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नीति नियम: एआई के असर के अनुमानों में भारी विविधता

आर्टिफिशल इंटेलिजेंस यानी एआई के विकास बाद जो तकनीकी क्रांति घटित होती दिख रही है उसकी किसी ऐतिहासिक तुलना के बारे में विचार कर पाना मुश्किल है।

Last Updated- June 02, 2025 | 10:35 PM IST
artificial intelligence
प्रतीकात्मक तस्वीर | फाइल फोटो

आर्टिफिशल इंटेलिजेंस यानी एआई के विकास बाद जो तकनीकी क्रांति घटित होती दिख रही है उसकी किसी ऐतिहासिक तुलना के बारे में विचार कर पाना मुश्किल है। गति और संभावना दोनों ही मामलों में एआई असाधारण प्रतीत होता है।

इसकी तुलना 19वीं सदी के सबसे प्रभावशाली विकास, मिसाल के तौर पर भाप के इंजन से करें।  भाप के इंजन का पहला नमूना वेल्श कोयला खदान में 1804 में चलाया गया था। लेकिन लंबी दूरी की पहली रेल सेवा 1830 में शुरू हो पाई। हालिया दशकों के सबसे प्रभावशाली तकनीकी बदलाव यानी इंटरनेट से तुलना करें तो भी एआई की गति बहुत ही तेज है।

बहरहाल, वास्तविक मुद्दा यह है कि अतीत की कुछ ही तकनीक ऐसी रहीं जिनकी बदौलत इतनी अनिश्चितता पैदा हुई। यह सही है कि कोई यह अनुमान नहीं लगा सका था कि इंटरनेट समाज में क्या बदलाव लाएगा, लेकिन एआई के प्रभाव को लेकर लोगों की अपेक्षाओं में खासा अंतर है। आइए बात करते हैं उन चार क्षेत्रों की जिनके मामले में एआई के प्रभाव के अनुमानों ने भारी अंतर दर्शाया है।

वैश्विक असमानता: पिछली कई तकनीक ऐसी रहीं जिन्होंने विकसित और विकासशील देशों के बीच समता कायम करने में मदद की। आईटी क्रांति और इंटरनेट ने भारत के लोगों को कुछ सेवाओं के मामले में पश्चिम की कंपनियों और लोगों से प्रतिस्पर्धा के योग्य बनाया। नई तकनीक द्वारा निर्मित आर्थिक अधिशेष फिर चाहे वह उपभोक्ताओं का हो या उत्पादकों का, विभिन्न देशों के बीच साझा किया गया।

हमें नहीं पता कि एआई के लिए भी यह बात सही होगी या नहीं। एक दृष्टिकोण यह है कि एआई का विस्तार हर जगह कामगारों की उत्पादकता बढ़ाएगा। यह भाषाई अंतरों के कारण उत्पन्न दिक्कतों को हल करेगा और क्षमता की कमी से जूझ रहे विकासशील देशों में सरकारी सेवाओं के लिए अधिक किफायती प्रावधान करेगा। इसका विभिन्न देशों के कल्याण पर भी समतापूर्ण प्रभाव पड़ेगा। परंतु कुछ अन्य लोगों का मानना है कि एआई के मामले में पहले कदम उठाने वाले को पिछली तकनीकों की तुलना में कहीं अधिक लाभ हासिल होगा क्योंकि उनका अनुकरण करना आसान था। जिनके पास अधिक कंप्यूटिंग क्षमता होगी, जो अपने अलगोरिद्म को जल्दी प्रशिक्षित कर सकेंगे, उन्हें इसमें बढ़त हासिल हो सकती है। अधिकांश एआई मॉडल्स में इस्तेमाल किए जाने वाले पेटेंट और स्वामित्व सूचना केवल कुछ देशों तक सीमित वित्त के पूल द्वारा नियंत्रित होती हैं। ऐसे में उन्हें असमान रूप से लाभ होगा।

दूसरे शब्दों में कहें तो हम निश्चित तौर पर नहीं कह सकते कि एआई से विकासशील और विकसित देशों के बीच का अंतर कम होगा या बढ़ेगा।

रोजगार: सभी तकनीकें जब उद्योग जगत में पेश की गईं तो या तो उन्होंने रोजगार तैयार किए या उन्हें खत्म किया। परंतु एआई के साथ अनुमान खासतौर पर विशिष्ट हैं। डेरियो अमोदेई जो एंथ्रोपिक एआई के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं, उन्होंने पिछले दिनों एक्सियोस से कहा कि उनका सबसे अच्छा अनुमान यह है कि ‘एआई अगले एक से पांच साल में शुरुआती स्तर के आधे दफ्तरी कामकाज की जगह ले लेगा और बेरोजगारी में 20 फीसदी तक का इजाफा होगा।’ उन्होंने कहा कि सरकारों को तकनीक, वित्त, कानून,  परामर्श तथा अन्य पेशों में बड़े पैमाने पर नौकरियां जाने को लेकर तैयार रहना चाहिए।

