facebookmetapixel
देशभर में मतदाता सूची का व्यापक निरीक्षण, अवैध मतदाताओं पर नकेल; SIR जल्द शुरूभारत में AI क्रांति! Reliance-Meta ₹855 करोड़ के साथ बनाएंगे नई टेक कंपनीअमेरिका ने रोका Rosneft और Lukoil, लेकिन भारत को रूस का तेल मिलना जारी!IFSCA ने फंड प्रबंधकों को गिफ्ट सिटी से यूनिट जारी करने की अनुमति देने का रखा प्रस्तावUS टैरिफ के बावजूद भारत की अर्थव्यवस्था मजबूत, IMF का पूर्वानुमान 6.6%बैंकिंग सिस्टम में नकदी की तंगी, आरबीआई ने भरी 30,750 करोड़ की कमी1 नवंबर से जीएसटी पंजीकरण होगा आसान, तीन दिन में मिलेगी मंजूरीICAI जल्द जारी करेगा नेटवर्किंग दिशानिर्देश, एमडीपी पहल में नेतृत्व का वादाJio Platforms का मूल्यांकन 148 अरब डॉलर तक, शेयर बाजार में होगी सूचीबद्धताIKEA India पुणे में फैलाएगी पंख, 38 लाख रुपये मासिक किराये पर स्टोर

शेयर, म्युचुअल फंड और गोल्ड से हुई कमाई पर कैसे और कितना देना होता है टैक्‍स, जानिए छूट पाने के भी तरीके

शेयर, म्युचुअल फंड और गोल्ड से होने वाली कमाई यानी लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन पर आप सेक्शन 54F के तहत टैक्स में छूट प्राप्त कर सकते हैं।

Last Updated- July 07, 2023 | 6:34 PM IST
Mutual funds industry adds 8.1 mn new investor accounts in Apr-May FY25, Mutual Fund उद्योग ने अप्रैल-मई में 81 लाख नए निवेशक खाते जोड़े

यदि आप इक्विटी शेयर, बॉन्ड, म्युचुअल फंड, प्रॉपर्टी, गोल्ड जैसे कैपिटल एसेट को बेचते यानी रिडीम करते हैं तो आपको होल्डिंग पीरियड के आधार पर टैक्स देना होता है। लॉन्ग-टर्म होल्डिंग पीरियड के लिए लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन (LTCG) टैक्स जबकि शार्ट-टर्म होल्डिंग पीरियड के लिए शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेन (STCG) टैक्स देना होता है।

आइए अब जानते हैं कि इन कैपिटल एसेट के लिए होल्डिंग पीरियड की गणना कैसे की जाती है? साथ ही इन कैपिटल एसेट की बिक्री से होने वाले लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन पर टैक्स से बचने के लिए उपलब्ध विभिन्न विकल्पों को भी समझते हैं।

होल्डिंग पीरियड (holding period) की गणना

इक्विटी शेयर/इक्विटी म्युचुअल फंड/लिस्टेड बॉन्ड: एक साल से कम अवधि में अगर आप इक्विटी शेयर/इक्विटी म्युचुअल फंड (इक्विटी यानी लिस्टेड कंपनियों के शेयर में एक्सपोजर कम से कम 65 फीसदी या इससे ज्यादा) या लिस्टेड बॉन्ड रिडीम करते हैं तो अर्जित आय शार्ट-टर्म कैपिटल गेन मानी जाती है। लेकिन अगर आप एक साल के बाद रिडीम करते हैं तो आय लॉन्ग -टर्म कैपिटल गेन मानी जाएगी। Equity-linked saving schemes (ELSS या ईएलएसएस) और आर्बिट्राज फंड भी इक्विटी फंड की कैटेगरी में आते हैं। अगर कोई बैलेंस्ड/हाइब्रिड फंड भी कुल कॉर्पस का 65 फीसदी इक्विटी में निवेश करें तो टैक्स के हिसाब से इसे भी इक्विटी फंड ही माना जाता है।

म्युचुअल फंड, फिजिकल गोल्ड, अनलिस्टेड बॉन्ड: अगर आप 36 महीने यानी 3 साल से पहले म्युचुअल फंड (वैसे म्युचुअल फंड जहां इक्विटी में एक्सपोजर 35 फीसदी से ज्यादा लेकिन 65 फीसदी से कम), फिजिकल गोल्ड, सॉवरिन गोल्ड बॉन्ड, अनलिस्टेड बॉन्ड रिडीम करते हैं तो उससे अर्जित आय शार्ट-टर्म कैपिटल गेन मानी जाएगी जो आपकी कुल आमदनी में जोड़ दी जाएगी और उस पर इनकम टैक्स स्लैब के हिसाब से टैक्स चुकाना होगा। लेकिन अगर 3 साल या उसके बाद रिडीम करते हैं तो आय लॉन्ग -टर्म कैपिटल गेन मानी जाएगी, जिस पर आपको लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन टैक्स देना होगा।

