Market This Week: भारत के प्रमुख बेंचमार्क इंडेक्स निफ्टी-50 और सेंसेक्स शुक्रवार को एक महीने के निचले स्तर पर बंद हुए। साल 2025 में यह उनका सबसे लंबा वीकली लॉस है। बाजार में बड़े पैमाने पर बिकवाली देखी गई। कमजोर तिमाही नतीजों और विदेशी निवेशकों की बिकवाली तथा वैश्विक व्यापार में अनिश्चितता ने निवेशकों के सेंटीमेंट्स को प्रभावित किया।
निफ्टी50 इंडेक्स और बीएसई सेंसेक्स में इस हफ़्ते (21 जुलाई-25 जुलाई) क्रमशः 0.5 फीसदी और 0.4 प्रतिशत की गिरावट आई। जबकि शुक्रवार को यह 0.99 फीसदी की गिरावट के साथ क्रमशः 24,837 अंक और 81,463.09 अंक पर बंद हुए। इसी के साथ बाजार में लगातार चौथी हफ्ते साप्ताहिक आधार पर गिरावट दर्ज की गई।
इस हफ़्ते (21 जुलाई-25 जुलाई) 16 प्रमुख सेक्टर्स में से ग्यारह में गिरावट दर्ज की गई। इनमें इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी, ऑइल एंड गैस और कंज्यूमर गुड्स सेक्टर सबसे ज़्यादा गिरावट में रहे। कमज़ोर तिमाही नतीजों के चलते इस हफ्ते आईटी इंडेक्स 4.1 फीसदी गिर गया। आईटी कंपनियों में पहली तिमाही के निराशाजनक नतीजों की चिंता के बीच इंफोसिस में इस हफ्ते 4.4 फीसदी की गिरावट आई।
ब्रोडर स्मॉल-कैप और मिड-कैप इंडेक्स में इस हफ्ते क्रमशः 3.5 प्रतिशत और 1.9 फीसदी की वीकली गिरावट दर्ज की गई। नेस्ले इंडिया और कोलगेट पामोलिव इंडिया के निराशाजनक नतीजों के दबाव में एफएमसीजी इंडेक्स में 3.4% की वीकली गिरावट दर्ज की गई। तेल और गैस सेक्टर में 3.5% की गिरावट दर्ज की गई। जबकि रिटेल और तेल-से-रसायन कारोबार में नरमी की चिंताओं के कारण रिलायंस इंडस्ट्रीज के शेयर इस हफ्ते 5.7% टूट गए।
निवेशकों को इस हफ्ते बाजार में 7.77 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा का नुकसान हुआ है। बीएसई में लिस्टेड कंपनियों का मार्केट कैप इस हफ्ते (21 जुलाई-25 जुलाई) को घटकर 4,51,68,480 करोड़ रुपये रह गया। यह पिछले हफ्ते शुक्रवार (18 जुलाई) को 45,945,864 करोड़ रुपये था। इस तरह, बीएसई में लिस्टेड कंपनियों का मार्केट कैप साप्ताहिक आधार पर 777,384 करोड़ रुपये घटा है।
1. FIIs की बिकवाली
विदेशी निवेशक भारतीय शेयरों में नेट बिकवाली जारी रखे हुए हैं। विश्लेषकों का मानना है कि सुस्त आय की तुलना में, जुलाई में लगातार चार महीनों की शुद्ध खरीदारी से बिकवाली की ओर इस बदलाव के लिए ज़्यादातर मूल्यांकन ज़िम्मेदार हैं। भारतीय बाजार वर्तमान में अपने समकक्ष बाजारों की तुलना में प्रीमियम पर कारोबार कर रहे हैं, जिससे अल्पावधि में ये कम आकर्षक हो रहे हैं। यह भी उल्लेखनीय है कि स्मॉलकैप सेगमेंट में बिकवाली ज़्यादा रही है, जहाँ मूल्यांकन एक बार फिर ऊँचा हो गया है। डी-स्ट्रीट के खिलाड़ियों को उम्मीद है कि यह रुझान निकट भविष्य में भी जारी रहेगा।
2. इंडिया-यूएस ट्रेड डील पर अनिश्चितता
भारत ने ब्रिटेन के साथ एक मुक्त व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर कर दिए हैं। हालांकि, बाजार का ध्यान पूरी तरह से भारत और अमेरिका के बीच संभावित ट्रेड समझौते पर केंद्रित है। फ़िलहाल, अटकलें जारी हैं। लेकिन 1 अगस्त की टैरिफ़ समयसीमा से पहले अभी तक कोई ठोस प्रगति नहीं हुई है। इससे बाजार के सेंटीमेंट्स पर असर पड़ रहा है।
ट्रंप टैरिफ की अब समय सीमा सिर्फ़ एक हफ़्ते दूर है। ऐसे में निवेशकों की चिंताएं बढ़ गई हैं। बाज़ार एक ऐसे समझौते का इंतज़ार कर रहा है जो 26 प्रतिशत टैरिफ़ की बढ़ती दरों को टालने में मदद कर सके। किसी भी तरह की देरी या स्पष्टता की कमी बाज़ार में निकट भविष्य में अस्थिरता पैदा कर सकती है।
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3 IT और FMCG शेयरों में गिरावट
प्रमुख कंपनियों के निराशाजनक तिमाही नतीजों के बाद आईटी सेक्टर ने पहले ही बाजार की धारणा को कमजोर कर दिया था। वहीं एफएमसीजी सेक्टर ने दबाव और बढ़ा दिया। उद्योग की दिग्गज कंपनी नेस्ले इंडिया ने निवेशकों को निराश करते हुए अपने मुनाफे में सालाना आधार पर 13 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की है। यह पिछले साल के ₹746.6 करोड़ से घटकर ₹646.6 करोड़ रह गया। ब्रोडर निफ्टी एफएमसीजी सूचकांक 0.6 प्रतिशत की गिरावट के साथ 54,645 के इंट्राडे निचले स्तर पर आ गया। नेस्ले इंडिया के शेयर 1.87 प्रतिशत की गिरावट के साथ ₹2,277 पर बंद हुए।