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छोटे निवेशकों को डेरिवेटिव सौदे से बचना चाहिए: आशिषकुमार चौहान

एनएसई (NSE) के प्रबंध निदेशक व मुख्य कार्याधिकारी आशिषकुमार चौहान ने कहा कि आगे बढ़ रही अर्थव्यवस्था कंपनियों, निवेशकों और बाजार के पूरे तंत्र को लाभान्वित करेगी।

Last Updated- June 14, 2024 | 11:41 PM IST
Ashish kumar chauhan

वायदा और विकल्प (F&O) में अत्यधिक सटोरिया गतिविधियों को लेकर चिंता के बीच एनएसई (NSE) के प्रबंध निदेशक व मुख्य कार्याधिकारी आशिषकुमार चौहान ने निवेशकों को सतर्क किया है।

नई दिल्ली में हर्ष कुमार को दिए इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि आगे बढ़ रही अर्थव्यवस्था कंपनियों, निवेशकों और बाजार के पूरे तंत्र को लाभान्वित करेगी। बातचीत के मुख्य अंश…

-भारत का बाजार पूंजीकरण 5 लाख करोड़ डॉलर के पार निकल गया है। भारत के शेयर बाजारों में इस उत्साह की क्या वजह है?

भारत उन आर्थिक सिद्धांतों को खारिज करता है जो कहते हैं कि प्रति व्यक्ति कम आय वाले देशों में मजबूत बाजार अर्थव्यवस्थाएं नहीं हो सकतीं। प्रति व्यक्ति आय अपेक्षाकृत कम होने के बावजूद भारत की कामयाबी की वजह उसकी न्यायपालिका, संसद, नियामक और स्टॉक एक्सचेंजों पर निवेशकों का भरोसा है।

-आगामी बजट के लिए आपके क्या सुझाव हैं?

बाजार के नजरिये से स्थिरता व विकासोन्मुखी नीतियों का हमेशा स्वागत किया जाता है। बढ़ती अर्थव्यवस्था कंपनियों, निवेशकों और पूरे बाजार को लाभान्वित करती है। भारत में निवेशकों की बढ़ती संख्या के साथ उन नीतियों की मांग बढ़ रही है जो वृद्धि को प्रोत्साहित करें।

-एफऐंडओ सेगमेंट में शेयरों को शामिल करने के लिए सेबी के प्रस्तावित मानदंडों पर आपकी क्या राय है?

वायदा एवं विकल्प सेगमेंट में शेयर को शामिल करने को लेकर विभिन्न वर्षों में कुछ बदलाव हुए हैं। सेबी इस पर काफी समय से विचार कर रहा था। उसने कई समितियां गठित की थीं।

सेबी (SEBI) का चर्चा पत्र इस प्रक्रिया का नतीजा है, जिसका लक्ष्य यह तय करना है कि कौन सी कंपनी को शामिल किया जाना चाहिए और किसे बाहर निकाला जाना चाहिए। चिंता संभावित कदाचार को रोकने की है और इसीलिए यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि पर्याप्त रूप से तरल कंपनियों को ही शामिल किया जाए।

-ऑप्शन सेगमेंट में अत्यधिक सटोरिया कारोबार को लेकर चिंता पर आपकी क्या राय है?

ऑप्शन ट्रेडिंग सेगमेंट को लेकर चिंता कायम है। भारत जैसे देश में सतर्कता जरूरी है। आदर्श रूप में छोटे निवेशकों को डेरिवेटिव में उतरने से एकदम परहेज करना चाहिए। इसके बजाय उन्हें म्युचुअल फंड या पोर्टफोलियो मैनेजमेंट जैसे विकल्पों पर विचार करना चाहिए क्योंकि ट्रेडिंग उनके लिए शायद उपयुक्त नहीं हो।

-एफऐंडओ सेगमेंट में बीएसई तेजी से बाजार हिस्सेदारी हासिल कर रहा है। क्या यह एनएसई के लिए चिंताजनक है?

नहीं, बीएसई जैसे एक्सचेंज को प्रतिस्पर्धी माना जा सकता है, लेकिन हमारे कामकाज का ज्यादातर हिस्सा अग्रिम पंक्ति के नियामकों के रुप में सहयोग से जुड़ा हुआ है। इसलिए हम इसको लेकर चिंतित नहीं हैं।

-सेबी के टर्नओवर शुल्क की गणना के मसले पर आपका क्या रुख है? इसका सही तरीका क्या है?

अंतत: हर किसी को कर का भुगतान निश्चित तौर पर करना चाहिए। टर्नओवर शुल्क एक तरह का कर है, जो लंबे समय से एक्सचेंज चुकाता रहा है।

First Published - June 14, 2024 | 10:42 PM IST

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