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H1-B वीजा के नए नियमों से आईटी सेक्टर में घबराहट, भारतीय पेशेवरों और छात्रों में हड़कंप

शनिवार देर रात व्हाइट हाउस ने एक स्पष्टीकरण जारी किया कि यह शुल्क केवल नए एच1बी वीजा आवेदन पर लागू होगा।

Last Updated- September 21, 2025 | 11:02 PM IST
H-1B visa

अमेरिका के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने 19 सितंबर को अचानक एक नए आदेश के तहत एच1-बी वीजा शुल्क बढ़ाने की घोषणा की। इससे एच1-बी वीजा पर काम कर रहे हजारों भारतीय पेशेवरों के बीच चिंता, घबराहट और अविश्वास का माहौल पैदा हो गया। दक्षिण तमिलनाडु के एक तकनीकी विशेषज्ञ अरुण कुमार (बदला हुआ नाम) लगभग 15 वर्षों से एच1-बी वीजा पर मिशिगन में एक वैश्विक कंपनी के लिए काम कर रहे हैं। वह दो सप्ताह के लिए तमिलनाडु आए थे और 3 अक्टूबर को वापस जाने वाले थे। मगर तभी वीजा शुल्क में वृद्धि की खबर आ गई जिसे उन्होंने ‘डॉनल्ड ट्रंप का झटका’ करार दिया है।

कुमार ने कहा, ‘मेरे पास महज 30 घंटे बचे थे। मेरे गृहनगर से चेन्नई तक की यात्रा में ही कम से कम 8 घंटे लगते हैं। मैंने तुरंत सीधी उड़ान के टिकट देखे, लेकिन किराया बढ़कर करीब 2,000 डॉलर तक पहुंच गया था जबकि मेरी शुरुआती बुकिंग 600 डॉलर की थी। घबराहट के बीच कुछ समय बाद ही टिकट अनुपलब्ध दिखने लगे।’

एक अमेरिकी बहुराष्ट्रीय कंपनी होने के बावजूद उसे शुरुआती दिशानिर्देश देने में 8 घंटे लग गए, क्योंकि उसे भी नए नियमों को समझने में दिक्कत हो रही थी। कुमार ने मे​क्सिको या कनाडा के जरिये अमेरिका जाने के अन्य विकल्प भी तलाशे लेकिन कोई रास्ता नहीं सूझा। अगले दिन तक वह हार मान चुके थे। कुमार ने कहा, ‘चिंता अभी खत्म नहीं हुई है। इस पूरे घटनाक्रम ने मानसिक दबाव और घबराहट पैदा कर दी है।’

न्यू जर्सी में महेश कुमार (बदला हुआ नाम) ने अपने माता-पिता के साथ 21 सितंबर को होने वाली एक पारिवारिक क्रूज यात्रा रद्द कर दी। एक भारतीय आईटी सेवा कंपनी के वरिष्ठ अ​धिकारी ने कहा, ‘मैंने न जाने का निर्णय लिया है। वे कह रहे हैं कि जिनके पास पहले से ही एच-1बी वीजा है या जो नवीनीकरण का इंतजार कर रहे हैं, उन पर इसका कोई असर नहीं पड़ेगा, लेकिन मैं यहीं रहूंगा।’

शनिवार देर रात व्हाइट हाउस ने एक स्पष्टीकरण जारी किया कि यह शुल्क केवल नए एच1बी वीजा आवेदन पर लागू होगा। जो लोग नवीनीकरण करवा रहे हैं या जिनके पास पहले से एच1बी वीजा है, उन पर इसका कोई असर नहीं पड़ेगा। मगर इसका मतलब यह नहीं है कि अनिश्चितता कम हुई है।

माइक्रोसॉफ्ट, एमेजॉन और कई भारतीय आईटी कंपनियों ने एच1बी वीजा पर अपने कर्मचारियों को 22 सितंबर तक अमेरिका लौटने और अगर वे अमेरिका में हैं तो वहीं रहने का निर्देश दिया है। अमेरिकी प्रशासन की ओर से जारी स्पष्टीकरण के बावजूद ऐसा हो रहा है।

