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ब्रोकरों की तकनीकी गड़बड़ियों से निपटने के नियमों में होगा बदलाव, ‘टेक्नीकल ग्लिच’ का घटेगा दायरा

नियामक ने ‘टेक्नीकल ग्लिच’ की परिभाषा को सीमित करने का प्रस्ताव दिया है ताकि ब्रोकर के नियंत्रण से बाहर के व्यवधानों को इससे अलग रखा जा सके।

Last Updated- September 22, 2025 | 10:10 PM IST
SEBI

भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने सोमवार को एक परामर्श पत्र जारी किया। इसमें ब्रोकरों के इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग सिस्टम में तकनीकी गड़बड़ियों से निपटने के लिए मौजूदा व्यवस्था की समीक्षा करने और उसे ज्यादा बेहतर बनाने का प्रस्ताव किया गया है।

नियामक ने ‘टेक्नीकल ग्लिच’ की परिभाषा को सीमित करने का प्रस्ताव दिया है ताकि ब्रोकर के नियंत्रण से बाहर के व्यवधानों को इससे अलग रखा जा सके। इन व्यवधानों में क्लाउड प्रदाता, मार्केट इन्फ्रास्ट्रक्चर संस्थाएं (जिनमें एक्सचेंज और क्लियरिंग कॉरपोरेशन शामिल हैं), पेमेंट गेटवे या बैक-ऑफिस सिस्टम से जुड़ी खराबियां शामिल हैं।

नई व्यवस्था केवल उन ब्रोकरों पर लागू होगी जो इंटरनेट-आधारित ट्रेडिंग (आईबीटी) या वायरलेस टेक्नोलॉजी (एसटीडब्ल्यूटी) प्लेटफॉर्म का उपयोग करके प्रतिभूतियों के कारोबार की सुविधा देते हैं और जिनके पास पिछले वित्त वर्ष के 31 मार्च तक 10,000 से अधिक पंजीकृत ग्राहक थे। लगभग 457 छोटे ब्रोकरों को इससे छूट मिलेगी। लिहाजा, कम तकनीकी क्षमता वाली कंपनियों की अनुपालन लागत कम हो जाएगी।

इसके अलावा, सेबी ने एक कॉमन रिपोर्टिंग प्लेटफॉर्म का भी प्रस्ताव किया है। किसी भी गड़बड़ी के दो घंटे के अंदर ब्रोकर को ग्राहकों और एक्सचेंजों को सूचित करना होगा, टी+1 दिन के अंदर प्रारंभिक घटना रिपोर्ट देनी होगी और 14 दिनों के अंदर समस्या के मूल कारण का विश्लेषण करना होगा।

सेबी ने ब्रोकरों के लिए अत्य​धिक ट्रेडिंग के हिसाब से सर्वर और नेटवर्क लोड का समय समय पर आकलन भी अनिवार्य किया है। एक्सचेंज लोड टे​स्टिंग, सॉफ्टवेयर बदलाव प्रबंधन और निगरानी के लिए दिशा-निर्देश जारी करेंगे। एक्सचेंजों द्वारा संचालित मॉनीटरिंग सिस्टम लॉगिंग ऐंड मॉनीटरिंग एपीआई (एलएएमए) रियल-टाइम गड़बड़ियों को ट्रैक करना जारी रखेगा।

बड़े ब्रोकरों को भौगोलिक क्षेत्रों में अलग-अलग डिजास्टर रिकवरी साइटें बनानी होंगी, नियमित अभ्यास करना होगा और रिकवरी पैरामीटर के तय करने होंगे। छोटे ब्रोकरों को इससे छूट रहेगी। सेबी ने एक्सचेंजों से जुर्माना प्रणाली को तर्कसंगत बनाने, छोटी घटनाओं या केवल एक ट्रेडिंग माध्यम (मोबाइल या वेब) को प्रभावित करने वाली घटनाओं को छूट देने के लिए कहा है।

उद्योग के लोगों का कहना है कि छोटे ब्रोकरों के लिए प्रस्तावित छूट से मध्यम स्तर के और छोटी इंटरमीडियरीज पर अनुपालन का बोझ कम होने की उम्मीद है, जबकि रिटेल डिजिटल ब्रोकिंग में दबदबा रखने वाली बड़ी कंपनियों को मजबूती, गवर्नेंस और ग्राहक पारदर्शिता के मामले में कड़े नियम-कायदों का सामना करना पड़ेगा। सेबी ने इन प्रस्तावों पर 12 अक्टूबर तक फीडबैक मांगा है। संशोधित व्यवस्था 1 नवंबर से लागू होगी।

First Published - September 22, 2025 | 10:06 PM IST

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