टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस), इन्फोसिस, विप्रो, एचसीएल टेक जैसी भारत की शीर्ष सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) सेवा कंपनियों के साथ-साथ मेटा जैसी अन्य दिग्गज प्रौद्योगिकी कंपनियों का प्रतिनिधित्व करने वाली लॉबिंग फर्में अमेरिका में मुस्तैद हैं। सूत्रों ने बताया कि वे वहां अमेरिकी वाणिज्य मंत्री हॉवर्ड लटनिक के साथ बातचीत करने की कोशिश कर रही हैं।
नाम नहीं जाहिर करने की शर्त पर एक बड़ी आईटी कंपनी के सूत्र ने कहा, ‘लगभग सभी बड़ी आईटी कंपनियां और दिग्गज प्रौद्योगिकी कंपनियां वाशिंगटन में हैं। सभी कंपनियां सरकार से संपर्क करने की कोशिश में जुटी हैं।’
नाम नहीं बताने की शर्त पर एक अन्य सूत्र ने कहा, ‘कंपनियां अमेरिकी वाणिज्य मंत्री हॉवर्ड लटनिक से मिलने का प्रयास कर रही हैं और उम्मीद है कि इस हफ्ते उनकी मुलाकात हो जाएगी।’
अमेरिकी प्रशासन द्वारा हर नए एच1बी वीजा आवेदन पर 1 लाख डॉलर का एकमुश्त शुल्क लगाने के साथ आईटी सेवा और प्रौद्योगिकी उद्योग अमेरिका में मौजूद कौशल की कमी का हवाला देने की कोशिश कर रहे हैं।
हालांकि, इस बारे में पूछे जाने के लिए टीसीएस, इन्फोसिस, विप्रो, एचसीएल टेक, मेटा और अन्य कंपनियों को भेजे गए ईमेल का कोई जवाब नहीं मिला।
शनिवार की देर शाम आए नए स्पष्टीकरण के साथ अमेरिकी सरकार का प्रत्येक नए एच1बी वीजा आवेदन पर 1 लाख शुल्क लगाने का प्रस्ताव है। इससे अमेरिका में कार्यरत कम से कम 6 से 7 लाख पेशेवरों को तुरंत राहत मिलने की उम्मीद है। उद्योग जगत के जानकारों ने बताया कि अमेरिकी उद्यमों के विरोध के बाद वहां की सरकार ने यह स्पष्टीकरण लाया है, जो एच1बी वीजा पर कर्मचारियों की नियुक्ति कर रहे हैं। एडेको इंडिया के निदेशक और व्यवसाय प्रमुख (पेशेवर स्टाफिंग) संकेत चेंगप्पा केजी ने कहा कि अनुमान है कि इस शुल्क के लागू होने से हर साल 50,000 से अधिक आवेदक प्रभावित हो सकते हैं। इनमें आईटी सेवाएं, इंजीनियरिंग और वित्तीय सेवा क्षेत्र की कंपनियों पर सबसे ज्यादा असर पड़ेगा।
केजी ने कहा, ‘यह स्पष्ट है कि वैश्विक कार्यबल रणनीतियों को नया रूप दिया जा रहा है। नियोक्ताओं से उम्मीद है कि वे खास, उच्च प्रभावी भूमिकाओं के लिए ही एच1बी वीजा को प्राथमिकता देंगे। साथ ही भारत में वैश्विक दक्षता केंद्रों (जीसीसी) का विस्तार करेंगे, जहां पहले से ही 19 लाख कुशल पेशेवर काम कर रहे हैं। लंबी अवधि में यह स्थिति इस बात को परिभाषित कर सकती है कि सीमा पार प्रतिभाओं की तैनाती कैसे की जाती है। कंपनियां लागत क्षमता और निरंतरता में कैसे संतुलन बनाती हैं और तेजी से बदलते नीतिगत परिवेश में संगठनों की मजबूती कैसे बनती है।’
इस बीच, उद्योग निकाय नैसकॉम ने बयान जारी कर कहा है कि कि भारतीय आईटी उद्योग अमेरिका में स्थानीय कौशल उन्नयन और नियुक्ति पर 1 अरब डॉलर खर्च कर रहा है और स्थानीय नियुक्तियों की संख्या में जबरदस्त वृद्धि हुई है। साथ ही उद्योग निकाय ने कहा कि एच1बी वीजा पर निर्भरता कम होने के कारण शुल्क वृद्धि का इस क्षेत्र पर मामूली प्रभाव पड़ेगा।