वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अंतरराष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र (IFSC) में कर छूट हासिल करने के लिए इकाई स्थापित करने की समयसीमा एक साल के लिए बढ़ा दी है। गुरुवार को अंतरिम बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री ने इस समयसीमा को अब 31 मार्च 2025 कर दिया।
सीतारमण ने कहा कि गिफ्ट आईएफएससी, जिसको विनियमित करने वाला एकीकृत प्राधिकरण आईएफएससीए है, देश की अर्थव्यवस्था में वैश्विक पूंजी और वित्तीय सेवाओं के लिए मजबूत रास्ता तैयार कर रहा है।
आईएफएससी में कुछ कारोबारों को मिलने वाली कर छूट बंद करने का प्रावधान नहीं है, जबकि विमान, जहाज पट्टे पर देने जैसे कुछ कारोबारों के लिए शर्त थी कि अगर उन्हें कर छूट का फायदा लेना है तो 31 मार्च 2024 से पहले अपनी इकाई स्थापित करनी होगी।
ईवाई इंडिया के अंतरराष्ट्रीय पार्टनर जयमान पटेल ने कहा, ‘( कर छूट) आगे बढ़ाने से गिफ्टी सिटी में मौजूदा और नए बैंक तेजी से नए प्रतिष्ठान खोलेंगे और निवेश निर्णय लेंगे। इसी तरह गिफ्ट आईएफएससी में विमान और जहाज पट्टे पर देने वाली कंपनियां अपने प्रतिष्ठान खोलने के लिए प्रेरित हों, इसके लिए उन कंपनियों के कामकाज शुरू कर टैक्स छूट हासिल करने की समयसीमा बढ़ाकर 31 मार्च 2025 कर दी गई है।’
कर विशेषज्ञों का कहना है कि एक साल की राहत मिलने से अब गुजरात अंतराष्ट्रीय वित्त टेक सिटी (गिफ्ट सिटी) आईएफएससी में इकाइयों के पंजीकरण में तेजी आएगी। आईएफएससीए के आंकड़ों के मुताबिक 30 सितंबर 2023 तक विमान पट्टे पर देने वाली 15 और जहाज पट्टे पर देने वाली 4 इकाइयां पंजीकृत थीं।
जुलाई से सितंबर 2023 के बीच आईएफएससीए ने विमान पट्टे पर देने की इकाइयों के 4 और जहाज पट्टे पर देने की इकाइयों के लिए 3 पंजीकरण आवेदन हासिल किए। एनएसडीएल की वेबसाइट के मुताबिक गिफ्ट-आईएफएससी में कुल 35 एफपीआई पंजीकृत हैं।
नांगिया एंडर्सन एलएलपी के पार्टनर सुनील गिडवानी ने कहा, ‘फिलहाल आईएफएससी में कई कारोबार को मिलने वाली कर छूट आमतौर पर खुली श्रेणी के हैं यानी इन्हें बंद करने का कोई प्रावधान नहीं है। लेकिन जहां तक एफपीआई की तरह पंजीकृत निवेश प्रभाग अपतटीय बैंकिंग इकाई और पट्टे पर विमान देने के कारोबार का संबंध है तो उनके 31 मार्च 2024 तक कारोबार गठित करने की शर्त को वित्त विधेयक के जरिए बढ़ाकर 2025 तक कर दिया गया है। इससे इन कारोबारों को गिफ्ट सिटी में अपना कारोबार शुरू करने में कुछ राहत मिलेगी।’
अंतरिम बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री ने कहा, ‘स्टार्टअप और सॉवरिन वेल्थ या पेंशन फंडों को मिलने वाले कुछ कर लाभ और कुछ आईएफएससी इकाइयों को निश्चित आय पर मिलने वाली कुछ कर छूट 31 मार्च 2024 को खत्म हो रही हैं। कराधान में निरंतरता बनाए रखने के लिए मैं इसे 31 मार्च 2025 तक बढ़ाने का प्रस्ताव रखती हूं।’
फिलहाल भारत के पहले आईएफएससी में पंजीकृत कई तरह की वित्तीय फर्मों को लगातार 10 साल तक प्रत्यक्ष करों में 100 फीसदी तक की छूट मिलने का प्रावधान है। किसी आईएफएससी इकाई में गैर निवासी को हासिल लाभांश पर रियायती दर पर टैक्स लगाया जाता है, जबकि आईएफएससी इकाई को दिए गए उधार से हासिल ब्याज आय पर कोई कर नहीं लगता। इसी तरह आईएफएससी में निर्दिष्ट फंडों से हासिल कुछ आय पर अधिभार और स्वास्थ्य या शिक्षा उपकर भी नहीं लागू होते।