प्रमुख निर्यात संगठनों आज भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के वरिष्ठ अधिकारियों से मुलाकात की और अमेरिका द्वारा भारतीय निर्यात पर 50 फीसदी शुल्क लगाए जाने के बाद कारोबार बचाने के लिए कई तरह की छूट की मांग की। उनकी मांगों में ऋण भुगतान पर मॉरेटोरियम यानी स्थगन, गैर-निष्पादित आस्तियों (एनपीए) के नियमों में ढील और बिना जुर्माना देय तिथि को आगे बढ़ाना आदि शामिल हैं।
इसके अलावा संगठनों ने प्राथमिकता वाले ऋण क्षेत्र में एक उप श्रेणी बनाकर निर्यातकों को ज्यादा ऋण देने में सहयोग की भी मांग की। उन्होंने कहा कि निर्यात इस श्रेणी का हिस्सा है लेकिन इस क्षेत्र में बैंक ऋण कमजोर बना हुआ है। निर्यातकों ने केंद्रीय बैंक से रुपये में स्वाभाविक तौर पर गिरावट होने देने यानी उसमें कोई हस्तक्षेप न करने की भी मांग की ताकि वे ट्रंप प्रशासन द्वारा लगाए गए शुल्क के कारण होने वाले नुकसान की कुछ भरपाई कर सकें। अमेरिकी प्रशासन ने भारतीय वस्तुओं पर 50 फीसदी शुल्क लगाया है।
निर्यातकों के संगठन फियो के महानिदेशक और मुख्य कार्या धिकारी अजय सहाय ने कहा, ‘निर्यातक मुख्य रूप से दो मांग कर रहे हैं, 50 फीसदी शुल्क के असर से राहत और निर्यातकों के महत्त्वपूर्ण बैंकिंग मुद्दों का समाधान करना।’
सहाय ने कहा, ‘शुल्क के मोर्चे पर निर्यातक, खास तौर पर जो अमेरिकी बाजार में आपूर्ति करते हैं, एक वर्ष तक ऋण भुगतान पर रोक, एनपीए मानदंडों में ढील के साथ-साथ बिना जुर्माना कर्ज की देय तिथि को आगे बढ़ाने की मांग कर रहे हैं।
इसके अलावा निर्यातकों ने आरबीआई से प्राथमिकता वाले क्षेत्र के तहत एक उप-श्रेणी बनाकर निर्यात क्षेत्र को ऋण बढ़ाने के लिए बैंकों को निर्देश देने का आग्रह किया है। देश के सकल घरेलू उत्पाद में निर्यात का 20 फीसदी से अधिक हिस्सा होने के बावजूद, निर्यातकों को ऋण आवंटन कमजोर बना हुआ है और बैंकों से अधिक सहायता को आवश्यक माना जा रहा है।’ भारतीय इंजीनियरिंग निर्यात संवर्धन परिषद के चेयरमैन पंकज चड्ढा ने कहा कि परिषद ने केंद्रीय बैंक से एमएसएमई के लिए ब्याज अनुदान योजना का आग्रह किया है ताकि उन्हें विदेशी निर्यातकों के संबंध में प्रतिस्पर्धी बने रहने में मदद मिल सके।
बैठक में फियो, सीआईआई, फिक्की, एसोचैम, महाराष्ट्र चैंबर ऑफ कॉमर्स और इंडस्ट्री ऐंड एग्रीकल्चर आदि शामिल थे। चर्चा से जुड़े एक सूत्र ने कहा कि बैठक में उठाए गए अन्य मुद्दों में यह चिंता भी शामिल थी कि विनिमय दर से निर्यातकों को लाभ नहीं हो रहा है ब ल्कि आयात की लागत बढ़ रही है। डॉलर के मुकाबले रुपया कमजोर हुआ है लेकिन कई अन्य मुद्राएं भी नरम हुई हैं, जिसका मतलब है कि निर्यातकों को कोई लाभ नहीं हो रहा है। इसके अलावा मौजूदा भू-राजनीतिक स्थिति निर्यातकों के लिए महत्त्वपूर्ण चुनौती पेश कर रही है। आरबीआई ने निर्यातकों की बात गंभीरता से सुनी मगर फिलहाल किसी विशेष कार्रवाई की प्रतिबद्धता नहीं जताई।
पिछले महीने आरबीआई के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने कहा था कि अगर 50 फीसदी शुल्क से घरेलू अर्थव्यवस्था की वृद्धि प्रभावित होती है तो केंद्रीय बैंक जरूरी उपाय कर सकता है। इस बीच वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा है कि सरकार भारतीय निर्यातकों को समर्थन देने के लिए व्यापक पैकेज तैयार कर रही है।