मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ‘लाड़ली बहना’ योजना की 1.25 करोड हितग्राही महिलाओं के खाते में 1,000 रुपये की राशि डालते हुए कहा है कि आगे चलकर इस योजना के तहत दी जाने वाली राशि में इजाफा किया जाएगा और यह राशि 3,000 रुपये मासिक तक पहुंचाई जाएगी। वहीं विकास के मुद्दे पर काम करने वाले जानकारों का कहना है कि यह योजना महंगाई बढ़ाने और विकास के क्षेत्र में चुनौती बढ़ाने का काम करेगी।
शनिवार देर शाम योजना की शुरुआत करते हुए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि जैसे-जैसे सरकार के पास धन आएगा इस राशि को क्रमश: 1,250, 1,500, 1750…से 3,000 रुपये तक किया जाएगा। योजना के तहत पात्रता आयु भी 23 वर्ष से कम करके 21 वर्ष की जाएगी।
राजनीतिक विश्लेषक साजी थॉमस ने कहा, ‘चुनावी साल में घोषित इस योजना को जाहिर तौर पर महिला मतदाताओं को रिझाने वाली योजना के रूप में पेश किया गया है और कांग्रेस द्वारा ‘नारी सम्मान’ योजना के तहत महिलाओं को प्रति माह 1,500 रुपये और गैस सिलिंडर मात्र 5,00 रुपये में देने की घोषणा के बाद से माना जा रहा था कि सरकार इस योजना में बदलाव करेगी।’
मुख्यमंत्री चौहान ने कहा, ‘यह योजना शुरू तो 1,000 रुपये से हुई है लेकिन अभी यह केवल अंगड़ाई है। यह राशि बढ़ती जाएगी। मैं जो कहता हूं, वह करता हूं। हम 3,000 रुपये भी देंगे। शीघ्र ही एक लाड़ली बहना योजना भी बनाई जाएगी जो महिलाओं से संबंधित योजनाओं को ठीक से क्रियान्वित कराएगी।’
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आदिवासी समुदायों के बीच पोषण तथा अन्य मुद्दों पर काम करने वाले मीडिया एडवोकेसी ग्रुप विकास संवाद के निदेशक सचिन कुमार जैन ने इस योजना से असहमति जताते हुए कहा, ‘पहला सवाल तो यही है कि प्रदेश में 1.25 करोड़ महिलाएं ऐसी स्थिति में क्यों हैं कि उन्हें गुजारा भत्ता देना पड़ रहा है? आजादी के 75 वर्ष बाद भी राज्य के श्रमिकों और किसानों को गरिमामय निर्वाह लायक राशि नहीं मिलती। खरीफ 2022 में मध्य प्रदेश में कृषि मजदूरों को केवल 257 रुपये रोज मिले जो उत्तर प्रदेश में 322 रुपये, बिहार में 344 रुपये और केरल में 804 रुपये रोजाना है। प्रधानमंत्री मातृत्व वंदना योजना में महिलाओं को पूरी अवधि में मात्र 5,000 रुपये मिलते हैं। बेहतर होता कि सरकार इन महिलाओं को ऐसी आर्थिक सहायता देती ताकि वे नौ महीने तक हर प्रकार की चिंता से दूर रहतीं। ’
उन्होंने कहा कि इस प्रकार के अनियोजित निवेश से निश्चित रूप से महंगाई में भी इजाफा होगा तथा यह योजना चुनावी लाभ की दृष्टि से भले प्रभावी हो लेकिन विकास की चुनौतियों के नजरिये से यह एकदम ठीक नहीं है।
गौरतलब है कि मध्य प्रदेश में 2.5 करोड़ से अधिक महिला मतदाता हैं।