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US H-1B visa fee hike: महंगे वीजा से TCS, Infosys, Wipro समेत आईटी कंपनियों पर दबाव, अनुबंधों पर दोबारा बातचीत तय

H-1B वीजा शुल्क $1 लाख होने से IT कंपनियों के मार्जिन पर दबाव, अनुबंधों की शर्तों पर दोबारा बातचीत तय।

Last Updated- September 23, 2025 | 9:14 AM IST
H-1B visa
Representative Image

सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र के ऐसे सौदों पर फिर से बातचीत होने के आसार हैं जिन पर हस्ताक्षर किए जाने हैं या जिनका अगले साल नवीनीकरण होना है। अमेरिका ने एच-1बी वीजा शुल्क में भारी भरकम इजाफा करके इसे 1,00,000 डॉलर कर दिया है, जो भारत के प्रमुख निर्यात उद्योग के लिए तगड़ा झटका है।

विशेषज्ञों का कहना है कि इस तरह की अत्यधिक लागत की वजह से आईटी सेवा क्षेत्र की कंपनियों को वीजा की संभावना वाले अपने कर्मचारियों को भारत में ही रखने के लिए विवश होना पड़ सकता है। दूसरी तरफ उन्हें कनाडा और मेक्सिको में निकट भविष्य वाले आकस्मिक खर्चों को बढ़ाना होगा तथा अमेरिका में और ज्यादा लोगों को नियुक्त करने की योजनाओं को तेज करना होगा। इन दोनों ही बातों से उनकी लागत बढ़ेगी और पहले से ही दबाव में चल रहे उनके मार्जिन पर असर पड़ेगा।

बिज़नेस स्टैंडर्ड ने मार्च में खबर दी थी कि इस साल लगभग 20 अरब डॉलर के सौदों का नवीनीकरण होना है। कुछ प्रमुख सौदे अब भी पूरे होने बाकी हैं। इनमें स्टार अलायंस और नीलसन के साथ टीसीएस का सौदा, डेमलर और जीई अप्लायंसेज के साथ इन्फोसिस का सौदा, जर्मनी की ऊर्जा क्षेत्र क कंपनी ई ओन और ब्राजील की पेट्रोब्रास के साथ विप्रो का सौदा तथा चेसनारा के साथ एचसीएल का सौदा शामिल है।

उद्योग अनुसंधान कंपनी नेल्सनहॉल में प्रमुख अनुसंधान विश्लेषक गौरव परब ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि अगले साल मार्च से आईटी कंपनियां एच-1बी वीजा के आवेदन पूरी तरह वापस ले लेंगी। इसका मतलब यह है कि आगामी अनुबंधों के लिए भारत से एच1बी वीजा पर यात्रा करने वाले बहुत कम लोग होंगे।

उन्होंने बताया, ‘ऐसे ऑन-साइट संसाधनों की बिलिंग दर भारत में स्थित संसाधनों की तुलना में अधिक होती है। इसलिए ये भूमिकाएं और उनमें से कुछ महत्वपूर्ण होती हैं और इनके लिए ग्राहक के साथ घनिष्ठता या ग्राहक के स्थल तक पहुंच की आवश्यकता होती है। अब इनकी नियुक्ति या तो सलाहकारों द्वारा की जाएगी या फिर हम उन लोगों को नियुक्त करेंगे जो पहले से ही ऑन-साइट हैं। इसलिए निश्चित रूप से दोबारा बातचीत होगी और जब आप इसे एआई आधारित दक्षताओं के साथ जोड़ेंगे तो राजस्व पर दबाव पड़ेगा।’

ऐसी कंपनियों के मार्जिन पहले से ही दबाव में हैं क्योंकि ज्यादातर सौदों में दक्षता सुधार और लागत घटाना शामिल है। यह ऐसा क्षेत्र है जिसमें इसकी काफी कम गुंजाइश है। इसमें आर्टिफिशल इंटेलिजेंस (एआई) और जेन एआई का असर भी जोड़ दें तो स्थिति दोहरी मार वाली हो जाती है। एआई और जेन एआई ऐसे टूल्स हैं, जो सेवा प्रदाताओं द्वारा इन सुधारों को लाने और उनमें से कुछ लाभों को ग्राहकों तक पहुंचाने के लिए इस्तेमाल किए जाते हैं।

First Published - September 23, 2025 | 6:50 AM IST

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