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विदेशी बाजारों में कदम बढ़ाने को तैयार भारतीय फिनटेक! सीमा पार भुगतान चुनौतियों का समाधान जरूरी

बहरहाल सीमा पार लेनदेन में भारतीय फिनटेक की पहुंच अभी चुनौतीपूर्ण बनी हुई है, भले ही कंपनियां सेवाओं में सुधार कर रही हैं और अपने ग्राहकों के लिए लागत कम कर रही हैं

Last Updated- October 30, 2025 | 11:02 PM IST
Fintech
यूपीआई पर चर्चा के दौरान (बाएं से) कैशफ्री के मुख्य राजस्व अधिकारी हर्ष गुप्ता, एनटीटी डेटा के मुख्य वित्त अधिकारी राहुल जैन, रेजरपे के आरिफ खान और ब्रिस्क पे के संस्थापक संजय त्रिपाठी

भारतीय फिनटेक के वैश्विक स्तर पर विस्तार के लिए लेनदेन गलियारों को प्राथमिकता देने और उनसे जुड़े बाजारों की अनुपालन जरूरतों को पूरा करने के साथ स्विफ्ट के मजबूत विकल्प विकसित करना होगा। बिज़नेस स्टैंडर्ड बीएफएसआई इनसाइट समिट 2025 के दौरान वरिष्ठ संवाददाता अजिंक्य कावले के साथ बातचीत के दौरान फिनटेक अधिकारियों ने यह कहा।

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की फिनटेक के विस्तार पर ध्यान देना इसलिए जरूरी है, क्योंकि इनका मुनाफा बहुत कम है। इसमें ज्यादातर डिजिटल लेनदेन भारत के रियल टाइम पेमेंट सिस्टम यूनाइटेड पेमेंट्स इंटरफेस (यूपीआई) से होता है।

वैश्विक स्तर पर भुगतान का कारोबार बढ़ाने का भरोसा अधिक परिपक्व टेक स्टेक से आया है, जिसमें हर बाजार के स्थानीय कानून के साथ तालमेल, डेटा सेंटर की जरूरत और अन्य अनुपालन मानक के साथ तालमेल शामिल है। अधिकारियों ने कहा कि सीमा पार भुगतान में उचित मात्रा हासिल करना जोखिम, अनुपालन, कराधान, गति और लागत से जुड़ी चुनौतियों का समाधान करने के बाद ही संभव होगा।

रेजरपे के चीफ इनोवेशन ऑफिसर आरिफ खान ने कहा, ‘अक्सर हम तुलना करते हैं और कहते हैं कि विदेश में अधिक पैसा कमाया जा सकता है। हम अपनी बड़ी आबादी के कारण कम मुनाफे पर काम कर पाते हैं। इससे अधिक (घरेलू भुगतान मार्जिन) कुछ भी हमें बहुत आकर्षक लगता है।’

फिनटेक इस समय मुनाफे पर ध्यान केंद्रित कर रही हैं। ऐसे में उनकी नजर दक्षिण पूर्व एशिया, एशिया प्रशांत या अमेरिका बाजारों पर है। साथ ही वे अपनी वैश्विक उपस्थिति मजबूत करने पर भी नजर रख रहे हैं। भारत में इस समय यूपीआई एमडीआर मुक्त है और इसकी वृद्धि को सरकार के प्रोत्साहनों से समर्थन मिलता है। इससे वैश्विक विस्तार भी संचालित हो रहा है। देश में इस समय 45 करोड़ से ज्यादा यूपीआई यूजर हैं।

कैशफ्री पेमेंट्स के मुख्य राजस्व अधिकारी (सीआरओ) हर्ष गुप्त ने कहा, ‘यूपीआई के साथ भारतीय बाजार में बिना किसी लागत के यह (मुद्रीकरण) मुश्किल है। नवाचार और अनुपालन की लागत आती है। साथ ही हर किसी को मुनाफे की जरूरत होती है। ऐसे में मुद्रीकरण के अवसरों की तलाश की जाती है, जहां धन कमाया जा सके।’

बहरहाल सीमा पार लेनदेन में भारतीय फिनटेक की पहुंच अभी चुनौतीपूर्ण बनी हुई है, भले ही कंपनियां सेवाओं में सुधार कर रही हैं और अपने ग्राहकों के लिए लागत कम कर रही हैं।

ब्रिस्कपे के सह-संस्थापक और मुख्य कार्याधिकारी संजय त्रिपाठी ने कहा, ‘बैंकों, भुगतान भागीदारों और अन्य के साथ बेहतर सौदों के साथ लागत कम की जा सकती है। सीमा पार भुगतान बढ़ रहे हैं। लेकिन दुर्भाग्य से भारत में इसका 5 प्रतिशत से भी कारोबार कम फिनटेक द्वारा किया जाता है, जो सीमा पार भुगतान में दुनिया में सबसे कम है।’

First Published - October 30, 2025 | 10:56 PM IST

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