सिलिकन वैली बैंक (SVB) का भट्ठा बैठने से घबराए देसी बेंचमार्क सूचकांक लुढ़ककर 5 महीने के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गए। इस बैंक के पिटने के बाद दुनिया भर के नियामक गिरावट थामने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन निवेशकों की फिक्र बढ़ती जा रही है। पूरी दुनिया के शेयर बाजार आज भी लुढ़क गए मगर बॉन्ड और सोने जैसी सुरक्षित समझी जाने वाली परिसंपत्तियां चढ़ गईं।
बंबई स्टॉक एक्सचेंज (BSE) का सेंसेक्स आज 897 अंक यानी 1.5 फीसदी गिरावट के साथ 58,238 अंक पर बंद हुआ। 14 अक्टूबर के बाद यह सेंसेक्स का सबसे निचला स्तर है। सेंसेक्स 1 दिसंबर की अपनी रिकॉर्ड ऊंचाई (63,284 अंक) से अब 8 फीसदी नीचे है।
निफ्टी-50 सूचकांक भी आज 259 अंक (1.5 फीसदी) गिरावट के साथ 17,154 अंक पर बंद हुआ, जो 13 अक्टूबर के बाद उसका सबसे निचला स्तर है। बैंकिंग शेयरों का प्रदर्शन भी लगातार कमजोर रहा है, जिससे बैंक निफ्टी सूचकांक में 2.3 फीसदी की गिरावट आई। इंडिया वीआईएक्स सूचकांक 21 फीसदी बढ़त के साथ 16.22 पर पहुंच गया, जिससे पता चलता है कि निवेशक किस कदर घबराए हुए हैं।
उधर निवेश का सुरक्षित साधन कहलाने वाले सोने की चमक लगातार बरकरार है और उसके भाव बढ़कर चार हफ्ते की ऊंचाई पर पहुंच गए हैं। दो साल के अमेरिकी ट्रेजरी प्रतिफल पिछले सप्ताह घटकर 4.8 फीसदी रह गया, जो फरवरी की शुरुआत में 4.26 फीसदी के बाद सबसे कम है। घरेलू बाजार में सोने की कीमतें 2.3 फीसदी बढ़कर 56,740 रुपये प्रति 10 ग्राम हो गईं। दो साल के अमेरिकी बॉन्ड प्रतिफल में तीन दिनों की गिरावट 1987 के बाद सबसे अधिक रही।
आज शुरुआती कारोबार में सेंसेक्स 375 अंक चढ़ा था, उम्मीद थी कि SVB संकट के बाद फेडरल रिजर्व ब्याज दर नहीं बढाएगा। मगर उम्मीद जल्द ही टूट गई क्योंकि SVB के ठप होने के नतीजे आंक रहे निवेशकों को अमेरिका में मुद्रास्फीति की चिंता हो गई। अमेरिका में मुद्रास्फीति के आंकड़े इसी हफ्ते आएंगे।
फेडरल रिजर्व के अध्यक्ष जेरोम पॉवेल ने पहले संकेत दिया था कि दर में वृद्धि का निर्णय आंकड़ों पर निर्भर करेगा। फेडरल रिजर्व के अधिकारियों का एक समूह मानता है कि जब तक मुद्रास्फीति 2 फीसदी के लक्षित दायरे में नहीं आती तब तक दरें बढ़ाई जाती रहें।
विशेषज्ञों ने कहा कि अमेरिका में बैंकिंग संकट से साफ है कि केंद्रीय बैंक मुद्रास्फीति पर काबू के चक्कर में मंदी की आशंका पर गौर नहीं कर रहे। एसवीबी के ठप होने से भारतीय बैंकों और प्रौद्योगिकी क्षेत्र की चिंता भी बढ़ गई है। विशेषज्ञों का कहना है कि अमेरिकी बैंकिंग प्रणाली में समस्या का कुछ असर यहां भी दिख सकता है।
भारतीय शेयर बाजार ज्यादा मूल्यांकन, सख्त मौद्रिक स्थिति और अदाणी समूह के बारे में हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के कारण हुए नुकसान से पहले ही परेशान है।
SVB का भट्ठा बैठते ही अमेरिकी नियामक ने तत्काल कार्रवाई करते हुए न्यूयॉर्क के सिग्नेचर बैंक को निगरानी में रखा है। अमेरिकी अधिकारी उधारी का एक कार्यक्रम भी लाए हैं और उनका दावा है कि यह बिना बीमा वाले जमाकर्ताओं की सुरक्षा के लिए पर्याप्त होगा।
मार्सेलस इन्वेस्टमेंट एडवाइजर्स के संस्थापक सौरभ मुखर्जी ने कहा, ‘पश्चिमी दुनिया के निवेशकों को खास तौर पर अभी पता ही नहीं चल पाया है कि एसवीबी संकट के पीछे क्या कारण हैं। उन्हें यह समझने में कुछ सप्ताह लग जाएंगे कि ब्याज दरों में वृद्धि बॉन्ड पोर्टफोलियो को किस प्रकार कुचल देगी।
देसी निवेशक ज्यादा डरे नहीं हैं मगर विदेशी निवेशक भयभीत हैं। हमारी अर्थव्यवस्था मजबूत है और इससे बाजारों को कुछ हद तक सहारा मिलेगा। मगर हम कितनी भी अच्छी स्थिति में हों, पश्चिमी बाजारों में उथल-पुथल से विदेशी निवेशकों के घबराने के कारण यहां भी कुछ उथलपुथल दिखेगी।’
स्टॉक एक्सचेंज से प्राप्त अनंतिम आंकड़ों के अनुसार विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने आज 1,546.86 करोड़ रुपये के शेयर बेचे। शुक्रवार को उनके पास 1,764.36 करोड़ रुपये के शेयर थे।
मोतीलाल ओसवाल फाइनैंशियल सर्विसेज के खुदरा अनुसंधान प्रमुख सिद्धार्थ खेमका ने कहा कि जब तक इस संकट की स्थिति स्पष्ट नहीं होगी तब तक बाजार में उतार-चढ़ाव बरकरार रहेगा। सेंसेक्स में एक को छोड़कर सभी शेयर गिरे।
इन्फोसिस का शेयर 2.5 फीसदी गिर गया और इस वजह से ही सेंसेक्स ने सबसे अधिक गोता खाया। आईसीआईसीआई बैंक का शेयर 1.8 फीसदी गिरा व एचडीएफसी बैंक के शेयर में 1.3 फीसदी की गिरावट रही।