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Trump Tariff on Copper: 50% आयात शुल्क का नहीं पड़ेगा भारतीय कंपनियों पर असर

"भारत एक कॉपर-डिफिशिएंट देश है और इसका निर्यात बहुत सीमित है। अमेरिका को होने वाला कुल निर्यात लगभग 10,000 टन है, जो कि बहुत कम है।"

Last Updated- July 09, 2025 | 6:58 PM IST
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अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा कॉपर (तांबा) पर 50 प्रतिशत आयात शुल्क लगाने की घोषणा से भारतीय कंपनियों पर कोई खास असर नहीं पड़ेगा, क्योंकि भारत एक कॉपर-घाटे वाला देश है। यह जानकारी इंडस्ट्री के एक वरिष्ठ अधिकारी और सरकार के मंत्री ने साझा की।

इंटरनेशनल कॉपर एसोसिएशन इंडिया के प्रबंध निदेशक मयूर कर्मारकर ने बताया, “भारत एक कॉपर-डिफिशिएंट देश है और इसका निर्यात बहुत सीमित है। अमेरिका को होने वाला कुल निर्यात लगभग 10,000 टन है, जो कि बहुत कम है।” उन्होंने कहा कि भारत में घरेलू मांग काफी तेज़ी से बढ़ रही है, खासकर नवीकरणीय ऊर्जा, इलेक्ट्रिक वाहनों (EVs), और अन्य कॉपर-इंटेंसिव क्षेत्रों में सरकार के जोर के चलते।

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भारत पूरे कॉपर वैल्यू चेन में नेट इंपोर्टर (शुद्ध आयातक) बना हुआ है। 2023 में भारत ने करीब 10 लाख टन कॉपर कंसंट्रेट आयात किया। इनमें से 75 प्रतिशत आयात चार प्रमुख देशों से हुआ:

  देश  हिस्सेदारी (%)
इंडोनेशिया 27%
चिली 25%
पेरू 14%
पनामा 9%

कोयला और खान मंत्री जी. किशन रेड्डी ने बुधवार को कहा कि भारत अमेरिका के इस निर्णय के प्रभावों को लेकर गंभीरता से चर्चा करेगा। उन्होंने शुक्रवार को एक विजन डॉक्यूमेंट भी जारी किया है जिसमें 2047 तक कॉपर की मांग में छह गुना वृद्धि का अनुमान जताया गया है। इसके तहत सरकार ने 2030 तक 50 लाख टन प्रतिवर्ष की स्मेल्टिंग और रिफाइनिंग क्षमता जोड़ने की योजना बनाई है। 

विजन डॉक्यूमेंट में यह भी कहा गया है कि भारत को कॉपर की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए पूरे वैल्यू चेन में रणनीतिक पहलों को अपनाना होगा, जिसमें खनन से लेकर रिफाइनिंग और रिसाइकलिंग तक की प्रक्रिया शामिल है।

क्या है भारत का कॉपर विजन डॉक्यूमेंट

केंद्रीय कोयला एवं खान मंत्री जी. किशन रेड्डी ने हैदराबाद में आयोजित “सतत एवं उत्तरदायी खनन हेतु श्रेष्ठ खान समापन प्रथाओं पर अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन” के दौरान कॉपर विज़न डॉक्यूमेंट का औपचारिक विमोचन किया । इस अवसर पर मंत्री जी. किशन रेड्डी ने कहा कि तांबा (कॉपर) भारत की ऊर्जा परिवर्तन यात्रा, बुनियादी ढांचे के विस्तार, और ग्रीन टेक्नोलॉजी — जैसे इलेक्ट्रिक वाहन (EV), सौर ऊर्जा — के लिए अत्यंत आवश्यक धातु है। उन्होंने कहा कि यह डॉक्यूमेंट भारत की बढ़ती घरेलू मांग को पूरा करने की दीर्घकालिक रणनीति प्रस्तुत करता है, जो कच्चे माल की सुरक्षा सुनिश्चित करता है।

  • 2047 तक कॉपर की मांग में 6 गुना वृद्धि का अनुमान
  • 2030 तक 50 लाख टन प्रतिवर्ष स्मेल्टिंग और रिफाइनिंग क्षमता जोड़ने का लक्ष्य
  • सेकेंडरी रिफाइनिंग को बढ़ावा, घरेलू रीसाइक्लिंग में तेजी
  • वैश्विक भागीदारी के माध्यम से विदेशी खनिज संपत्तियों की सुरक्षा
  • ओपन मार्केट से आयात पर निर्भरता कम करने की रणनीति

यह दस्तावेज़ Hindustan Copper Ltd. (HCL), Hindalco Industries Ltd., Kutch Copper Ltd., Vedanta Ltd., Indo-Asia Copper Ltd., Lohum, और प्रमुख औद्योगिक निकायों जैसे Indian Primary Copper Producers Association (IPCPA) और International Copper Association (ICA) के साथ व्यापक विचार-विमर्श के बाद तैयार किया गया है।

इस क्षेत्र के विशेषज्ञों का कहना है कि जहां अमेरिका के इस टैरिफ निर्णय से चीन और अन्य बड़े निर्यातकों को नुकसान हो सकता है, वहीं भारत को इससे तात्कालिक तौर पर राहत है। हालांकि, दीर्घकालिक रणनीति के तहत भारत को अपनी घरेलू क्षमताएं बढ़ानी होंगी ताकि वैश्विक बदलावों से अर्थव्यवस्था पर असर ना पड़े और आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य को मजबूती मिले।

(खनिज मंत्रालय, एजेंसी इनपुट के साथ) 

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First Published - July 9, 2025 | 6:52 PM IST

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