facebookmetapixel
MCap: रिलायंस और बाजाज फाइनेंस के शेयर चमके, 7 बड़ी कंपनियों की मार्केट वैल्यू में ₹1 लाख करोड़ का इजाफालाल सागर केबल कटने से दुनिया भर में इंटरनेट स्पीड हुई स्लो, माइक्रोसॉफ्ट समेत कई कंपनियों पर असरIPO Alert: PhysicsWallah जल्द लाएगा ₹3,820 करोड़ का आईपीओ, SEBI के पास दाखिल हुआ DRHPShare Market: जीएसटी राहत और चीन से गर्मजोशी ने बढ़ाई निवेशकों की उम्मीदेंWeather Update: बिहार-यूपी में बाढ़ का कहर जारी, दिल्ली को मिली थोड़ी राहत; जानें कैसा रहेगा आज मौसमपांच साल में 479% का रिटर्न देने वाली नवरत्न कंपनी ने 10.50% डिविडेंड देने का किया ऐलान, रिकॉर्ड डेट फिक्सStock Split: 1 शेयर बंट जाएगा 10 टुकड़ों में! इस स्मॉलकैप कंपनी ने किया स्टॉक स्प्लिट का ऐलान, रिकॉर्ड डेट जल्दसीतारमण ने सभी राज्यों के वित्त मंत्रियों को लिखा पत्र, कहा: GST 2.0 से ग्राहकों और व्यापारियों को मिलेगा बड़ा फायदाAdani Group की यह कंपनी करने जा रही है स्टॉक स्प्लिट, अब पांच हिस्सों में बंट जाएगा शेयर; चेक करें डिटेलCorporate Actions Next Week: मार्केट में निवेशकों के लिए बोनस, डिविडेंड और स्प्लिट से मुनाफे का सुनहरा मौका

स्मार्ट सिटी की परिकल्पना के क्या हैं मायने

स्मार्ट सिटी मिशन की सफलता, शहरी स्थानीय निकायों पर निर्भर करती है और राष्ट्रीय विकास रणनीतियों में उनकी एक बड़ी भूमिका तय करना अनिवार्य है। बता रहे हैं अमित कपूर और विवेक देवरॉय

Last Updated- January 23, 2023 | 10:37 PM IST
What is the meaning of the concept of smart city
इलस्ट्रेशन- अजय मोहंती

प्रधानमंत्री के महत्त्वाकांक्षी स्मार्ट सिटी अभियान में उन शहरों को बढ़ावा देने का विचार शामिल है जो अपने नागरिकों के जीवन और उनके रहन-सहन को आसान बनाते हुए सहूलियत दे सकें और जहां के मूल बुनियादी ढांचे के विकास के साथ-साथ एक साफ-सुथरे और लंबे समय तक अक्षुण्ण रहने वाला पर्यावरण हो। इसके अलावा स्मार्ट सिटी की परिकल्पना ऐसे शहर के तौर पर भी की गई है जहां डेटा से जुड़े ‘स्मार्ट समाधान’ को अपनाकर संसाधनों तक पहुंच बनाई जा सके।

स्मार्ट सिटी के तहत, शहर के सामाजिक, आर्थिक, भौतिक और संस्थागत स्तंभों पर व्यापक स्तर पर काम किया जाता है जिससे आर्थिक वृद्धि को बढ़ावा देने के साथ ही जीवन की गुणवत्ता बढ़ाने की कोशिश होती है। स्मार्ट सिटी अभियान का लक्ष्य एक ऐसे योग्य मॉडल का उदाहरण पेश करना है जो दीर्घकालिक और समावेशी विकास पर जोर देने के साथ अन्य महत्त्वाकांक्षी शहरों के लिए प्रेरणास्रोत के रूप में काम करता है।

हालांकि, शहरीकरण का यह नया चेहरा एकपक्षीय नहीं है बल्कि यह भारत के अपने लक्ष्य को हासिल करने के नए तरह के डिजिटल और दीर्घकालिक दृष्टिकोण अपनाने के प्रयास का नतीजा है। यह मूलभूत रूप से शासन के विभिन्न पहलुओं से जुड़ा हुआ है, विशेष रूप से इसका ताल्लुक स्थानीय शासन के स्तर पर सुधार से है ताकि शहरी स्थानीय निकायों और उनके प्रशासनिक माध्यमों को नवाचारों से लैस करने के साथ ही उन्हें और अधिक अनुकूल बनाया जा सके। इस प्रकार के सुधार का संबंध केवल इनकी फंडिंग से नहीं बल्कि स्मार्ट सिटी शासन में शहरी स्थानीय निकायों की भूमिका बढ़ाने से भी जुड़ा है।

भारत का स्मार्ट सिटी मिशन केंद्र सरकार की फंडिंग से चलाया जाने वाला कार्यक्रम है जो स्मार्ट सिटी प्रस्ताव के विभिन्न पहलों को लागू करने के लिए राज्य सरकारों और शहरी स्थानीय निकायों के समान योगदान की अनिवार्यता तय करता है। राज्यों से उम्मीद की जाती है कि वे स्मार्ट सिटी प्रस्ताव में शामिल पहलों के लिए विभिन्न स्रोतों से फंडिंग की संभावनाएं तलाशेंगे जिसमें राज्य और शहरी स्थानीय निकायों के संसाधन शामिल हैं जो उपयोगकर्ता शुल्क, लाभार्थी शुल्क, प्रभाव शुल्क, जमीन से मिलने वाली राशि और ऋण आदि से मिलते हैं।

