त्योहारों के सीजन के दौरान सोशल मीडिया पर नकारात्मकता छा जाती है। इस साल होली पर एक वेबसाइट के उस संदेश पर विमर्श जारी था जिसने ‘महिलाओं के लिए सुरक्षित और सभी जगहों को उनकी पहुंच लायक बनाए जाने’ का आग्रह करते हुए एक सार्वजनिक घोषणा की थी।
मैंने एक सेवानिवृत्त पुलिस अधिकारी से इस बारे में बात की। उनका मानना था कि होली पर बड़े पैमाने पर यौन उत्पीड़न (और अन्य अपराध) के मामले सामने आते हैं और पुलिस हमेशा इनसे निपटने के लिए तैयार रहती है। हालांकि सोशल मीडिया पर इस बारे में बात करना अपेक्षाकृत नया रुझान है।
क्या इस तरह के मुद्दे पर जनता का ध्यान केंद्रित करने से सुधार होता है? यह होना चाहिए, हालांकि इसमें लंबा समय लग सकता है। यदि किसी अपराध पर ध्यान केंद्रित किया जाता है या खराब सार्वजनिक परिवहन या वायु प्रदूषण जैसे मुद्दों पर भी ध्यान केंद्रित किया जाता है तब नेता इसके बारे में ‘कुछ’ करने के लिए प्रेरित होते हैं क्योंकि उन्हें यह महसूस होने लगता है कि इससे उनका वोट प्रभावित हो सकता है। हालांकि यह तुरंत प्रभावी नहीं हो सकता है, लेकिन अगर इस मुद्दे को कभी व्यापक रूप से स्वीकारा नहीं जाएगा तो इसमें कभी भी सुधार नहीं आ सकता है।
एक अन्य प्रकार का अपराध सीधे तौर पर सोशल मीडिया और इंटरनेट के जरिये किया जाता है। यह साइबर अपराध है। नेटबैंकिंग और डिजिटल भुगतान पर जोर दिए जाने के साथ ही यह समस्या भी बढ़ रही है। एक अन्य दोस्त (पुलिस वाला नहीं है) ने हाल में नेटबैंकिंग के साथ सेवा की गुणवत्ता से जुड़ी समस्या के बारे में शिकायत करने के लिए सोशल मीडिया का सहारा लिया। ट्विटर पर उन्हें जो पहली तीन प्रतिक्रियाएं मिलीं, वे फर्जी खातों से थीं, जो बिल्कुल उस बैंक के जैसी ही थीं जहां वह खाताधारक हैं।
इस तरह का फर्जीवाड़ा बड़े पैमाने पर और लगभग रोज ही होता है। घोटालेबाज खुद को बैंक या फिनटेक (वित्तीय प्रौद्योगिकी) कंपनी का बताकर रोजाना आने वाले लाखों संदेशों को चुराते हैं और ‘कुछ’ ऐसी जानकारियां मांगते हैं जिससे वे लक्षित लोगों के खाते से कुछ नकदी निकाल सकें।
यह तरीका एक केवाईसी (नो योर कस्टमर) अपडेट हो सकता है, जिसमें पीड़ित को एक नकली वेबसाइट पर विवरण भरने के लिए कहा जाएगा जो लगभग असली वेबसाइट की तरह दिखती है। यह भी संभव है कि फर्जीवाड़ा करने वाला व्यक्ति किसी खाताधारक को अपने ऐप ‘अपडेट’ करने के लिए कह सकता है और उसको एक नकली ऐप डाउनलोड करने के लिए निर्देशित कर सकता है जो लगभग असली ऐप की तरह दिखता है। यह अन्य सामान्य घोटालों की तुलना में अधिक शातिराना अंदाज में तैयार की गई योजना होती है जिसमें लोगों को ‘घर से काम करने’ के लिए बड़ी रकम की पेशकश की जाती है। इसके अलावा कुछ अन्य तरह के घोटालेबाज भी हैं जो बैंक से होने का नाटक करते हुए कॉल करते हैं और पासवर्ड मांगते हैं।
इस तरह के हथकंडों में अहम बात यह है कि ये लागत प्रभावी हैं। हालांकि इनकी सफलता की दर बहुत कम है क्योंकि ज्यादातर लोग संदेह करते हैं। लेकिन 10,000 में से कोई एक व्यक्ति तो सचमुच में इस तरह के फर्जी लिंक पर क्लिक कर ही सकता है। घोटालेबाजों को लाखों लोगों तक ऐसे संदेश भेजने के लिए बहुत कम खर्च करना पड़ता है। एक चतुर घोटालेबाज सफलता के साथ पैसे हथिया कर बिना कोई निशान छोड़े गायब हो सकता है।
पीड़ित व्यक्ति के लिए इसका निवारण आसान नहीं है। साइबर अपराध की शिकायत दर्ज करना वास्तव में उतना पीड़ादायक नहीं है। लेकिन कोई व्यक्ति जो तकनीकी रूप से उतना समझदार नहीं है उसे ऐसे फर्जीवाड़े से जूझने के बाद की प्रक्रिया को समझने में भी काफी मुश्किल आएगी। आमतौर पर बुजुर्ग पीड़ितों को इस तरह के घोटाले का पता तब चलता है जब उनके बैंक खाते का पूरा पैसा ऑनलाइन तरीके से हथिया लिया जाता है।
आप इससे कैसे निपटते हैं? जाहिर तौर पर इस स्थिति के बारे में बात करना और इस प्रकार व्यापक जागरूकता बनाना ही इसके समाधान का हिस्सा होना चाहिए। दरअसल, बैंक- गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां और फिनटेक खाताधारकों को संदेश भेजते हैं, जिसमें उन्हें पासवर्ड किसी को न बताने और अपना केवाईसी अपडेट करने के लिए कहा जाता है।
लेकिन उन्हें इस मुद्दे के प्रचार-प्रसार करने के लिए कुछ और कदम उठाने की आवश्यकता है। हालांकि कोई वित्तीय सेवा प्रदाता ऐसा नहीं करना चाहता है क्योंकि उन्हें इस बात का ख्याल भी रखना पड़ता है कि इन बातों से कहीं संभावित ग्राहक न डर जाएं। उदाहरण के तौर पर एक नया बैंक खाता या एक नया फिनटेक खाता खोलने वाले हर व्यक्ति को अनिवार्य चेतावनी पर ध्यान देना चाहिए कि वे कुछ ऐसी मूर्खता न करें कि उनके खातों का पैसा ही सुरक्षित न रहे।
इस संदेश को विभिन्न भाषाओं वाली आवाज के साथ बड़े रंगीन फॉन्ट में बताया जाना चाहिए। वित्तीय सेवा प्रदाताओं को भी सोशल मीडिया पर नियमित रूप से आम घोटालों के बारे में संदेश भेजना चाहिए और यह भी बताना चाहिए कि इनसे कैसे बचा जा सकता है। वित्तीय संस्थानों को साइबर अपराध की शिकायतें दर्ज करने की प्रक्रिया आसान बनाने के लिए अधिकारियों की लॉबीइंग करने की भी आवश्यकता है। उदाहरण के तौर पर शिकायत दर्ज करने की पूरी प्रक्रिया का वीडियो पीड़ितों के लिए बनाया जाना चाहिए। इसके साथ-साथ उन्हें निश्चित रूप से बैंक खातों की अपराधियों तक पहुंच को और अधिक कठिन बनाने के तरीकों पर भी काम करना चाहिए। लेकिन जागरूकता बढ़ाना और संभावित पीड़ितों को संवेदनशील बनाना एक ऐसी रणनीति है जिस पर काम करना चाहिए।