facebookmetapixel
HUL के शेयरों में उछाल, Q2 नतीजों के बाद 3% की तेजीAI क्रांति के बीच Meta ने 600 लोगों को नौकरी से निकाला, टॉप-लेवल हायरिंग पर फोकसDefence PSU के Q2 रिजल्ट की डेट घोषित! इस तारीख को हो सकता है डिविडेंड का बड़ा ऐलानग्रीन कार्ड होल्डर्स के लिए चेतावनी! लंबे समय तक विदेश में रहने पर हो सकता है प्रवेश रोकBPCL Q2 रिजल्ट की डेट तय! इस दिन हो सकता है डिविडेंड का बड़ा ऐलानRussian oil: अमेरिकी प्रतिबंधों के बाद रूस से भारत की तेल सप्लाई लगभग बंद होने की संभावनाSwiggy Q2 रिजल्ट की डेट हुई घोषित! जानिए कब आएंगे कंपनी के तिमाही नतीजेASEAN Summit: पीएम मोदी नहीं जाएंगे मलेशिया, इस बार वर्चुअली ही होंगे शामिलभारत में Apple की बड़ी छलांग! 75 हजार करोड़ की कमाई, iPhone 17 बिक्री में चीन को भी पीछे छोड़ाInfosys buyback: नंदन नीलेकणी-सुधा मूर्ति ने ठुकराया इन्फोसिस का ₹18,000 करोड़ बायबैक ऑफर

आशा​ के साथ बरतें सतर्कता

Last Updated- May 02, 2023 | 8:49 PM IST
be careful with hope

सोमवार को जारी कुछ संवेदनशील आंकड़ों ने पर्याप्त ध्यान आकृष्ट किया। सरकार के आंकड़े दिखाते हैं कि वस्तु एवं सेवा कर (GST) कलेक्शन अप्रैल में 1.87 लाख करोड़ रुपये के साथ अब तक के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया। यह रा​शि पिछले वर्ष की समान अव​धि की तुलना में 12 फीसदी अ​धिक है। निरंतर उच्च GST कलेक्शन से न केवल सरकार की वित्तीय ​स्थिति संभालने में मदद मिलेगी ब​ल्कि खपत पर लगने वाला कर होने के कारण यह समग्र अर्थव्यवस्था की सेहत के बारे में भी बताता है।

इसके अलावा नए ऑर्डर और उत्पादन के साथ भारत का विनिर्माण संबंधी पर्चेजिंग मैनेजर्स सूचकांक 57.2 के साथ चार माह के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया। मार्च में यह 56.4 के स्तर पर था। 50 से ऊपर का स्तर विस्तार को दर्शाता है।

इसके अलावा सभी यात्री वाहनों की आपूर्ति 13 फीसदी बढ़ी। अन्य आंकड़ों की बात करें तो कोयला उत्पादन रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया जिससे बिजली उत्पादन कंपनियों को मदद मिलेगी।

चूंकि सकल घरेलू उत्पाद (GDP) के आ​धिकारिक आंकड़े थोड़ा ठहरकर सामने आते हैं इसलिए विश्लेषक इन उच्च संवेदी आंकड़ों की मदद से अर्थव्यवस्था की गति को आंकने की को​​शिश करते हैं। शीर्ष आंकड़े भी बेहतर नजर आते हैं, खासकर यह देखते हुए कि वै​श्विक अर्थव्यवस्था गति खो रही है और इस वर्ष उसमें खासी गिरावट आने की उम्मीद है।

इसके बावजूद उच्च संवेदी आंकड़ों का आकलन सावधानी से किया जाना चाहिए और यह काम समुचित संदर्भ के साथ होना चाहिए। उदाहरण के लिए GST के मामले में अप्रैल का संग्रह मार्च के लेनदेन को दिखाता है। चूंकि मार्च वित्त वर्ष के समापन वाला माह है इसलिए यह संभव है कि कारोबारियों ने वर्ष समाप्त होने के पहले अपने पास बकाया रा​शि जमा कर दी हो।

Also Read: सरकार ने क्रूड ऑयल पर windfall tax घटाया, जानें किसे होगा फायदा 

हालांकि पिछले वर्ष के समान माह के साथ तुलना करना उचित है लेकिन 12 फीसदी की वृद्धि को समग्र नॉमिनल आ​र्थिक वृद्धि दर के संदर्भ में देखा जाना चाहिए। उदाहरण के लिए 2022-23 के दूसरे अग्रिम अनुमान के मुताबिक महंगाई समायोजित किए बगैर भारतीय अर्थव्यवस्था के 15.9 फीसदी बढ़ने का अनुमान है।

व्यापक स्तर पर यह ध्यान देना आवश्यक है कि GST के क्रियान्वयन से समग्र कर संग्रह में काफी सुधार होने की उम्मीद थी। परंतु अब तक यह लक्ष्य हासिल नहीं हो सका है। चालू वित्त वर्ष के लिए केंद्र के स्तर पर समग्र कर संग्रह के GDP के 11.1 फीसदी के बराबर रहने का अनुमान है जो पिछले वर्ष के अनुरूप है।

अप्रत्यक्ष कर संग्रह के GDP के 5.1 फीसदी के बराबर रहने की बात कही गई है। तुलनात्मक रूप से देखें तो 2016-17 में यह GDP के 5.6 फीसदी के बराबर था। GST प्रणाली के अनुमान के मुताबिक प्रदर्शन न कर पाने की प्राथमिक वजह है दरों में समय से पहले कमी करना और दरों और स्लैब को तार्किक बनाने का अनिच्छुक होना।

ऐसे में यह देखना होगा कि आने वाले महीनों में GST कलेक्शन किस दिशा में जाता है। मुद्रास्फीति की दर में अनुमानित कमी समग्र संग्रह को प्रभावित कर सकती है।

Also Read: Unemployment Rate: अप्रैल में सबसे ज्यादा रही बेरोजगारी दर, शहरों में गांवों के मुकाबले ज्यादा किल्लत

इसके अलावा वाहन बिक्री और उपभोक्ता उत्पादों के मामले में जानकारी के मुताबिक प्रीमियम श्रेणी का प्रदर्शन बेहतर है। व्यापक खपत वाले उत्पादों के मामले में मांग में सतत सुधार की अनुप​स्थिति में मध्यम अव​धि में टिकाऊ उच्च वृद्धि हासिल करना कठिन होगा।

सतत उच्च वृद्धि के लिए निजी निवेश अहम है लेकिन उसमें अपे​क्षित तेजी नहीं आ रही है। ऐसे में चालू वर्ष के लिए जहां ये ताजा संकेतक उत्साह बढ़ाने वाले हैं, वहीं यह देखना होगा कि आगे यह वर्ष कैसा बीतता है। वै​श्विक उत्पादन और व्यापार वृद्धि में अहम गिरावट अर्थव्यवस्था की समग्र गतिवि​धियों को प्रभावित करेगी।

इसके अलावा अमेरिका समेत विकसित देशों की वित्तीय दिक्कतें और सख्त मौद्रिक नीति पूंजी प्रवाह को प्रभावित करेगी और इसका असर वृद्धि पर होगा। ऐसे में नीति निर्माताओं को सावधान रहना होगा और आने वाले आंकड़ों का अध्ययन सावधानीपूर्वक करना होगा।

First Published - May 2, 2023 | 8:49 PM IST

संबंधित पोस्ट