वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बीते शनिवार को बजट में घोषणा की कि 2.5 लाख रुपये से अधिक वार्षिक प्रीमियम वाले बड़े Unit Linked Insurance Plans (ULIPs) पर अब 12.5% की दर से लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन्स (LTCG) टैक्स लगाया जाएगा। यह प्रावधान 1 अप्रैल 2026 से लागू होगा। यह कदम ULIPs के टैक्स सिस्टम को स्पष्ट और पारदर्शी बनाने के उद्देश्य से उठाया गया है, क्योंकि यह एक ऐसा वित्तीय उत्पाद है जो बीमा और निवेश दोनों का संयोजन करता है।
अब तक ULIPs से होने वाले लाभ पर टैक्सेशन को लेकर असमंजस की स्थिति थी, खासकर उन पॉलिसी के लिए जिनका वार्षिक प्रीमियम 2.5 लाख रुपये से अधिक था। ULIPs की संरचना इस तरह से की गई है कि इसके एक बड़े हिस्से का निवेश शेयर बाजार में किया जाता है, जबकि पारंपरिक बीमा पॉलिसियों में आमतौर पर निवेश ऋण साधनों (debt instruments) में किया जाता है। इस कारण ULIPs को अन्य बीमा पॉलिसियों की तरह टैक्स फ्री रखना उचित नहीं माना गया। इसी वजह से सरकार ने अब इन पर कैपिटल गेन्स टैक्स लगाने का फैसला किया है।
वित्त मंत्री ने बजट 2025 के दौरान स्पष्ट किया कि जिन ULIPs का वार्षिक प्रीमियम 2.5 लाख रुपये से अधिक है, उन्हें अब कैपिटल गेन्स टैक्स के दायरे में लाया जाएगा, जिससे इसका टैक्स सिस्टम इक्विटी म्यूचुअल फंड्स के बराबर हो जाएगा।
दरअसल, बजट 2021 में ही 2.5 लाख रुपये से अधिक प्रीमियम वाली ULIPs से होने वाली आय को टैक्सेबल कर दिया गया था। हालांकि, इन योजनाओं से रिडेम्पशन (निकासी) पर टैक्स कैसा लगेगा, इस पर अब तक स्पष्टता नहीं थी। नए प्रस्ताव के तहत, ULIPs की निकासी पर अब कैपिटल गेन्स टैक्स लगेगा, यदि पॉलिसी को एक साल से अधिक समय तक रखा गया है तो 12.5% का LTCG टैक्स लागू होगा।
यह बदलाव 1 फरवरी 2021 के बाद खरीदी गई उन ULIPs पर लागू होगा, जिनका वार्षिक प्रीमियम 2.5 लाख रुपये से अधिक है। पहले इन पॉलिसियों से प्राप्त रिटर्न आयकर अधिनियम की धारा 10(10D) के तहत पूरी तरह टैक्स फ्री था। लेकिन नए नियम के तहत, अब इन नियमों से होने वाले लाभ पर लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स (LTCG) की 12.5% दर लागू होगी, यदि पॉलिसी को 12 महीने से अधिक समय तक रखा गया है।
अब सरकार ने साफ किया है कि ULIP में 1 साल से ज्यादा निवेश रखने के बाद मिलने वाले मुनाफे (capital gains) पर 12.50% की दर से LTCG (Long-Term Capital Gains Tax) लगेगा।
उदाहरण: मान लीजिए, किसी निवेशक (investor) ने 5 साल तक हर साल 10 लाख रुपए का प्रीमियम भरा, यानी कुल 50 लाख। अगर उसे 10 साल बाद मैच्योरिटी पर 2 करोड़ रुपए मिलते हैं, तो उसका मुनाफा (capital gain) 1.5 करोड़ रुपए होगा। इस पर 12.50% की दर से टैक्स देना होगा।
ULIP में निवेशकों को funds को अलग-अलग एसेट क्लास (जैसे equity, debt आदि) में डालने की सुविधा होती है। वे अपने फाइनेंशियल गोल्स और बाजार की स्थिति के अनुसार एसेट एलोकेशन बदल सकते हैं।
