पिछले पांच सालों में भारत के Tier-2 और Tier-3 शहरों ने हेल्थ इंश्योरेंस मार्केट में अपनी पकड़ मजबूत कर ली है। Policybazaar के आंकड़ों के मुताबिक, अब नए हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसियों में से 62% छोटे और मझौले शहरों से आ रही हैं।
पहले हेल्थ इंश्योरेंस खरीदने वाले ज्यादातर मेट्रो शहरों में रहते थे, लेकिन अब कहानी बदल गई है। डिजिटल ऑनबोर्डिंग, WhatsApp के जरिए सर्विस और क्षेत्रीय भाषा में जानकारी के कारण छोटे शहरों में भी लोगों को आसानी से पॉलिसी मिल रही है। इस बदलाव से पहली बार इंश्योरेंस लेने वालों की संख्या बढ़ रही है।
पॉलिसी शेयर का बदलाव (FY22 → FY26):
Tier-1: 46% – 38%
Tier-2: 23% – 24%
Tier-3: 31% – 38%
छोटे शहरों में अब बड़ी कवर वाली पॉलिसियां भी आम हो गई हैं।
Tier-2:
₹10–14 लाख: 27% – 47%
₹15 लाख से ऊपर: 1% – 13%
Tier-3:
₹10–14 लाख: 24% – 49%
₹15 लाख से ऊपर: 3% – 14%
इस बदलाव के पीछे बढ़ती मेडिकल लागत, महामारी के बाद जागरूकता और छोटे कवर वाली पॉलिसियों की सीमित सुरक्षा प्रमुख कारण हैं।
लोग अब केवल सस्ती पॉलिसी नहीं बल्कि बेहतर सुरक्षा चाहते हैं।
ऐड-ऑन अपनाने की वृद्धि:
Tier-1: 228%
Tier-2: 207%
Tier-3: 179%
औसतन,
Tier-1 ग्राहक 2.2 ऐड-ऑन चुनते हैं
Tier-2 ग्राहक 2 ऐड-ऑन
Tier-3 ग्राहक 1.7 ऐड-ऑन
लोकप्रिय ऐड-ऑन: चिकित्सा सामग्री (Consumables), कमरे का किराया (Room Rent), बाह्य रोगी देखभाल (OPD), मातृत्व (Maternity), संचयी बोनस (Cumulative Bonus) आदि।
आज बिकने वाली लगभग सभी पॉलिसियां (96%) मॉड्यूलर हैं।
ये पॉलिसियां OPD, मॉडर्न ट्रीटमेंट, कंज्यूमेबल्स, मैटरनिटी और नो-क्लेम बोनस जैसी सुविधाएं देती हैं।
मझौले शहरों में ये पॉलिसियां खास असर डालती हैं क्योंकि यह परिवारों के खर्च को कम करती हैं, खासकर प्राइवेट अस्पतालों में।
FY23 में EMI विकल्प आने के बाद छोटे शहरों में पॉलिसी खरीदना और आसान हो गया। 40% से ज्यादा Tier-3 ग्राहक अब मासिक किश्तों में पॉलिसी खरीद रहे हैं। इससे युवा माता-पिता, छोटे व्यापारी और गिग वर्कर्स भी बड़े कवर वाली पॉलिसियां ले पा रहे हैं।
टियर-2 और टियर-3 शहरों में परिवारों की पसंद: फैमिली फ्लोटर पॉलिसी
छोटे शहरों और कस्बों में परिवार की संरचना पॉलिसी चुनने में बड़ा असर डालती है।
यहां के परिवार ज्यादातर फैमिली फ्लोटर प्लान्स लेना पसंद करते हैं, जो पूरे परिवार या कई पीढ़ियों को कवर करते हैं।
यानी, टियर-2 और टियर-3 क्षेत्रों में व्यक्तिगत पॉलिसी के बजाय कवर-ऑल फैमिली प्लान ज्यादा पसंद किए जा रहे हैं।
रिन्यूअल और नई पॉलिसी की बिक्री एक साथ बढ़ रही है
पहले टियर-2/3 शहरों में हेल्थ इंश्योरेंस की बिक्री मुख्य रूप से नए खरीदारों पर निर्भर थी।
अब, नई बिक्री के साथ-साथ रिन्यूअल भी बढ़ रही है, जो यह दर्शाता है कि:
