facebookmetapixel
भारत ने जीता पहला महिला क्रिकेट वर्ल्ड कप, खिलाड़ियों की ब्रांड वैल्यू में 35% तक उछालप्राइवेट इक्विटी और इंफ्रास्ट्रक्चर निवेश पर KKR की नजर, भारत में लंबी पारी खेलने को तैयारकच्चे तेल का आयात अमेरिका से बढ़ा, रूस से सप्लाई दमदारप्रधानमंत्री मोदी ने ₹1 लाख करोड़ के ‘RDI फंड’ की शुरुआत की, प्राइवेट सेक्टर में रिसर्च और इनोवेशन को मिलेगा बढ़ावावोडाफोन आइडिया को राहत! 2017 तक के एजीआर बकाये का होगा नए सिरे से आकलनEditorial: मौद्रिक नीति में पारदर्शिता जरूरी, RBI को सार्वजनिक करनी चाहिए रिपोर्टशहरी संकट: स्थानीय निकायों को वास्तविक स्वायत्तता और जवाबदेही देना समय की मांगसरकार ने सब्सिडी बढ़ाकर डीएपी का घाटा किया कम, फिर भी 900 रुपये प्रति कट्टे का नुकसान होने की आशंकासर्विस सेक्टर में सबसे आगे चंडीगढ़ और दिल्ली, सेवा केंद्रित हैं अधिक प्रति व्यक्ति आय वाले राज्यबिहार में बटाईदार, क्या पाएंगे कानूनी अधिकार

संपादकीय: साइबर अपराधियों से सरकार ही निपटे

यह बात स्वागतयोग्य है कि प्रधानमंत्री ने इन तौर तरीकों के बारे में जागरूकता पैदा करने का प्रयास किया। परंतु अभी इन खतरों से निपटने के लिए और कई कदम उठाने की आवश्यकता है।

Last Updated- October 29, 2024 | 11:19 PM IST
Digital Arrest: ED files chargesheet, Cyber ​​Crime Coordination Center issues advisory ईडी ने आरोपपत्र दाखिल किया, साइबर अपराध समन्वय केंद्र ने परामर्श जारी किया

Digital Arrest: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को अपने नवीनतम रेडियो संबोधन में साइबर ठगी (cyber fraud) के बढ़ते खतरे के बारे में बात की। हाल के दिनों में साइबर अपराधियों ने कई लोगों को निशाना बनाया है और उन्हें ‘डिजिटल अरेस्ट’ कर धमकी दी है।

वे साइबर ठगी करते समय पुलिस अधिकारी, प्रतिभूति बाजार नियामक या नारकोटिक्स आदि विभागों के सरकारी अधिकारी होने का दिखावा करते हैं। जिन लोगों को निशाना बनाया जाता है उनके बैंक खातों को खाली कर दिया जाता है और कुछ मामलों में उनके पैसे क्रिप्टोकरेंसी वॉलेट में स्थानांतरित कर दिए जाते हैं। जो लोग अपेक्षाकृत डिजिटली साक्षर हैं, वे भी इन अपराधियों के शिकार हो गए।

ऐसे में यह बात स्वागतयोग्य है कि प्रधानमंत्री ने इन तौर तरीकों के बारे में जागरूकता पैदा करने का प्रयास किया। परंतु अभी इन खतरों से निपटने के लिए और कई कदम उठाने की आवश्यकता है।

बैंकिंग नियामक आदि अपने स्तर पर ऐसे अपराध करने वाले अपराधियों को पकड़ पाने की क्षमता नहीं रखते। इनमें से कई तो भारत की सीमाओं से बाहर रहते हैं। दक्षिण पूर्वी एशिया के देश इनके खास अड्डे हैं। जरूरत इस बात की है कि राष्ट्रीय साइबर अपराध इकाइयों को क्षमतावान बनाया जा सके ताकि हर शिकायत पर ध्यान दिया जा सके।

ऐसे अपराध रोकने और अपराधियों को उनके अंजाम तक पहुंचाने की बुनियादी जिम्मेदारी सरकार की है और वह इस दायित्व से बच नहीं सकती।

आमतौर पर कुछ अधिकारियों के लिए विभिन्न प्रकार के डिजिटल जोखिमों के मामले में अपनी जवाबदेही से पल्ला झाड़ना बहुत आसान रहा है। इसका एक और उदाहरण है हाल ही में बम धमाकों की धमकी।

दीवाली के पहले व्यस्त सीजन में इन धमकियों ने देश के विमानन क्षेत्र को बुरी तरह प्रभावित किया। महज चंद दिनों में विभिन्न उड़ानों के बारे में ऐसी 100 से अधिक धमकियां दी गईं। इससे हवाई अड्‌डों की सुरक्षा के जिम्मेदारों पर दबाव बढ़ा और कई हवाई अड्‌डों पर अफरातफरी की स्थिति बन गई।

शिकागो के लिए उड़ान भर रही एयर इंडिया की एक उड़ान को आर्कटिक में अचानक उतरना पड़ा ताकि विमान की जांच की जा सके। सिंगापुर जा रही एक और उड़ान को वहां के एफ-16 विमानों की निगरानी में चांगी हवाई अड्‌डे पर उतारना पड़ा। गत सप्ताह इस सिलसिले में एक किशोर को गिरफ्तार किया गया था और जानकारी के मुताबिक महाराष्ट्र पुलिस 35 वर्षीय एक अन्य संदिग्ध की तलाश में है।

परंतु अधिकारियों की शुरुआती प्रतिक्रिया सोशल मीडिया वेबसाइटों को दोष देने की रही जहां ऐसी धमकियां सामने आ रही थीं। उन्होंने राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए नुकसानदेह इन पोस्टों को हटाने की मांग की। इन वेबसाइटों का जांचकर्ताओं के साथ सहयोग करने में नाकाम रहना और पुलिस की मांग पर इन पोस्ट से संबंधित आईपी एड्रेस मुहैया नहीं करा पाना तथा धमकियों को गंभीरता के आधार पर चिह्नित नहीं कर पाना एक अलग मसला है।

वित्तीय नियामकों तथा नागर विमानन के प्रभारियों तथा कुछ मामलों में स्थानीय पुलिस सहित अधिकारियों के लिए डिजिटल अपराध एक नया मोर्चा है। यह स्वाभाविक है कि उनके पास शायद इस काम के लिए जरूरी विशेषज्ञता और अनुभव नहीं हो। परंतु ऐसी क्षमता विकसित की जानी चाहिए।

अगर साइबर ठगी करने वाले और डिजिटल अफवाह फैलाने वालों की क्षमता बढ़ रही है तो प्राधिकारियों को भी अपनी क्षमता उसी अनुपात में बढ़ानी चाहिए। जहां तक ‘डिजिटल अरेस्ट’ के डर की बात है तो प्रधानमंत्री ने विशेष तौर पर उल्लेख किया कि सरकार को खुद से यह सवाल पूछना चाहिए कि ऐसी धमकियों पर इतनी आसानी से विश्वास कैसे कर लिया जा रहा है।

पुलिस और पुरातन कानूनों का डर इतना व्यापक क्यों है कि ठगी करने वाले आसानी से इसका लाभ लेकर मासूमों को भयभीत कर देते हैं? जांचकर्ताओं को अपराधियों को पकड़ना चाहिए और इस धारणा को समाप्त करने पर काम करना चाहिए कि वे निर्दोषों को सताने में सक्षम हैं।

First Published - October 29, 2024 | 11:10 PM IST

संबंधित पोस्ट