एयर इंडिया विमान हादसे ने पूरे देश को हिला दिया था। इस भीषण विमान हादसे की शुरुआती जांच में पायलट की गलती की ओर इशारा करने वाली जानकारी लीक हो गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने इसे “दुर्भाग्यपूर्ण” करार दिया है। लाइव लॉ की एक रिपोर्ट के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि यह “दुर्भाग्यपूर्ण” है कि एयर इंडिया विमान दुर्घटना की शुरुआती जांच रिपोर्ट से पायलट की गलती का संकेत देने वाली चुनिंदा जानकारी लीक हुई। बता दें कि 12 जून को हुए इस हादसे में कुल 260 लोगों की जान गई, जिनमें 241 यात्री और क्रू मेंबर विमान में सवार थे, जबकि 19 लोग जमीन पर मारे गए। केवल एक यात्री की जान बची।
न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति एन. कोटिश्वर सिंह की बेंच ने यह टिप्पणी एविएशन सेफ्टी संगठन सेफ्टी मैटर्स फाउंडेशन की याचिका पर सुनवाई के दौरान की। इस याचिका में 12 जून को हुए विमान हादसे की स्वतंत्र जांच की मांग की गई है, जिसमें 265 लोगों की मौत हुई थी।
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संगठन की ओर से पेश हुए वकील प्रशांत भूषण ने आरोप लगाया कि हादसे के बाद बनाई गई जांच कमेटी के तीन सदस्य DGCA से थे। इससे जांच में हितों के संभावित टकराव की आशंका जताई गई है।
लाइव लॉ के अनुसार, उन्होंने पूछा, “जिस संगठन की भूमिका की जांच होने की संभावना है, उसके अधिकारी जांच का हिस्सा कैसे हो सकते हैं?”
भूषण ने कहा कि पायलट के परिवार ने उनसे संपर्क किया था और शुरुआती जांच रिपोर्ट पर चिंता जताई थी। इस रिपोर्ट में हादसे की वजह फ्यूल कट-ऑफ बताई गई थी और पायलट की गलती की ओर इशारा किया गया था। उन्होंने आगे कहा कि अंतरराष्ट्रीय मीडिया समेत कई मीडिया संस्थानों ने भी यही खबरें चलाई है, जिससे पायलट की गलती की धारणा और मजबूत हो गई।
इस पर प्रतिक्रिया देते हुए न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने कहा, “यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण था। जानकारी को टुकड़ों में लीक करने के बजाय किसी को गोपनीयता बनाए रखनी चाहिए थी, जब तक कि नियमित जांच तार्किक निष्कर्ष तक नहीं पहुंच जाती।” उन्होंने यह भी कहा कि इस तरह की रिपोर्टिंग “बेहद गैर-जिम्मेदाराना” है।
याचिका में विमान के फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर को सार्वजनिक करने की भी मांग की गई, ताकि हादसे की असली वजह सामने आ सके। इसमें आरोप लगाया गया कि प्रारंभिक रिपोर्ट में कई अहम जानकारियां छुपाई गईं। इनमें डिजिटल फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर (DFDR) का पूरा आउटपुट, कॉकपिट वॉइस रिकॉर्डर (CVR) के पूरे ट्रांस्क्रिप्ट्स टाइम स्टैप के साथ, और इलेक्ट्रॉनिक एयरक्राफ्ट फॉल्ट रिकॉर्डिंग (EAFR) डेटा शामिल हैं।
इन मांगों पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अंतिम जांच रिपोर्ट का इंतजार करना जरूरी है। अदालत ने यह भी माना कि इस मामले में गोपनीयता, निजता और गरिमा जैसे पहलू भी जुड़े हुए हैं।