बिहार में 243 विधानसभा सीटों पर हाल ही में संपन्न चुनाव में आधी से ज्यादा सीटों पर उन्हीं दलों को जीत मिली है, जिन्होंने 2020 के चुनाव में इन पर कब्जा किया था। इसके विपरीत 2010 में एक चौथाई यानी केवल 64 निर्वाचन क्षेत्र ही ऐसे थे, जहां से उन्हीं दलों को दोबारा जीत मिली थी।
खास बात यह है कि जिन निर्वाचन क्षेत्रों में भारतीय जनता पार्टी और जनता दल (यूनाइटेड) को दोबारा जीत मिली है वहां उनका वोट प्रतिशत भी बढ़ा है। हालांकि ऐसा पहली बार नहीं हुआ है और ऐसी सीटों पर दलों के वोट पहले के मुकाबल हर बार बढ़े हैं। साल 2010 में 26 प्रतिशत सीटों पर दोबारा जीत हासिल हुई थी मगर इस साल ऐसी सीटों की हिस्सेदारी बढ़कर 53 प्रतिशत हो गई है।
इसी तरह 2010 में हुए विधान सभा चुनाव में 32 सीटें ऐसी थीं, जिन पर दलों को दोबारा जीत भी मिली और उनकी वोट हिस्सेदारी भी बढ़ी। इस बार ऐसी सीटों का आंकड़ बढ़कर 101 हो गया। 2010 में केववल 11 सीटें ऐसी थीं जिन पर भाजपा दोबारा जीती थी और उसका वोट प्रतिशत भी बढ़ा था।
इस साल भाजपा के लिए आंकड़ा बढ़कर 47 पर पहुंच गया। जदयू की ऐसी सीटें 2010 में 19 थीं, जो इस चुनाव में बढ़कर 37 हो गईं। सबसे कम अंतर से दोबारा जीत वाली 12 सीटों में 7 ऐसी रहीं, जिनमें 2020 और 2025 के बीच वोट प्रतिशत में 0 से 10 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई।