ITR Filing 2025: सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड निवेशकों के बीच तेजी से लोकप्रिय हो रहे हैं। ये बॉन्ड सोने की कीमत से जुड़े होते हैं और सरकार की गारंटी के साथ आते हैं। आठ साल के टाइम पीरियड वाले इन बॉन्ड्स को पांच साल बाद समय से पहले भी भुनाया जा सकता है। रिजर्व बैंक हर साल इसके लिए खास तारीखें तय करता है। हाल ही में 2025 की कई सीरीज का रिडेम्प्शन हुआ, जिसमें निवेशकों को 9,221 रुपये से लेकर 10,905 रुपये प्रति यूनिट तक का रिटर्न मिला। सबसे खास बात यह है कि ऐसे रिडेम्प्शन से होने वाला मुनाफा पूरी तरह टैक्स फ्री है। इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 47 के तहत इस पर कोई टैक्स नहीं लगता। हालांकि, बॉन्ड पर मिलने वाला 2.5 प्रतिशत सालाना ब्याज पर टैक्स देना पड़ता है। इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के मुताबिक, ITR फाइल करते समय मुनाफे को दिखाना जरूरी नहीं, लेकिन ब्याज को अपनी आय में जोड़ना होता है। सोने में सुरक्षित और टैक्स फ्री निवेश का यह एक मजबूत जरिया है।
सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया द्वारा सरकार की ओर से जारी किए जाते हैं। ये ग्राम में सोने की मात्रा के आधार पर होते हैं। निवेशक इनमें सोने की कीमतों के उतार-चढ़ाव का फायदा उठा सकते हैं। बॉन्ड का टाइम पीरियड आठ साल का होता है। लेकिन पांच साल पूरे होने के बाद इन्हें समय से पहले भुनाया जा सकता है। रिजर्व बैंक हर साल ऐसी विंडो खोलता है।
उदाहरण के लिए, 2025 में अप्रैल से सितंबर तक कई सीरीज के लिए रिडेम्प्शन की तारीखें तय की गई हैं। अप्रैल 2025 में एक सीरीज का रिडेम्प्शन प्राइस 9,221 रुपये प्रति यूनिट रहा। इसी तरह अगस्त 2025 में 10,070 रुपये प्रति यूनिट की कीमत पर रिडेम्प्शन हुआ। सितंबर 2025 में एक अन्य सीरीज के लिए 10,905 रुपये प्रति यूनिट का भाव तय किया गया। रिडेम्प्शन प्राइस सोने की औसत क्लोजिंग प्राइस पर आधारित होता है। तीन कामकाजी दिनों की औसत से ये तय होता है। निवेशक बैंक या पोस्ट ऑफिस के जरिए आवेदन कर सकते हैं। ये बॉन्ड भौतिक सोने की तुलना में सुरक्षित विकल्प हैं। इन्हें स्टॉक एक्सचेंज पर भी बेचा जा सकता है। लेकिन RBI के पास प्रीमैच्योर रिडेम्प्शन चुनना ज्यादा फायदेमंद होता है।
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रिडेम्प्शन से मिलने वाले लाभ को कैपिटल गेन माना जाता है। लेकिन इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 47 (viic) के तहत ये पूरी तरह टैक्स फ्री है। ये छूट मैच्योरिटी पर रिडेम्प्शन के साथ-साथ पांच साल बाद के प्रीमैच्योर रिडेम्प्शन पर भी लागू होती है। चाहे बॉन्ड मूल रूप से सब्सक्राइब किए गए हों या बाजार से खरीदे गए हों। इसका मतलब है कि सोने की कीमत बढ़ने से होने वाला मुनाफा टैक्स के दायरे से बाहर रहता है।
उदाहरण के तौर पर, 2017-18 सीरीज के एक बॉन्ड पर 2025 में मैच्योरिटी पर 221 प्रतिशत रिटर्न मिला। ये पैसा टैक्स फ्री रही। इसी तरह प्रीमैच्योर रिडेम्प्शन पर 156 प्रतिशत या 211 प्रतिशत तक के रिटर्न टैक्स फ्री ही रहे। बॉन्ड पर 2.5 प्रतिशत सालाना ब्याज मिलता है। ये ब्याज हर छह महीने में भुगतान होता है। लेकिन ब्याज पर टैक्स लगता है। निवेशक की स्लैब के अनुसार ये टैक्स योग्य होता है। अगर बॉन्ड को स्टॉक मार्केट में बेचा जाए, तो शॉर्ट टर्म या लॉन्ग टर्म गेन पर टैक्स लग सकता है। लेकिन RBI रिडेम्प्शन चुनने से ये बच जाता है।
रिडेम्प्शन से होने वाले लाभ को इनकम टैक्स रिटर्न में बताने की कोई बाध्यता नहीं है। क्योंकि ये ट्रांसफर नहीं माना जाता। इसलिए ये इनकम के रूप में गिना ही नहीं जाता। ITR-2 फॉर्म भरते समय लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन की जगह पर कुछ दिखाने की जरूरत नहीं होती है। लेकिन अगर निवेशक पूरी पारदर्शिता चाहें, तो एग्जेम्प्ट इनकम शेड्यूल में पैसे के बारे में बाते सकते हैं। ये वैकल्पिक है। सख्ती से कहें तो रिपोर्टिंग जरूरी नहीं। 2025 के फाइनेंशियल ईयर के लिए ITR फाइलिंग में ये नियम लागू हैं। कई निवेशक 2025 में रिडेम्प्शन कर चुके हैं। जैसे जुलाई 2025 में एक सीरीज पर 205 प्रतिशत रिटर्न मिला। ये सब टैक्स फ्री रहा। लेकिन ब्याज की आय को जरूर अपनी कुल आय में जोड़ें। ITR पोर्टल पर एक्सेल यूटिलिटी उपलब्ध है। कैपिटल गेन वाले टैक्सपेयर अब आसानी से फाइल कर सकते हैं। गलती से छूट न छोड़ें। लेकिन अनावश्यक घोषणा से बचना जरूरी है।