मुंबई में हुए Business Standard BFSI Insight Summit 2025 में देश के बड़े क्रिप्टो कारोबारियों ने सरकार से कहा कि वह डिजिटल एसेट या क्रिप्टो सेक्टर के लिए जल्दी से जल्दी स्पष्ट नियम बनाए। उनका कहना था कि सरकार की देरी की वजह से भारत में नई टेक्नोलॉजी (इनोवेशन), निवेश (इन्वेस्टमेंट) और टैलेंट (काबिल लोग) पर बुरा असर पड़ रहा है। कई भारतीय क्रिप्टो उद्यमी अब विदेश जा रहे हैं, क्योंकि यहां के नियम अभी तय नहीं हैं और काम करना मुश्किल हो गया है।
समिट में हुई पैनल चर्चा ‘India’s Crypto Crossroads: Time for a Policy Rethink?’ में शामिल थे – CoinDCX के को-फाउंडर और CEO सुमित गुप्ता, Binance के एशिया-प्रशांत हेड एस. बी. सेकर, पूर्व आरबीआई कार्यकारी निदेशक जी. पद्मनाभन, और Bharat Web3 Association के चेयरपर्सन दिलीप चेनॉय।
सभी विशेषज्ञों ने कहा कि भारत अब नियमों की अनिश्चितता (Regulatory Uncertainty) को और नहीं झेल सकता। दिलीप चेनॉय ने बताया कि भारत के पास 2032 तक क्रिप्टो और डिजिटल एसेट सेक्टर में 1.1 ट्रिलियन डॉलर (₹97.5 लाख करोड़) का बड़ा मौका है। लेकिन अगर सरकार ने जल्द नीति नहीं बनाई, तो यह मौका हाथ से निकल सकता है।
उन्होंने कहा, “G20 के 18 देशों ने पहले ही क्रिप्टो के नियम बना लिए हैं। भारत ने भी इस पर वैश्विक स्तर पर पहल की थी। अब समय है कि हम अपने देश में भी कदम उठाएं।”
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पूर्व आरबीआई अधिकारी जी. पद्मनाभन ने कहा कि अब वित्तीय दुनिया तेजी से डिजिटल होती जा रही है और आने वाले समय में सब कुछ टोकनाइजेशन पर आधारित होगा। उन्होंने कहा, “फाइनेंस का भविष्य डिजिटल है और उसका केंद्र टोकनाइजेशन होगा।” उन्होंने बताया कि IMF के करीब 70% सदस्य देश पहले ही स्टेबलकॉइन के लिए नियम बनाने की दिशा में काम कर रहे हैं। उनके अनुसार, अगर भारत को अपनी वित्तीय व्यवस्था को सुरक्षित और आधुनिक बनाना है, तो अब एक स्पष्ट और मजबूत नीति (Structured Framework) बनाना जरूरी है। पद्मनाभन ने कहा कि भले ही क्रिप्टो विदेशी मुद्रा और पूंजी प्रवाह के लिहाज से थोड़ा जटिल विषय है, लेकिन अगर भारत को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धी बने रहना है, तो उसे इस क्षेत्र के लिए स्पष्ट नियम बनाने ही होंगे।
CoinDCX के CEO सुमित गुप्ता ने कहा कि भारत में क्रिप्टो एक्सचेंज चलाना अब बहुत मुश्किल हो गया है, क्योंकि यहां नियम साफ नहीं हैं और लगातार अनिश्चितता बनी हुई है। उन्होंने कहा, “इस सेक्टर को रेगुलेट करने का सबसे अच्छा वक्त कल था, और अगला सबसे अच्छा वक्त आज है।”
गुप्ता ने बताया कि उनके करीब 90% IIT ग्रेजुएट साथी अब विदेश जा चुके हैं, क्योंकि भारत में क्रिप्टो बिजनेस करना दिन-ब-दिन कठिन होता जा रहा है। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर सरकार ने अब कदम नहीं उठाया, तो यह टैलेंट वापस लाना मुश्किल हो जाएगा।
