दिवाला व धनशोधन अक्षमता बोर्ड संहिता संशोधन विधेयक 2025 नैशनल कंपनी लॉ अपील प्राधिकरण (एनसीएलएटी) के लिए कोई समयसीमा निर्धारित करने में विफल रहा। यह जानकारी दिवाला और धन अक्षमता विधेयक की प्रवर समिति ने अपनी रिपोर्ट में दी। समिति ने एनसीएलएटी के लिए स्पष्ट वैधानिक समयसीमा देने का सुझाव दिया है।
समिति ने कहा कि विधेयक को संशोधित कर नई धारा को जोड़ा जाए। इस धारा के अनुसार नैशनल कंपनी लॉ अपील प्राधिकरण आवेदन प्राप्त करने की तारीख से तीन महीने में अपील का निपटारा करेगा। समिति ने रिपोर्ट में कहा, ‘यह देखते हुए कि संहिता की प्रभावशीलता सख्त समयबद्ध ढांचे पर निर्भर करती है… अपील में अनुचित देरी से दिवालियापन समाधान प्रक्रिया की दक्षता और निश्चितता को नुकसान पहुंचने का खतरा है।’
प्रवर समिति ने अपनी रिपोर्ट में सरकार से क्रॉस-बॉर्डर दिवाला ढांचे के बुनियादी सिद्धांतों को प्रत्यक्ष रूप से संहिता में संहिताबद्ध करने के लिए कहा है ताकि स्पष्ट विधायी मार्गदर्शन प्रदान किया जा सके और समूह दिवाला ढांचे को भारत के अद्वितीय संस्थागत वातावरण के अनुरूप बनाया जा सके।
पैनल ने कुछ आईबीसी प्रावधानों के अपराधीकरण का सुझाव दिया है जिससे अन्य सिफारिशों के साथ कम मतदान सीमा के साथ प्रभावी और सुलभ लेनदार द्वारा शुरू की गई दिवाला समाधान प्रक्रिया तय हो सके। संसद में 16 दिसंबर, 2025 को पेश की गई रिपोर्ट में भाजपा सांसद बैजयंत पांडा के नेतृत्व वाली समिति ने इंगित किया कि संशोधन विधेयक एनसीएलएटी के लिए कोई विशिष्ट वैधानिक समयसीमा पेश करने में विफल रहा है जबकि अपीलीय न्यायाधिकरण के लिए स्पष्ट वैधानिक समयसीमा शुरू करने का सुझाव दिया गया है।