यदि कोई निवेशक 20 लाख रुपये के सम एश्योर्ड के साथ एक ULIP खरीदता है, जिसकी वार्षिक प्रीमियम 3 लाख रुपये है, तो इस पॉलिसी से मिलने वाले रिटर्न को एक वर्ष बाद रिडीम करने पर 12.5% LTCG टैक्स देना होगा।
सरकार का मानना है कि कई निवेशक ULIPs का उपयोग केवल टैक्स बचाने के लिए कर रहे थे, क्योंकि इनमें इक्विटी निवेश की बड़ी हिस्सेदारी होती है। अब इन योजनाओं को कैपिटल एसेट के रूप में वर्गीकृत कर कैपिटल गेन्स टैक्स के दायरे में लाया जा रहा है, जिससे निवेश विकल्पों पर निष्पक्ष टैक्स सिस्टम बनाया जा सके।
शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेन्स (STCG): यदि ULIP को 12 महीने से पहले बेच दिया जाता है, तो 20% टैक्स लगेगा।
लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन्स (LTCG): यदि ULIP को 12 महीने से अधिक रखा जाता है, तो 12.5% टैक्स लगेगा।
Deloitte India के अनुसार, इस बदलाव से ULIPs की टैक्सेशन व्यवस्था को लेकर पहले जो भ्रम था, वह अब दूर हो गया है। ULIPs पर अब इक्विटी म्यूचुअल फंड्स के बराबर टैक्स नियम लागू होंगे, जिससे पारदर्शिता आएगी और निवेशकों के लिए टैक्स स्ट्रक्चर अधिक स्पष्ट होगा।
नया कैपिटल गेन्स टैक्स आकलन वर्ष 2026-27 से लागू होगा। 1 अप्रैल 2026 से इस टैक्स का प्रभाव दिखेगा। यह बदलाव सरकार द्वारा टैक्स सिस्टम को सरल और पारदर्शी बनाने का हिस्सा है। निवेशकों और बीमा कंपनियों के लिए यह एक महत्वपूर्ण सुधार है, जो ULIPs जैसी जटिल वित्तीय योजनाओं को स्पष्ट और यूनिफॉर्म टैक्स सिस्टम में लाने में मदद करेगा।
चूंकि यह नया टैक्स प्रावधान 1 अप्रैल 2026 से लागू होगा, इसलिए निवेशकों के पास एडजस्ट करने के लिए पर्याप्त समय है। जो लोग अब तक ULIPs को केवल टैक्स सेविंग के रूप में उपयोग कर रहे थे, उन्हें अपनी निवेश योजनाओं पर दोबारा विचार करना होगा।
अबंस इन्वेस्टमेंट मैनेजर्स के सीईओ भाविक ठक्कर कहते हैं, “आयकर अधिनियम की धारा 10(10D) के तहत, किसी लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी (जैसे बोनस या मैच्योरिटी पर मिलने वाली राशि) को टैक्स से छूट मिलती थी। लेकिन यह छूट कुछ शर्तों पर निर्भर थी: अगर कोई लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी या ULIP 01.04.2012 या उसके बाद ली गई है, तो किसी भी वर्ष में भरा जाने वाला प्रीमियम वास्तविक बीमा राशि के 10% से ज्यादा नहीं होना चाहिए। पॉलिसी की पूरी अवधि के दौरान भरे गए प्रीमियम की कुल राशि 2,50,000 रुपए से ज्यादा नहीं होनी चाहिए (ULIP के लिए) या 5,00,000 रुपए से ज्यादा नहीं होनी चाहिए (अन्य बीमा पॉलिसियों के लिए), यह सीमा कुछ विशेष तारीखों के बाद जारी पॉलिसियों पर लागू होती है।”
वह कहते हैं, “अगर ये शर्तें पूरी नहीं होती हैं, तो बीमा पॉलिसी से मिलने वाली राशि को ULIP के मामले में “Capital Gains” और अन्य पॉलिसियों के मामले में “Income from Other Sources” के रूप में टैक्स देना पड़ सकता है।”