भारत में 90,000 ईंधन स्टेशनों पर 20 प्रतिशत इथेनॉल मिश्रित ईंधन (E20) की उपलब्धता के बीच ऑटोमोबाइल कंपनी महिंद्रा ने गुरुवार को कहा कि यह ईंधन इस्तेमाल के लिए सुरक्षित है। हालांकि, इससे गाड़ियों की माइलेज और एक्सेलेरेशन में कमी आ सकती है। महिंद्रा के ऑटोमोटिव डिवीजन के CEO नलिनीकांत गोल्लागुंटा ने बताया कि कंपनी इस बारे में एक सलाह जल्द तैयार कर रही है। यह सलाह अगले हफ्ते ग्राहकों को भेजी जाएगी।
भारत ने 2023 में E20 ईंधन को शुरू किया था। इसका मकसद जीवाश्म ईंधन (फॉसिल फ्यूल) पर निर्भरता कम करना था। अब देश के ज्यादातर ईंधन स्टेशनों पर यही ईंधन उपलब्ध है। यानी कार मालिकों के पास अब दूसरा विकल्प नहीं है। लेकिन कई ग्राहकों ने इस ईंधन को लेकर शिकायतें की हैं। उनका कहना है कि इससे गाड़ी की माइलेज कम हो रही है। साथ ही इंजन के पुर्जों को नुकसान पहुंच रहा है। इससे रखरखाव और पुर्जे बदलने का खर्च भी बढ़ रहा है।
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बुधवार को केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने E20 ईंधन को लेकर उठ रहे सवालों पर पेट्रोलियम लॉबी को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा कि यह लॉबी सरकार के इस कदम के खिलाफ माहौल बना रही है। गडकरी ने E20 को पर्यावरण और लागत के लिहाज से बेहतर बताया। उन्होंने कहा कि भारत हर साल 22 लाख करोड़ रुपये का प्रदूषण फैलाने वाला जीवाश्म ईंधन आयात करता है। E20 इस खर्च को कम करने में मदद करेगा।पेट्रोल में इथेनॉल मिश्रण का काम तेजी से आगे बढ़ रहा है। लेकिन डीजल में 5 प्रतिशत बायोडीजल मिश्रण का लक्ष्य 2030 तक हासिल करना मुश्किल लग रहा है।
इंडिया रेटिंग्स (Ind-Ra) की एक हालिया रिपोर्ट के मुताबिक, वित्त वर्ष 2024 में बायोडीजल मिश्रण की दर सिर्फ 0.60 प्रतिशत रही। यह लक्ष्य से काफी कम है। कम निवेश और पुराने खाना पकाने के तेल (UCO) को इकट्ठा करने में दिक्कतें इसकी मुख्य वजह हैं। पिछले महीने, भारतीय ऑटोमोबाइल निर्माताओं के संगठन (Siam) ने भी कहा था कि पुरानी गाड़ियों में E20 ईंधन से माइलेज कम हो सकती है। लेकिन यह सुरक्षा के लिए खतरा नहीं है। यह बयान E20 ईंधन को लेकर चल रही बहस को और हवा दे रहा है।