उत्तराखंड के चमोली जिले की ऋषिगंगा घाटी में रविवार को अचानक आई विकराल बाढ़ से प्रभावित क्षेत्र का जायजा लेकर लौटे मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने देहरादून में रविवार शाम संवाददाताओं को बताया कि अभी तक आपदा में सात व्यक्तियों के शव बरामद हुए हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि सेना, भारत तिब्बत सीमा पुलिस, राष्ट्रीय आपदा मोचन बल, राज्य आपदा प्रतिवादन बल और पुलिस के जवान बचाव और राहत कार्य में जुटे हुए हैं और तपोवन क्षेत्र में स्थित जिन दो सुरंगों में मजदूर फंसे हुए हैं वहां मुस्तैदी से बचाव कार्य चल रहा है। मुख्यमंत्री ने मृतकों के परिजनों को चार लाख रुपये का मुआवजा देने की भी घोषणा की। बाढ़ आने का कारण तत्काल पता नहीं चल पाया है लेकिन ऐसा माना जा रहा है कि हिमखंड टूटने से नदी में बाढ़ आ गई। बाढ़ आने के समय 13.2 मेगावॉट की ऋषिगंगा परियोजना और एनटीपीसी की 480 मेगावॉट तपोवन विष्णुगाड़ परियोजना में लगभग 176 मजदूर काम कर रहे थे जिसकी पुष्टि मुख्यमंत्री रावत ने स्वयं की। मुख्यमंत्री ने कहा, ‘एक अनुमान के तहत लापता लोग सवा सौ के आसपास हो सकते हैं या इससे ज्यादा भी हो सकते हैं। जो कंपनी के लोग हैं वे भी कागज लापता होने की वजह से ज्यादा बता पाने की स्थिति में नहीं हैं।’
टीमें तैनात
बाढ़ से प्रभावित लोगों के बचाव के लिए एनडीआरएफ की दो टीमों को मौके पर भेजा गया है और गाजियाबाद में हिंडन हवाई अड्डे से तीन अतिरिक्त टीमों को भेजा गया है। सेना के जवान आज रात प्रभावित स्थान पर पहुंच जायेगे। आईटीबीपी के 200 से अधिक जवान मौके पर हैं। भारतीय नौसेना के गोताखोर रवाना हो रहे है और भारतीय वायु सेना (आईएएफ) के विमान और हेलीकॉप्टरों को तैयार रखा गया हैं। सेना ने रविवार को चार कॉलम और दो मेडिकल टीमें तैनात की है। अधिकारियों ने बताया कि जोशीमठ के रिंगी गांव में सेना के इंजीनियरिंग टास्क फोर्स का एक दल भी तैनात किया गया है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने ट्वीट किया, ‘चमोली में ग्लेशियर टूटने से हुई अमूल्य जनहानि से बहुत दुखी हूं। मेरी संवेदनाएं पीडि़त परिवारों के साथ हैं। राहत और बचाव कार्य के लिए बरेली से सशस्त्र बलों के दो हेलीकॉप्टर को जोशीमठ भेजा गया है।’ सेना के एक कॉलम में सामान्य रूप से 30-40 सैनिक होते हैं।
जलस्तर सामान्य
उत्तराखंड में ग्लेशियर टूटने से ऋषिगंगा नदी पर 13.2 मेगावाट की एक छोटी पनबिजली परियोजना बह गई है लेकिन निचले इलाकों में बाढ़ का कोई खतरा नहीं है क्योंकि जल स्तर सामान्य हो गया है। रविवार की शाम हुई एक आपात बैठक में मंत्रिमंडल सचिव राजीव गौबा की अध्यक्षता वाली राष्ट्रीय संकट प्रबंधन समिति (एनसीएमसी) को यह जानकारी दी गई। एक आधिकारिक प्रवक्ता ने बताया कि एनसीएमसी को यह भी बताया गया कि एक पनबिजली परियोजना सुरंग में फंसे लोगों को भारत तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) ने बचा लिया है जबकि एक अन्य सुरंग में फंसे लोगों को बचाने के प्रयास जारी है। अभियान का समन्वय सेना और आईटीबीपी द्वारा किया जा रहा है।
चेतावनी जारी
बाढ़ आने के बाद समूचे गढवाल क्षेत्र में स्थित अलकनंदा और गंगा नदियों के आसपास के इलाकों में अलर्ट जारी कर दिया गया। लेकिन शाम होते-होते बाढग़्रस्त ऋषिगंगा नदी में पानी में भारी कमी आई जिससे चेतावनी वाली स्थिति समाप्त हो गई। प्रदेश के पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार ने कहा कि अब खतरे की स्थिति नहीं है और अलकनंदा नदी में जलस्तर सामान्य है। नंदा देवी राष्ट्रीय पार्क से निकलने वाली ऋषिगंगा के ऊपरी जलग्रहण क्षेत्र में आई बाढ़ के कारण ऋषिगंगा और धौलीगंगा नदी ने विकराल रूप धारण कर लिया था जिससे गढ़वाल क्षेत्र के कई हिस्सों में दहशत का माहौल पैदा गया था। जिन गांवों का संपर्क टूट गया है वहां राहत सामग्री पहुंचाने का कार्य सेना के हेलीकॉप्टरों से किया जा रहा है। कई गांव को खाली कराया गया है और लोगों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाया गया है।
राहत-बचाव कार्य जारी : मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को कहा कि उत्तराखंड में हिमखंड टूटने की घटना से प्रभावित चमोली जिले में बचाव एवं राहत कार्य पूरी तत्परता से चल रहा है और पूरा देश, उत्तराखंड के लोगों के लिए प्रार्थना कर रहा है। पश्चिम बंगाल के हल्दिया में एक रैली को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा कि वह उत्तराखंड के मुख्यमंत्री , देश के गृहमंत्री और राष्ट्रीय आपदा बल के अधिकारियों के साथ निरंतर संपर्क में है और स्थिति पर नजर रखे हुए हैं।
मोदी ने कहा, ‘आज हम मां गंगा के एक छोर पर हैं लेकिन जो मां गंगा का उद्गम स्थल है, वो राज्य उत्तराखंड इस समय आपदा का सामना कर रहा है।’ उन्होंने कहा कि वहां पर राहत और बचाव का कार्य चल रहा है और प्रभावित लोगों की मदद का हर प्रयास किया जा रहा है। प्रधानमंत्री ने उत्तराखंड के लोगों की जुझारू भावना की सराहना की और कहा कि पूरा देश उनके लिए प्रार्थना कर रहा है।