रजत देशपांडे (बदला हुआ नाम) शिक्षा के लिए अमेरिका गए थे और इसके लिए उन्होंने 50 लाख रुपये का कर्ज लिया था। उन्हें पिछले साल ही नौकरी मिली। मगर उनका मानना ​​है कि मौजूदा हालात जिंदगी को अ​धिक मुश्किल बना रहे हैं और नए नियमों से असमंजस की स्थिति बनी हुई है।

देशपांडे ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया, ‘यह नए स्नातकों के लिए दोहरी मुसीबत है। खास तौर पर ऐसे समय में जब अमेरिका में तकनीकी विशेषज्ञों के लिए रोजगार बाजार में पहले से ही सुस्ती दिख रही है।

एक चिंता यह भी है कि वीजा नियमों में बदलाव के कारण नियोक्ता नए भारतीय स्नातकों को तरजीह नहीं देंगे।’ भारतीय छात्रों के लिए अमेरिका अब कोई आकर्षक विकल्प नहीं रहा। एक भारतीय छात्र की माता ने कहा, ‘अमेरिका जाने का अब कोई मतलब नहीं है। मैं समझती हूं कि हर माता-पिता को अपने बच्चों को अमेरिका भेजने के निर्णय पर नए सिरे से विचार करना चाहिए।’

कई भारतीयों का अमेरिका जाने का सपना भले ही अधर में है, लेकिन सोशल मीडिया पर लोगों का कहना है कि यह भारत के लिए अपनी प्रतिभा को वापस पाने का एक अवसर हो सकता है। लोगों ने यह भी कहा है कि इससे दुनिया भर में प्रतिभाओं के आनेजाने का तरीका बदल जाएगा।

लिंक्डइन पर एक संस्थापक ने लिखा है, ‘अंतरराष्ट्रीय छात्रों की संख्या में कमी होगी, विदेश में नौकरियां घटेंगी, बड़ी प्रौद्योगिकी कंपनियों की लागत बढ़ेगी और नवाचार की रफ्तार सुस्त पड़ जाएगी।’

हाईवाइपे के संस्थापक एवं सीईओ देवांग नेराल्ला ने लिंक्डइन पर एक पोस्ट में लिखा, ‘भारत के लिए यह एक चुनौती और अवसर दोनों है। चुनौती इसलिए है क्योंकि हमारे कई प्रतिभाशाली लोग अभी भी विदेश में काम करना चाहते हैं। मगर यह एक अवसर भी है क्योंकि यहां देश में ही वैश्विक स्तर का परिवेश तैयार किया जा सकता है।’ उद्योग विशेषज्ञों का कहना है कि एच1-बी वीजा शुल्क में अचानक हुए बदलाव का मतलब यह होगा कि कंपनियों को देश में मौजूद कौशल की कमी का पता लगाना होगा।

कानूनी अड़चन

कई आव्रजन वकीलों ने बिज़नेस स्टैंडर्ड से बातचीत में कहा कि राष्ट्रपति के इस कार्यकारी आदेश को अदालत में चुनौती दी जा सकती है। साइरस डी मेहता ऐंड पार्टनर्स पीएलएलसी के संस्थापक एवं मैनेजिंग पार्टनर साइरस मेहता ने अपने लिंक्डइन पोस्ट में कहा कि मुकदमेबाजी के खतरे और कॉरपोरेट अमेरिका एवं विश्वविद्यालयों के विरोध ने ट्रंप प्रशासन को थोड़ा पीछे हटने पर मजबूर किया है।

डेविस ऐंड एसोसिएट्स एलएलसी की भारत एवं जीसीसी प्रैक्टिस टीम की प्रमुख सुकन्या रमन ने कहा, ‘तकनीकी दिग्गज इसे चुनौती दे सकते हैं और आव्रजन वकीलों द्वारा 20 सितंबर 2025 तक मुकदमा दायर करने की उम्मीद है। इसमें कानूनी तौर पर दलील दी जाएगी कि राष्ट्रपति के पास कांग्रेस में अनुमोदन के बिना भारी वीजा शुल्क लगाने का अधिकार नहीं है।’

First Published - September 21, 2025 | 11:02 PM IST

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