भारतीय नवीकरणीय ऊर्जा विकास एजेंसी (IREDA), जेएसडब्ल्यू इन्फ्रास्ट्रक्चर (JSW Infra) और टाटा टेक्नोलॉजिज (Tata Tech) के शेयर सोमवार को सुर्खियों में होंगे। इन शेयरों को सप्ताहांत में एफटीएसई वर्ल्ड इंडेक्स में शामिल किया गया है।
विश्लेषकों के मुताबिक तीनों शेयर 280 से 470 करोड़ रुपये का पैसिव निवेश आकर्षित कर सकते हैं। इस बीच, एसऐंडपी बीएसई सेंसेक्स में आश्चर्यजनक रूप से शामिल होने के चलते अदाणी पोर्ट्स ऐंड स्पेशल इकनॉमिक जोन (APSEZ) पर भी नजर रहेगी जिसमें करीब 2,000 करोड़ रुपये का निवेश आ सकता है।
एक विश्लेषक ने कहा कि ज्यादा उम्मीद यही थी कि अदाणी एंटरप्राइजेज को शामिल किया जाएगा और बाजार इसी के मुताबिक तैयार था लेकिन अब अदाणी पोर्ट्स (Adani Ports) में कुछ खरीदारी दिख सकती है। सूचकांकों में होने वाले सभी बदलावों की घोषणा शुक्रवार को बाजार बंद होने के बाद कर दी गई।
अमेरिकी बाजार भी अपना रहा टी प्लस वन सेटलमेंट
दुनिया का सबसे बड़ा इक्विटी बाजार अमेरिका मंगलवार से टी प्लस वन सेटलमेंट साइकल (निपटान चक्र) अपना रहा है। भारत में टी प्लस वन साइकल कामयाबी के साथ लागू होने के 16 महीने बाद वहां यह कदम उठाया जा रहा है।
लेकिन भारतीय बाजार एक कदम आगे बढ़ गया है और प्रायोगिक आधार पर कारोबार के दिन ही निपटान की कोशिश कर रहा है हालांकि इस पर दुनिया भर में गरमा-गरम बहस छिड़ गई है कि कहीं तो इसकी सीमा तय करनी होगी।
खबरों के मुताबिक अमेरिकी बाजार के भागीदार कारोबार में गिरावट, अतिरिक्त लागत और परिचालन से जुड़ी अन्य चुनौतियों को लेकर चिंतित हैं। देसी बाजार के भागीदारों (खास तौर से विदेशी फंडों) को वैसा ही डर तब भी था जब भारत ने ट्रेड सेटलमेंट दिवस का समय आधा करने का फैसला लिया था।
हालांकि अमेरिकी बाजार की प्रकृति और 55 लाख करोड़ डॉलर के बाजार पूंजीकरण को देखते हुए नया सेटलमेंट साइकल लागू करना ज्यादा चुनौतीपूर्ण हो सकता है और अन्य बाजारों के लिए भी इसके निहितार्थ होंगे।
सरकार बदली तो लगेगा झटका, शेयर टूटेंगे तो खरीदारी का मौका भी
बाजार के ज्यादातर जानकार कह रहे हैं कि केंद्र में सरकार बदली तो बाजार को तेज झटका लगेगा लेकिन उनका यह भी कहना है कि शेयर कीमतों में गिरावट खरीदारी का मौका भी देगी क्योंकि भारत की अर्थव्यवस्था बढ़त की ओर है और इससे कोई मतलब नहीं है कि सरकार कौन बना रहा है।
हालिया घटनाक्रम में केंद्र के एक वरिष्ठ मंत्री ने इस बात पर नाराजगी जताई कि भारतीय जनता पार्टी की हार बाजार के लिए अल्पावधि का झटका होगा लेकिन लंबी अवधि की वृद्धि की राह पर असर नहीं होगा।
मंत्री का मानना है कि राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) की तरह किसी भी सरकार ने काम नहीं किया है जबकि उसे कोविड-19 के दौरान आर्थिक मंदी से निपटना पड़ा था। इसलिए सरकार बदली तो आर्थिक नीतियों और बाजार पर असर पड़ेगा।