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नौकरी छोड़ने के बाद भी रहें टेंशन फ्री — जानें कैसे कॉरपोरेट हेल्थ इंश्योरेंस को पर्सनल प्लान में बदला जा सकता है

नौकरी छोड़ते ही कॉरपोरेट हेल्थ इंश्योरेंस रुक जाता है, इसलिए पोर्टेबिलिटी, टॉप-अप और रिटायरमेंट प्लान से अपनी हेल्थ सिक्योरिटी बनाए रखना जरूरी होता है।

Last Updated- May 25, 2025 | 3:50 PM IST
health insurance
प्रतीकात्मक तस्वीर | फाइल फोटो

Corporate Health Insurance: कॉरपोरेट हेल्थ इंश्योरेंस आज के समय में कर्मचारियों के लिए एक जरूरी फायदा है, लेकिन इसके साथ कुछ कमियां भी हैं। जैसे ही आपकी नौकरी खत्म होती है, वैसे ही यह कवरेज भी रुक जाता है। इसके अलावा, यह इंश्योरेंस हर किसी की खास जरूरतों को पूरा नहीं करता और आमतौर पर इसमें कवरेज की राशि भी कम होती है। अगर आप नौकरी बदल रहे हैं, रिटायर हो रहे हैं या फिर गिग वर्क (फ्रीलांसिंग) की ओर बढ़ रहे हैं, तो अपनी आर्थिक और स्वास्थ्य सुरक्षा को बनाए रखना बहुत जरूरी हो जाता है। तो सवाल यह उठता है कि ऐसी स्थिति में क्या किया जा सकता है?

केयर हेल्थ इंश्योरेंस के चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर मनीष डोडेजा कहते हैं “आज इंश्योरेंस इंडस्ट्री में कई ऐसे विकल्प मौजूद हैं, जो इस अंतर को पाटने में मदद करते हैं। पोर्टेबिलिटी के जरिए आप अपने ग्रुप हेल्थ कवर को पर्सनल प्लान में बदल सकते हैं। इसके अलावा टॉप-अप पॉलिसी के जरिए नौकरी के दौरान ही कवरेज बढ़ा सकते हैं और रिटायरमेंट के बाद भी कंटिन्यूएशन प्लान के साथ अपनी हेल्थ सिक्योरिटी को बरकरार रख सकते हैं।”

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ग्रुप इंश्योरेंस से पर्सनल प्लान में बदलाव

जब आप नौकरी छोड़ते हैं, तो कॉरपोरेट हेल्थ इंश्योरेंस खत्म हो जाता है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि आपकी स्वास्थ्य सुरक्षा भी रुक जाए। मनीष के मुताबिक, इंश्योरेंस रेगुलेटरी एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी ऑफ इंडिया (IRDA) के दिशानिर्देशों के मुताबिक, अगर आपके पास ग्रुप हेल्थ इंश्योरेंस है तो आप इसे उसी इंश्योरेंस कंपनी के साथ व्यक्तिगत हेल्थ इंश्योरेंस प्लान में इसे बदल सकते हैं। इस प्रक्रिया को पोर्टेबिलिटी कहते हैं। इसमें आपका ग्रुप कवर व्यक्तिगत पॉलिसी में ट्रांसफर हो जाता है, और आप इसे अपनी जरूरतों के हिसाब से चला सकते हैं। खास बात यह है कि इस दौरान आपके पुराने प्लान में प्री-एक्सिस्टिंग डिजीज (पहले से मौजूद बीमारियों) के लिए जो वेटिंग पीरियड पूरा हो चुका है, वह नए प्लान में भी लागू रहता है। इसका मतलब है कि आपको नई पॉलिसी में फिर से लंबा इंतजार नहीं करना पड़ेगा।

हालांकि, इस प्रक्रिया में कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है। आपको पहले अलग-अलग हेल्थ इंश्योरेंस प्लान की तुलना करनी होगी और ऐसा प्लान चुनना होगा, जो आपकी जरूरतों के हिसाब से सही हो। इसके अलावा, अगर आप अपने कवरेज की राशि (सम इंश्योर्ड) को बढ़ाना चाहते हैं, तो यह भी संभव है, लेकिन इसके लिए नई इंश्योरेंस कंपनी के कुछ नियमों का पालन करना पड़ सकता है। उदाहरण के लिए, आपको कुछ अतिरिक्त मेडिकल चेकअप करवाने पड़ सकते हैं।