दूसरों का दावा है कि लंबी अवधि में एआई का सकारात्मक असर होगा जो उत्पादकता में वृद्धि के रूप में सामने आएगा। उसके बाद चौतरफा नई भूमिकाएं तैयार होंगी और वेतन भत्ते भी नए रूप में सामने आएंगे। अधिकांश नियोक्ता अमोदेई से सहमत नहीं हैं। विश्व आर्थिक मंच के सर्वेक्षण पर आधारित एक रिपोर्ट में अनुमान जताया गया है कि एआई के कारण 2030 तक करीब 9.2 करोड़ नौकरियां जाएंगी लेकिन 17.8 करोड़ नए रोजगार तैयार होंगे। उनके सर्वेक्षण में शामिल 1,000 बड़े वैश्विक नियोक्ताओं ने पाया कि आधे से अधिक लोगों का अनुमान है कि 2030 तक उनका वेतन बिल बढ़ेगा जबकि 8 फीसदी लोगों ने राजस्व में वेतन की हिस्सेदारी कम होने की उम्मीद की।

रचनात्मकता: एआई इंसानी रचनात्मकता में क्या करेगा? बेहतर से बेहतर एआई इंजन के आगमन के बाद हम खुद को अधिक अभिव्यक्त कर सकेंगे या कम? इस पर मत बंटे हुए हैं। तमाम सोशल नेटवर्क में एआई द्वारा तैयार दृश्य कला रूप उपस्थित हैं। अधिकांश छोटे कारोबार अब नि:शुल्क एआई चित्र तैयार करके काम चला रहे हैं। चित्रों का निर्माण, संगीत और गीत आदि इस बात पर निर्भर हैं कि एआई को किस गुणवत्ता के कमांड दिए जा रहे हैं। ये इंसानी रचनाकारों की प्रतिभा और उनके कौशल पर आधारित नहीं हैं।

इंसानी कलाकार और डिजाइनर कहते हैं कि यह जेनरेटिव नहीं बल्कि रीजेनरेटिव है। यानी वास्तविक कलाकारों ने जो कलाकृतियां बना दी हैं ऑनलाइन अलगोरिद्म उनका अकल्पनीय मिश्रण करके इन्हें तैयार करता है। अगर नई कलाकृतियां नहीं बनेंगी तो एआई आधारित कला रूप बस पुरानी कलाकृतियों का अनुकरण ही करता रह जाएगा। नवीनता केवल इंसान ही पैदा कर सकता है और अगर उन्हें ही रचनात्मक प्रक्रिया से बाहर कर दिया जाएगा तो रचनात्मकता में शायद इतिहास में पहली बार ठहराव की स्थिति बन जाएगी।

मनुष्यता का अस्तित्व: औद्योगिक क्रांति जीवाश्म ईंधन पर आधारित थी जिसके चलते आखिरकार ग्लोबल वार्मिंग की स्थिति बनी और कई इंसानी समुदायों के अस्तित्व को ही खतरा उत्पन्न हो गया। कुछ लोगों का मानना है कि एआई के जोखिम अधिक तात्कालिक और बड़े हैं। यहां तक कि दो साल पहले सिलिकन वैली के कुछ लोगों ने भी चेतावनी दी थी कि एआई से संबंधित जोखिम चकित करने जैसे बड़े हैं। सेंटर फॉर एआई सेफ्टी ने जून 2023 में कहा था कि महामारी और परमाणु युद्ध जैसे अन्य जोखिमों के साथ-साथ एआई के कारण विनाश के जोखिम को कम करना वैश्विक प्राथमिकता होनी चाहिए। वहीं एमआईटी के एक वरिष्ठ शोधकर्ता ने मजाक में कहा कि एआई के कारण इंसानी अस्तित्व को खतरे के अभी उतने ही सबूत हैं जितने 1950 के दशक में थे। इससे अधिक स्पष्ट अंतर खोजना कठिन है: प्रौद्योगिकी से जुड़े एक समूह का मानना है कि यह हम सभी को मार सकता है, और दूसरा समूह सोचता है कि यह हमें अमर बना सकता है।

First Published - June 2, 2025 | 10:13 PM IST

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