शेयर बाजार सूचकांक बीते कुछ दिनों में रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच चुके हैं और उनमें व्यापक गतिशीलता देखने को मिली है। पहले स्मॉल कैप और मिड कैप सूचकांक नई ऊंचाई पर पहुंचे और उसके बाद सेंसेक्स और निफ्टी में तेजी आई। सोमवार को पहली बार सेंसेक्स 65,000 के स्तर के ऊपर बंद हुआ।
बेंचमार्क निफ्टी में विगत 12 महीनों में 21.8 फीसदी की तेजी आई है जबकि मिड कैप और स्मॉल कैप सूचकांक क्रमश: 34.5 फीसदी और 30 फीसदी बढ़े। बीते तीन महीनों में जो तेजी आई है वह मोटे तौर पर विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीओ) की बदौलत है जिन्होंने 2023-24 में करीब 1.14 लाख करोड़ रुपये की खरीदारी की। इसके अलावा खुदरा निवेशकों ने भी मजबूती दिखाई और प्रत्यक्ष रूप से तथा म्युचुअल फंड के माध्यम से निवेश किया तथा घरेलू संस्थानों ने भी अच्छी खरीद दर्शाई।
सेक्टर सूचकांकों पर नजर डालने से भी व्यापक तेजी का संकेत मिलता है। अधिकांश सेक्टरों में गत वर्ष दो अंकों में वृद्धि दर्ज की गई है। इस दौरान निफ्टी आईटी सूचकांक और तेल एवं गैस जैसे कमजोर प्रदर्शन वाले सूचकांक भी क्रमश: 5.3 फीसदी और 3.5 फीसदी तेज हुए। दैनिक उपयोग की उपभोक्ता वस्तुओं, बैंक, अचल संपत्ति और धातु आदि क्षेत्रों में 30 फीसदी से अधिक का प्रतिफल मिला जबकि वाहन सूचकांक ने 29 फीसदी का प्रतिफल दिया।
परंतु सबसे कामयाब रहा सरकारी बैंकों का सूचकांक जो 67.9 फीसदी बढ़ा। वृद्धि में सुधार को लेकर व्याप्त आशावाद के चलते बाजार में सुधार देखने को मिला। हालांकि मुनाफे की वृद्धि में कमी आई और वह गत दो वर्ष के असाधारण स्तर से नीचे आया। इस बीच राजस्व वृद्धि अवश्य बढ़ी। ऋण में वृद्धि से यह संकेत मिलता है कि कारोबार और उपभोक्ता दोबारा ऋण ले रहे हैं। वित्त वर्ष 2023 की चौथी तिमाही में दैनिक उपभोक्ता वस्तुओं का राजस्व बढ़ा है और दोपहिया वाहनों की बिक्री भी बढ़ी है। अधिकांश बड़ी कंपनियों के प्रबंधन अनुमान भी आशावादी है।
मई 2022 में दरों में इजाफे का सिलसिला शुरू करने के बाद भारतीय रिजर्व बैंक ने फिलहाल उसे रोक दिया है। मुद्रास्फीति का रुझान भी सहज हुआ है और उपभोक्ता मूल्य सूचकांक मई 2023 में 4.25 फीसदी पर रहा जो रिजर्व बैंक के 4 फीसदी के लक्ष्य के करीब है। घटती मुद्रास्फीति में एक अहम योगदान कच्चे तेल, प्राकृतिक गैस और कोयले की कीमतों में स्थिरता का भी है जो ऊर्जा की कमी झेल रही और उसकी जरूरत वाली भारतीय अर्थव्यवस्था से दबाव कम कर रही है।
हालांकि सूचकांक रिकॉर्ड ऊंचाई पर हैं लेकिन मूल्यांकन अभी भी कम है। निफ्टी अभी भी 22.4 के मूल्य आय अनुपात पर है जबकि 2021 के आरंभ में यह 40 पर था। पांच वर्ष के औसत मूल्यांकन की बात करें तो मूल्य आय अनुपात 26.5 रहा है जो मौजूदा मूल्यांकन से अधिक है। इसी प्रकार मिड कैप और स्मॉल कैप भी पहले से कम मूल्यांकन पर हैं। इसका असर यह है कि बाजार वास्तव में अधिक कीमत और मूल्यांकन पर टिके रह सकते हैं।
बाजार से जुड़ी एक पुरानी कहावत है कि जब बाजार में ज्वार आता है तो उस स्थिति में तमाम नौकाएं तैर जाती हैं। ऐसे में प्राथमिक बाजार में गतिविधियों में सुधार की संभावना है क्योंकि द्वितीयक बाजार में भी तेजी है। सरकार के लिए यह अवसर हो सकता है कि वह विनिवेश योजनाओं पर नए सिरे से बल दे। ये योजनाएं पिछले कुछ समय से ठंडे बस्ते में हैं। अगर निवेशक भारतीय शेयर खरीदने के इच्छुक हैं तो सरकार को बाजार के हालात का लाभ लेना चाहिए और विनिवेश को बढ़ावा देना चाहिए। हालांकि सरकार की राजकोषीय स्थिति अच्छी है लेकिन अतिरिक्त राजस्व का इस्तेमाल पूंजीगत व्यय बढ़ाने के लिए किया जा सकता है।