सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक विकसित भारत 2047 के वास्ते वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा और बड़े पैमाने पर सरकारी बैंकों की रणनीति पर विचार-विमर्श करेंगे। इसमें नियामक प्रबंधन में बदलाव और आने वाले समय में संभावित हिस्सेदारी में कमी शामिल हो सकती है। एक वरिष्ठ बैंकर ने यह जानकारी दी है।
ये विमर्श शुक्रवार, 12 सितंबर से शुरू हो रहे दो दिवसीय सरकारी बैंक मंथन सम्मेलन का हिस्सा होंगी। सूत्र ने बताया, ‘दो दिवसीय मंथन में सरकारी बैंकों से जुड़े कई मुद्दों पर चर्चा की जाएंगी। इनमें इसके समृद्ध भविष्य और साइबर सुरक्षा जैसी नई चुनौतियां शामिल हैं। सरकारी बैंकों के साथ मंथन दो साल से अधिक समय के बाद हो रहा है।’
सूत्र ने बताया कि एजेंडा में कई विषय शामिल होंगे, जिसमें आने वाले समय के ग्राहक अनुभव की कल्पना करना, शासन और परिचालन उत्कृष्टता को मजबूत बनाना, प्रौद्योगिकी साझेदारी के जरिये नवाचार को बढ़ावा देना और परिसंपत्ति गुणवत्ता में सुधार शामिल हैं। सूत्र ने कहा, ‘बैंकरों से सरकारी बैंक में एक समावेशी और भविष्य के लिए तैयार कार्यबल, विकसित भारत 2047 के लिए बैंकों के विस्तार की रणनीतियों और सरकारी बैंकों की प्रौद्योगिकी को आधुनिक बनाने पर भी चर्चा होने की उम्मीद है।’