टॉप-अप पॉलिसी: नौकरी के दौरान कवरेज बढ़ाएं

अगर आप अभी नौकरी कर रहे हैं और आपको लगता है कि आपका कॉरपोरेट हेल्थ इंश्योरेंस आपकी जरूरतों को पूरा नहीं कर रहा, तो टॉप-अप पॉलिसी एक शानदार विकल्प हो सकता है। कॉरपोरेट प्लान में अक्सर कवरेज की राशि कम होती है, जो बड़े मेडिकल खर्चों को कवर करने के लिए काफी नहीं होती। टॉप-अप पॉलिसी आपके मौजूदा प्लान के ऊपर एक अतिरिक्त कवरेज लेयर जोड़ती है। मान लीजिए, आपका ग्रुप इंश्योरेंस 3 लाख रुपये का है, लेकिन आपको लगता है कि यह काफी नहीं है। आप एक टॉप-अप प्लान ले सकते हैं, जो कम प्रीमियम पर ज्यादा कवरेज देता है। यह पॉलिसी तब काम आती है, जब आपके मेडिकल खर्चे आपके ग्रुप प्लान की सीमा से ज्यादा हो जाते हैं।

टॉप-अप प्लान की खासियत यह है कि यह किफायती होता है और आपकी मौजूदा पॉलिसी के साथ आसानी से जोड़ा जा सकता है। इससे आप नौकरी के दौरान ही अपनी स्वास्थ्य सुरक्षा को मजबूत कर सकते हैं। यह विकल्प खासकर उन लोगों के लिए फायदेमंद है, जो अपनी कंपनी के इंश्योरेंस पर पूरी तरह निर्भर नहीं रहना चाहते और भविष्य में किसी बड़े मेडिकल खर्च की तैयारी करना चाहते हैं।

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रिटायरमेंट के बाद हेल्थ सिक्योरिटी

रिटायरमेंट के बाद स्वास्थ्य संबंधी खर्चे बढ़ सकते हैं, क्योंकि उम्र के साथ बीमारियों का खतरा बढ़ता है। भारत में मेडिकल इन्फ्लेशन लगातार बढ़ रहा है, जिसके चलते हॉस्पिटलाइजेशन, सर्जरी और दवाइयों का खर्च तेजी से बढ़ रहा है। अगर आपके पास सही हेल्थ इंश्योरेंस नहीं है, तो एक मेडिकल इमरजेंसी आपकी रिटायरमेंट सेविंग्स को खत्म कर सकती है। ऐसे में रिटायरमेंट कंटिन्यूएशन प्लान आपकी मदद कर सकते हैं। ये प्लान खास तौर पर उन लोगों के लिए बनाए गए हैं, जो नौकरी छोड़ने या रिटायर होने के बाद भी अपनी हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी को बनाए रखना चाहते हैं।

कई इंश्योरेंस कंपनियां अब सीनियर सिटीजन्स के लिए खास हेल्थ इंश्योरेंस प्रोडक्ट्स ऑफर करती हैं। इनमें एनुअल हेल्थ चेकअप, वेलनेस प्रोग्राम और मेडिकल खर्चों को कवर करने की सुविधा शामिल होती है। IRDA ने भी इंश्योरेंस कंपनियों को निर्देश दिए हैं कि वे सीनियर सिटीजन्स की जरूरतों को ध्यान में रखकर खास प्रोडक्ट्स बनाएं और उनके लिए एक अलग सपोर्ट चैनल शुरू करें। इन प्लान्स की मदद से रिटायरमेंट के बाद भी आप अपनी स्वास्थ्य सुरक्षा को बरकरार रख सकते हैं, ताकि बढ़ते मेडिकल खर्चों का बोझ आपकी जेब पर न पड़े।

कर्मचारियों के भलाई के लिए नया नजरिया

मनीष कहते हैं,  “कॉरपोरेट हेल्थ इंश्योरेंस भले ही एक अच्छी शुरुआत हो, लेकिन यह हर किसी की जरूरतों को पूरा नहीं करता। पोर्टेबिलिटी, टॉप-अप पॉलिसी और रिटायरमेंट प्लान जैसे विकल्प कर्मचारियों को यह आजादी देते हैं कि वे अपनी स्वास्थ्य जरूरतों के हिसाब से सही इंश्योरेंस चुन सकें। यह एक ऐसा कदम है, जो न केवल कर्मचारियों की भलाई को बढ़ावा देता है, बल्कि उन्हें अपनी आर्थिक सुरक्षा को खुद नियंत्रित करने का मौका भी देता है।”

First Published - May 25, 2025 | 3:20 PM IST

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