लोगों में हेल्थ इंश्योरेंस के प्रति जागरूकता बढ़ रही है।
पॉलिसी छोड़ने वालों की संख्या कम हो रही है।
हेल्थ इंश्योरेंस अब घर के मासिक बजट में शामिल हो रहा है।
ग्राहक अब इसकी वास्तविक जरूरत और लाभ को समझ रहे हैं और साल दर साल कवर बनाए रख रहे हैं।
दावे (Claims) अभी भी अस्पताल आधारित हैं: 80% दावे इनपेशेंट के
दावा डेटा दिखाता है कि लोग अपनी पॉलिसी का उपयोग कैसे कर रहे हैं। टियर-2/3 शहरों में दावा वितरण इस तरह है:
अस्पताल में भर्ती (Hospitalisation): 80.70%
बाह्य रोगी (OPD): 11.90%
डे-केयर (Day-care): 6.70%
प्रसूति (Maternity): 0.60%
डायग्नोस्टिक्स (Diagnostics): 0.10%
यह बताता है कि:
मुख्य रूप से लोग इनपेशेंट इलाज के लिए इंश्योरेंस का उपयोग कर रहे हैं।
OPD और डे-केयर अब कुल दावों का लगभग 20% बन रहे हैं, यानी उपयोग धीरे-धीरे बढ़ रहा है।
अस्पताल खर्च बढ़ने के कारण लोग उच्च कवर राशि वाले प्लान खरीद रहे हैं।
Siddharth Singhal, Head of Health Insurance, Policybazaar: “भारत में हेल्थ इंश्योरेंस की बढ़त अब टियर-2 और टियर-3 शहरों से आ रही है। खास बात यह है कि लोग सिर्फ पॉलिसी नहीं खरीद रहे, बल्कि बेहतर कवर, मॉड्यूलर प्लान और EMI विकल्प चुन रहे हैं। यह दिखाता है कि लोग स्वास्थ्य खर्च को समझकर लंबी अवधि की सुरक्षा की योजना बना रहे हैं।”
हाल के आंकड़े बताते हैं कि अब हेल्थ इंश्योरेंस की सबसे तेज़ बढ़त छोटे शहरों में हो रही है। टियर-2 और टियर-3 शहरों से आने वाली नई पॉलिसियों का हिस्सा 62% तक पहुंच गया है, यानी अब मेट्रो शहरों की बजाय छोटे शहर मुख्य मांग केंद्र बन गए हैं।
छोटे शहरों में भी लगभग हर दूसरी नई पॉलिसी ₹10–15 लाख के कवर के साथ ली जा रही है। यह दर्शाता है कि लोग अब बड़ी सुरक्षा की ओर बढ़ रहे हैं।
टियर-3 शहरों में 40% से अधिक ग्राहक अब प्रीमियम मासिक किश्तों में चुकाते हैं। इससे हेल्थ इंश्योरेंस छोटे शहरों के लिए और सुलभ बन रहा है।
ऐड-ऑन और मॉड्यूलर प्लान्स की बढ़ती लोकप्रियता यह दिखाती है कि लोग अपनी सुरक्षा को अपग्रेड करना पसंद कर रहे हैं।
नई पॉलिसियों के साथ-साथ रिन्यूअल की दर में बढ़ोतरी यह बताती है कि लोग हेल्थ इंश्योरेंस को लंबे समय तक अपनाने लगे हैं।
छोटे शहरों में लगभग 60% पॉलिसियां फैमिली फ्लोटर के रूप में ली जा रही हैं, जो पूरे परिवार की सुरक्षा सुनिश्चित करती हैं।
80% से अधिक क्लेम अस्पताल में इलाज के लिए आते हैं। यानी छोटे शहरों में हेल्थ इंश्योरेंस अभी भी मुख्यतः गंभीर या इनपेशेंट इलाज के लिए इस्तेमाल हो रहा है।
ओपीडी और डे-केयर क्लेम मिलाकर लगभग 20% हैं, जो दर्शाता है कि लोग अब सिर्फ हॉस्पिटलाइजेशन तक सीमित नहीं रह रहे हैं।
छोटे शहरों में उच्च कवर वाली पॉलिसियां बढ़ रही हैं और हॉस्पिटलाइजेशन कवरेज अब भी सुरक्षा योजना का केंद्र बना हुआ है।