Bharat Web3 Association के चेयरपर्सन दिलीप चेनॉय ने भी चिंता जताई। उन्होंने कहा कि नीतियों में देरी से भारत को दोहरा नुकसान हो रहा है, “हम इनोवेशन भी खो रहे हैं और नौकरियां भी।” उन्होंने बताया कि एक हालिया रिपोर्ट के मुताबिक, भारत के लगभग 27% प्रमुख क्रिप्टो प्रोडक्ट डेवलपर्स अब विदेश में काम कर रहे हैं, क्योंकि वहां माहौल ज्यादा आसान और स्पष्ट है।
Binance के एशिया-प्रशांत हेड एस. बी. सेकर ने कहा कि असली जरूरत नया रेगुलेटर बनाने की नहीं, बल्कि एक स्पष्ट और मजबूत सिस्टम तैयार करने की है। उन्होंने कहा, “दुबई ने इस सेक्टर के लिए एक अलग रेगुलेटर बनाया, जबकि कई देशों ने इसे अपने मौजूदा वित्तीय सिस्टम में ही शामिल किया। असली सवाल यह नहीं है कि नया निकाय बने या नहीं, बल्कि यह है कि उसे काम करने का स्पष्ट संवैधानिक अधिकार (Constitutional Mandate) मिले या नहीं।”
पूर्व आरबीआई अधिकारी जी. पद्मनाभन ने भी इस बात से सहमति जताई। उन्होंने कहा, “अलग रेगुलेटर बनाने से सारी समस्याएं हल नहीं होंगी। जरूरी यह है कि नीति बनाने वालों के पास सही नजरिया और समझ हो, ताकि इनोवेशन को बढ़ने दिया जा सके और जब जरूरत पड़े, तो उसमें सही सुधार किए जा सकें।”
पैनल के सभी सदस्यों ने सहमति जताई कि भारत को जल्द ही अपना रुपया-आधारित स्टेबलकॉइन (INR-backed Stablecoin) लॉन्च करना चाहिए, ताकि डॉलर-आधारित स्टेबलकॉइन्स पर निर्भरता कम हो और देश की मौद्रिक संप्रभुता (Monetary Sovereignty) सुरक्षित रहे।
दिलीप चेनॉय ने कहा कि INR स्टेबलकॉइन से भारत के रेमिटेंस ट्रांजैक्शंस सस्ते और तेज हो सकते हैं। उन्होंने कहा, “यह भारत का अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नया ‘UPI मोमेंट’ साबित हो सकता है।” जी. पद्मनाभन ने चेतावनी दी, “अगर 97% स्टेबलकॉइन डॉलर पर आधारित हैं, तो इसका मतलब है कि अमेरिका हमारे मौद्रिक निर्णयों को प्रभावित करेगा। यह भारत के लिए अच्छा नहीं है।”
सुमित गुप्ता ने कहा, “अगर हम अब कदम नहीं उठाए, तो दूसरे देश अपनी करेंसी को इंटरनेशनल बना लेंगे और भारत पीछे रह जाएगा। हमें ‘डिजिटल रुपया’ को वैश्विक मंच पर आगे लाना होगा।”
एस. बी. सेकर ने कहा कि जैसे-जैसे डिजिटल डॉलर इंटरऑपरेबल और प्रोग्रामेबल बनता जा रहा है, भारत को अपनी डिजिटल मुद्रा लॉन्च करनी ही होगी, ताकि वह वैश्विक प्रतिस्पर्धा में पीछे न रह जाए।
पैनल में मौजूद सभी विशेषज्ञों की राय एक जैसी थी। अब भारत क्रिप्टो को नजरअंदाज करने की गलती नहीं कर सकता। उनका कहना था कि अगर सरकार ने नीतियां बनाने में और देरी की, तो देश न सिर्फ नई टेक्नोलॉजी और इनोवेशन में पिछड़ जाएगा, बल्कि अपना टेक्नोलॉजी टैलेंट भी खो देगा। विशेषज्ञों ने साफ कहा, “अगर भारत को डिजिटल अर्थव्यवस्था में आगे रहना है, तो क्रिप्टो रेगुलेशन पर कदम उठाने का समय अब आ गया है।”