Also Read: प्रॉपर्टी से होने वाली कमाई पर भी आप बचा सकते हैं टैक्स, जानिए कैसे

कमर्शियल प्रॉपर्टी और अनलिस्टेड शेयर: कमर्शियल प्रॉपर्टी और अनलिस्टेड शेयर के लिए लॉन्ग-टर्म होल्डिंग पीरियड 24 महीने है। यानी परचेज के बाद 24 महीने से पहले बेचने पर शार्ट-टर्म कैपिटल गेन और 24 महीने के बाद बेचने पर लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन।

टैक्स रेट

इक्विटी शेयर/इक्विटी म्युचुअल फंड पर लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन टैक्स: सालाना एक लाख रुपए से ज्यादा के लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन पर 10 फीसदी (4 फीसदी सेस मिलाकर कुल 10.4 फीसदी)। सालाना एक लाख से कम के लॉन्ग -टर्म कैपिटल गेन पर कोई टैक्स देय नहीं।

म्युचुअल फंड (वैसे म्युचुअल फंड जहां इक्विटी में एक्सपोजर 35 फीसदी से ज्यादा लेकिन 65 फीसदी से कम), फिजिकल गोल्ड, सॉवरिन गोल्ड बॉन्ड, अनलिस्टेड शेयर, कमर्शियल प्रॉपर्टी पर: इंडेक्सेशन के फायदे के साथ 20 फीसदी (4 फीसदी सेस मिलाकर कुल 20.8 फीसदी)।

इंडेक्सेशन के तहत महंगाई/कॉस्ट इन्फ्लेशन इंडेक्स (Cost Inflation Index) के हिसाब से परचेज प्राइस (cost of acquisition) को बढ़ा दिया जाता है, जिससे कैपिटल गेन कम हो जाता है और टैक्स में बचत होती है।

लिस्टेड/अनलिस्टेड बॉन्ड: बिना इंडेक्सेशन के फायदे के साथ 20 फीसदी (4 फीसदी सेस मिलाकर कुल 20.8 फीसदी)।

आप इन कैपिटल एसेट (रेजिडेंशियल हाउस प्रॉपर्टी को छोड़कर) से होने वाली कमाई यानी लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन पर सेक्शन 54F के तहत टैक्स में छूट भी प्राप्त कर सकते है।

सेक्शन 54F के तहत कैसे पाएं छूट?

यदि आपको इक्विटी शेयर, बॉन्ड, म्युचुअल फंड, कमर्शियल प्रॉपर्टी या गोल्ड को बेचने पर लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन होता है तो सेक्शन 54F के तहत आपने जिस कीमत पर ऐसे एसेट को बेचा है यानी net sales consideration) को किसी रेजिडेंशियल हाउस प्रॉपर्टी (आवासीय घर) की खरीद या निर्माण में रीइन्वेस्ट कर एलटीसीजी टैक्स बचा सकते हैं। लेकिन इस फायदे के लिए आपको यह दिखाना होगा कि आपने किसी रेजिडेंशियल हाउस प्रॉपर्टी की खरीद में रीइन्वेस्ट किसी लॉन्ग-टर्म कैपिटल एसेट के लिक्विडेशन से एक वर्ष पहले या दो वर्ष बाद तक किया है या लिक्विडेशन के 3 वर्ष बाद तक किसी हाउस प्रॉपर्टी के निर्माण में किया है। लॉन्ग -टर्म कैपिटल गेन को आप सिर्फ एक ही हाउस प्रॉपर्टी की खरीद/निर्माण में रीइन्वेस्ट कर सकते हैं, बशर्ते उस वक्त आपके पास पहले से एक से ज्यादा हाउस प्रॉपर्टी न हो।

इस सेक्शन का फायदा आपको नहीं मिलेगा –

-यदि पुरानी संपत्ति (कैपिटल एसेट) की बिक्री के समय आपके पास उस रेजिडेंशियल हाउस प्रॉपर्टी को छोडकर जो आपने सेक्शन 54F के तहत छूट का दावा करने के लिए खरीदी है, एक से ज्यादा रेजिडेंशियल हाउस प्रॉपर्टी है।

-आप किसी पुराने कैपिटल एसेट (संपत्ति) की बिक्री के 1 वर्ष की अवधि के भीतर एक नए आवासीय घर के अलावा कोई और भी आवासीय घर खरीदते हैं ।

-पुरानी संपत्ति की बिक्री के 3 साल की अवधि के भीतर नए आवासीय घर के अलावा किसी और भी आवासीय घर का निर्माण करते हैं ।