अभियान की निगरानी तीन स्तरों पर की जाती है, राष्ट्रीय स्तर, राज्य और शहर के स्तर पर। राष्ट्रीय स्तर पर विचारों को मंजूरी देने, योजना की प्रगति पर नजर रखने और धन आवंटित करने की जिम्मेदारी एक शीर्ष समिति पर होती है जिसका नेतृत्व आवासीय एवं शहरी मामलों के मंत्रालय के सचिव करते हैं और इसमें संबंधित मंत्रालयों और संगठनों के अधिकारी शामिल होते हैं। राज्य स्तर पर, स्मार्ट सिटी मिशन की समग्र दिशा एक उच्चाधिकार संचालन समिति द्वारा निर्धारित की जाएगी और यह राज्य के मुख्य सचिव की अध्यक्षता में होगी।

इसके अलावा, नगरपालिका स्तर पर, जिलाधिकारी और एक बहुद्देश्यीय योजनाओं (एसपीवी) के मुख्य कार्याधिकारी, सभी स्मार्ट सिटी में स्मार्ट सिटी सलाहकार मंच तैयार करते हैं। इस मंच की जिम्मेदारी फंड जारी करना, स्मार्ट सिटी के विकास की परियोजनाओं की निगरानी और उनका आकलन करना है।

12वें वित्त आयोग की रिपोर्ट के अनुसार, 3,723 शहरी स्थानीय निकाय हैं, जिनमें से 109 नगर निगम हैं, 1,432 नगरपालिकाएं और 2,182 नगर पंचायत हैं। शहरी स्थानीय निकायों की बड़ी संख्या आवास, स्वच्छता, आजीविका, आईटी, स्वास्थ्य एवं शिक्षा, परिवहन और पर्यावरण सहित सभी महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों में वृद्धि की क्षमता के संकेत देती है। हालांकि, इन शहरी स्थानीय निकायों के कामकाज की जवाबदेही तय करने के साथ ही राजकोषीय अनुशासन बनाए रखना आवश्यक है।

स्मार्ट सिटी अभियान के माध्यम से, भारत को शहरी स्थानीय निकायों की क्षमता में सुधार पर ध्यान देने के साथ ही नए दौर के शासन की ओर प्रगति की जा सकती है। उदाहरण के तौर पर एसपीवी अनिवार्य रूप से नगरपालिकाओं की तरह काम करते हैं, लेकिन उनकी संरचना इस तरह है कि वे कम से कम 40 प्रतिशत निजी निवेश के साथ एक निजी कंपनी के रूप में पंजीकृत हैं और वे शहरी शासन को स्थायी कार्यकारी नेतृत्व के साथ स्थिरता का अहसास देते हैं। यह उम्मीद की जाती है कि यह स्थानीय सरकारों को अंतर-विभागीय तालमेल की ओर बढ़ने और शहर के निर्वाचित अधिकारियों, जैसे कि मेयर को कार्यकारी अधिकार का हस्तांतरण करे ताकि जवाबदेही के साथ शहरों का प्रबंधन सुनिश्चित किया जा सकता हैं।

शहरी स्थानीय निकाय, कई मायने में स्मार्ट सिटी की वृद्धि के लिए अनिवार्य है। इस अभियान की सफलता, प्रभावी नेतृत्व जैसे कारकों पर निर्भर करती है। सबसे महत्त्वपूर्ण बात यह है कि उनके जमीनी स्तर के संचालन के कारण, शहरी स्थानीय निकाय एक स्पष्ट नजरिया दे सकते हैं और शहर के निवासियों के बीच बेहतर समुदायों का निर्माण करने और प्रभावी एवं बेहतर विकास को बढ़ावा देने की इच्छा बढ़ा सकते हैं।

वे स्थानीय पर्यावरण के बारे में उपयोगी जानकारी का एक स्रोत भी हैं और इससे वैसी विशेष मांग सामने आती है जिसका समाधान निकालना अहम होता है ताकि यह आम सहमति की भी आवाज बने। सीमित क्षेत्राधिकार और वित्तीय बाधाओं के रूप में इनमें कुछ महत्त्वपूर्ण बाधाएं हैं। इससे न केवल उनकी काम करने की क्षमता बाधित होती है बल्कि बेहतर काम करने का उनका कौशल भी प्रभावित होता है।

ऐसे में, स्मार्ट सिटी मिशन और शहरी स्थानीय निकायों के बीच बेहतर तालमेल की परिकल्पना तभी की जा सकती है जब शहरी स्थानीय निकायों के दायरे को आगे बढ़ाया जाएगा। इन निकायों के कार्य और अधिकार क्षेत्र के दायरे को बढ़ाने के अलावा, यह देश में दीर्घकालिक शहरीकरण को बढ़ावा देने में स्थानीय शासन तंत्र की भूमिका को तवज्जो देने का मामला भी है। दीर्घकालिक और समावेशी शहरीकरण के क्षमता निर्माण के लिए राष्ट्रीय विकास रणनीतियों को शहरी स्थानीय निकायों के साथ जोड़ना अनिवार्य होगा।

इसके माध्यम से, इस अभियान को जवाबदेह बनाते हुए और पारदर्शिता के साथ शहरी शासन व्यवस्था में क्रांतिकारी बदलाव लाने होंगे तभी इसका शहरी विकास पर दीर्घकालिक प्रभाव पड़ेगा।

(कपूर, इंस्टीट्यूट फॉर कॉम्पिटिटिवनेस, इंडिया के अध्यक्ष और स्टैनफर्ड यूनिवर्सिटी के विजिटिंग स्कॉलर और व्याख्याता हैं। देवरॉय भारत के प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के अध्यक्ष हैं)

First Published - January 23, 2023 | 10:37 PM IST

संबंधित पोस्ट