों को और नुकसान होता है। CISTA का कहना है कि यह एक बड़ा अवरोधक है और उत्पादकों को सीधे कारखानों को बिक्री की अनुमति मिलनी चाहिए।
भारत, जो विश्व का दूसरा सबसे बड़ा चाय उत्पादक देश है, अपनी कुल चाय उत्पादन का 52% से अधिक योगदान लघु चाय उत्पादकों (Small Tea Growers – STGs) से प्राप्त करता है। ये 2.3 लाख से अधिक छोटे किसान सीमित भूमि पर चाय की खेती करते हैं, लेकिन उनके आर्थिक हालात चिंताजनक हैं। उन्हें उचित मूल्य नहीं मिल रहा, जिससे उनका जीवन यापन मुश्किल हो रहा है। भारतीय चाय बोर्ड और कॉनफेडरेशन ऑफ इंडियन स्मॉल टी ग्रोवर्स एसोसिएशन्स (CISTA) की रिपोर्टें इस क्षेत्र की संरचनात्मक और आर्थिक समस्याओं को उजागर करती हैं।
31 मार्च 2022 तक के आंकड़ों के अनुसार:
यह स्पष्ट करता है कि STGs केवल 32% भूमि पर खेती करते हैं लेकिन उत्पादन में 52% से अधिक का योगदान करते हैं — जिससे उनकी उत्पादकता संगठित क्षेत्र से अधिक है।
CISTA के अनुसार:
यह लाभ बेहद सीमित है और यह भी तब जबकि किसान मौसम, कीट, श्रमिक लागत और महंगाई जैसी समस्याओं से जूझते हैं।
CISTA ने एक न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) जैसी मूल्य सुरक्षा योजना की मांग की है। उनके प्रमुख सुझाव:
देश | उत्पादन (2022 – मिलियन किग्रा) | निर्यात (2022 – मिलियन किग्रा) |
चीन | 3,090.00 | 375.23 |
भारत | 1,365.23 | 226.98 |
केन्या | 530.00 | 456.00 |
श्रीलंका | 251.50 | 247.15 |
भारत उत्पादन में दूसरे स्थान पर, लेकिन निर्यात में चौथे स्थान पर है। इससे पता चलता है कि ब्रांडिंग और वैल्यू एडिशन में भारत पिछड़ रहा है।
भारत का औसत नीलामी मूल्य (2022) था $2.28/किग्रा, जबकि श्रीलंका का $3.86/किग्रा था।
तराई, डुआर्स (प. बंगाल) और किशनगंज (बिहार) जैसे क्षेत्र तेजी से उभरते हुए STG केंद्र बन रहे हैं:
क्षेत्र | STGs | चाय क्षेत्र (हेक्टेयर) |
उत्तर बंगाल | 36,559 | 24,212.41 |
बिहार (किशनगंज) | 2,813 | 2,521.78 |
इन क्षेत्रों में संभावना तो है, लेकिन साथ में बाजार की पहुंच की कमी, फैक्टरी का एकाधिकार, और तकनीकी सहायता का अभाव भी प्रमुख समस्याएं हैं।
वर्ष | उत्पादन (M.kg) | खपत (M.kg) | अधिशेष |
2018 | 5,966 | 5,681 | +285 |
2022 | 6,423 | 6,098 | +325 |
हालांकि आपूर्ति लगातार खपत से अधिक रही है, लेकिन यह अधिशेष भारतीय उत्पादकों को बेहतर मूल्य दिलाने में विफल रहा है।
यदि भारत को चाय क्षेत्र में वैश्विक नेतृत्व बनाए रखना है, तो उसे अपने लघु चाय उत्पादकों को न्यायसंगत मूल्य, संस्थागत सहायता और बाजार पहुंच देनी होगी। नहीं तो, यह क्षेत्र अपनी समृद्ध विरासत के बावजूद धीरे-धीरे क्षीण हो सकता है।
CISTA अध्यक्ष बिजॉय गोपाल चक्रवर्ती का कहना है: “यह केवल चाय की बात नहीं है, यह जीवन, न्याय और भारतीय कृषि के भविष्य की बात है।”
चाय उद्योग देश के उन चुनिंदा क्षेत्रों में से एक है, जो संसद द्वारा पारित अधिनियम के तहत प्रत्यक्ष रूप से केंद्र सरकार के नियंत्रण में आता है। वर्तमान में कार्यरत टी बोर्ड की स्थापना 1 अप्रैल 1954 को टी अधिनियम, 1953 की धारा 4 के अंतर्गत की गई थी। यह बोर्ड भारतीय चाय उद्योग के विकास, विनियमन और प्रचार के लिए एक केंद्रीय निकाय के रूप में कार्य करता है।
टी बोर्ड इंडिया (Tea Board India) की स्थापना की पृष्ठभूमि वर्ष 1903 से जुड़ी है, जब ‘इंडियन टी सेस बिल’ पारित किया गया था। इस विधेयक के माध्यम से चाय निर्यात पर एक सेस (कर) लगाने का प्रावधान किया गया, जिससे प्राप्त राशि का उपयोग देश और विदेश में भारतीय चाय के प्रचार-प्रसार के लिए किया जाना था।
वर्ष | उत्पादन (मिलियन किग्रा) | आयात (मिलियन किग्रा) | निर्यात (मिलियन किग्रा) | घरेलू खपत (मिलियन किग्रा) | नीलामी मूल्य (₹/किग्रा) |
---|---|---|---|---|---|
1998 | 874 | 9 | 210 | 650 | 76.73 |
2015 | 1209 | 19 | 229 | 1012 | 128.60 |
2016 | 1267 | 21 | 223 | 1035 | 135.93 |
2017 | 1322 | 21 | 252 | 1059 | 134.81 |
2018 | 1339 | 25 | 256 | 1084 | 140.30 |
2019 | 1390 | 16 | 252 | 1109 | 142.15 |
2020 | 1258 | 24 | 210 | 1134 | 190.96 |
2021 | 1343 | 27 | 197 | 1161 | 174.84 |
2022 | 1366 | 30 | 231 | 1188 | 180.92 |
2023 | 1394 | 24 | 232 | 1215 | 169.02 |
2024 | 1285 | 44 | 255 | 1243 | 198.73 |
वर्ष | उत्पादन (मिलियन किग्रा) | आयात (मिलियन किग्रा) | निर्यात (मिलियन किग्रा) | वैश्विक खपत (मिलियन किग्रा) |
---|---|---|---|---|
1998 | 2987 | 1236 | 1303 | 2920 |
2015 | 5306 | 1719 | 1798 | 5053 |
2016 | 5595 | 1729 | 1802 | 2047 (संभावित त्रुटि) |
2017 | 5719 | 1725 | 1800 | 5493 |
2018 | 5967 | 1741 | 1864 | 5683 |
2019 | 6162 | 1790 | 1907 | 5895 |
2020 | 6287 | 1759 | 1849 | 5944 |
2021 | 6449 | 1775 | 1918 | 6173 |
2022 | 6486 | 1763 | 1818 | 6233 |
2023 | 6727 | 1681 | 1847 | 6351 |
2024 | 7053 | 1746 | 1944 | 6635 |