Also Read: NPS : नई और पुरानी दोनों व्यवस्था के तहत आप उठा सकते हैं टैक्स बेनिफिट

छूट की सीमा

इस सेक्शन के तहत लॉन्ग-टर्म कैपिटल एसेट की पूरी कीमत जिस पर आपने बेचा है (net sales consideration), आपको किसी नई हाउस प्रॉपर्टी की खरीद या निर्माण में रीइन्वेस्ट करनी होगी। अगर आप पूरी कीमत को किसी हाउस प्रॉपर्टी में रीइन्वेस्ट नहीं करेंगे तो आपको केवल उसी अनुपात में टैक्स में छूट मिलेगी जिस अनुपात में आपने रीइन्वेस्ट किया है। मान लीजिए यदि आप 5 वर्ष बाद 20 लाख रुपए का गोल्ड 30 लाख रुपए में बेचते हैं तो आपको 10 लाख के एलटीसीजी को बचाने के लिए पूरे 30 लाख रुपए किसी हाउस प्रॉपर्टी की खरीद या निर्माण में लगानी होगी। लेकिन मान लीजिए आपने 15 लाख ही लगाया तब आपको इसी अनुपात में यानी आपको 50 फीसदी मतलब 5 लाख के कैपिटल गेन पर ही टैक्स में छूट मिलेगी।

कैपिटल गेन अकाउंट स्कीम (CGAS)

अगर आपने कैपिटल गेन को रीइन्वेस्ट उस वित्त वर्ष के लिए इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने की निर्धारित अवधि तक नहीं किया, जिस वित्त वर्ष में आपने लॉन्ग-टर्म कैपिटल एसेट  बेचा है तो आप उस कैपिटल गेन अमाउंट को बैंक की कैपिटल गेन अकाउंट स्कीम में रख दें। अन्यथा आपको उस अमाउंट पर एलटीसीजी टैक्स चुकाना होगा। इस अकाउंट में रखे गए अमाउंट को आप सेक्शन 54F के तहत निर्धारित समय तक इस्तेमाल कर सकते हैं। निर्धारित समय तक इस अमाउंट का इस्तेमाल नहीं करने पर आपको एलटीसीजी टैक्स देना होगा।

यदि नई हाउस प्रॉपर्टी 3 वर्ष के अंदर बेचते हैं……

अगर आप एलटीसीजी टैक्स में छूट का फायदा लेने के बाद नई हाउस प्रॉपर्टी को खरीदने या निर्माण करने के 3 वर्ष के अंदर बेच देते हैं तो आपको जो एलटीसीजी टैक्स में छूट मिली है वह रिवर्स हो जाएगी। मतलब पुरानी संपत्ति (कैपिटल एसेट) की बिक्री से हुए जितने लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन की राशि पर आपने टैक्स बचाया है वह नई हाउस प्रॉपर्टी के कॉस्ट ऑफ एक्विजिशन से घटा दी जाएगी।

कमर्शियल प्रॉपर्टी की बिक्री से होने वाली कमाई यानी लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन पर टैक्स से बचने का एक और भी विकल्प है — सेक्शन 54EC।

सेक्शन 54EC के तहत कैसे पाएं छूट

अगर आप कमर्शियल प्रॉपर्टी की बिक्री से होने वाली इनकम को किसी दूसरी रेजिडेंशियल हाउस प्रॉपर्टी की खरीद या निर्माण में नहीं इन्वेस्ट करना चाहते हैं तो आप इसे भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI), रूरल इलेक्ट्रिफिकेशन कॉरपोरेशन (REC), पावर फाइनैंस कॉरपोरेशन (PFC)) व भारतीय रेल वित्त निगम (IRFC) द्वारा जारी किए जाने वाले चुनिंदा बॉन्ड में निवेश कर सकते हैं। इस सेक्शन के तहत आवासीय और गैर आवासीय दोनों तरह की प्रॉपर्टी पर होने वाले लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन को इस तरह के चुनिंदा बॉन्ड में निवेश करने की सुविधा है। लेकिन प्रॉपर्टी बेचने के 6 महीने के अंदर आपको इस तरह के बॉन्ड में निवेश करना होगा। साथ ही अधिकतम 50 लाख रुपये तक के लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन को ही इस तरह के बॉन्ड में इन्वेस्ट किया जा सकता है। इस तरह के बॉन्ड का लॉक-इन पीरियड 5 वर्ष है। बॉन्ड पर जो ब्याज मिलता है वह टैक्सेबल होता है यानी आपकी आय में जुड़ जाता है और आपको आपके टैक्स स्लैब के हिसाब से टैक्स चुकाना होता है।

First Published - July 7, 2023 | 4:44 PM IST

संबंधित पोस्ट