बाजार में मुनाफावसूली और अमेरिकी फेडरल रिजर्व की मौद्रिक नीति की घोषणा से पहले घबराहट के कारण शुक्रवार को सूचकांकों में गिरावट दर्ज हुई। सेंसेक्स 223 अंक टूटकर 62,625 पर बंद हुआ जबकि निफ्टी 71 अंकों की फिसलन के साथ 18,563 पर टिका। दोनों सूचकांकों ने हालांकि करीब 0.15-0.15 फीसदी की साप्ताहिक बढ़त हासिल करने में कामयाबी हासिल की।
अगले हफ्ते अमेरिकी फेडरल रिजर्व की तरफ से होने वाली मौद्रिक नीति की घोषणा से पहले निवेशक सतर्क नजर आए। अमेरिका में बेरोजगारी के दावों में बढ़ोतरी हुई है और यह अक्टूबर के बाद के सर्वोच्च स्तर पर पहुंच गया है। इससे दरों में बढ़ोतरी पर विराम के दावे कुछ-कुछ सही नजर आ रहे हैं।
हालांकि सेंट्रल बैंक ऑफ ऑस्ट्रेलिया व कनाडा की तरफ ब्याज दरों में बढ़ोतरी ने अनिश्चितता में इजाफा किया है। RBI ने इस हफ्ते दरें अपरिवर्तित रखी, लेकिन महंगाई पर सतर्क बना रहा।
हफ्ते के दौरान बैंक ऑफ कनाडा ने ओवरनाइट दरें बढ़ाकर 4.7 फीसदी कर निवेशकों को चौंका दिया, जो 2001 के बाद का सर्वोच्च स्तर है। साथ ही कहा कि अर्थव्यवस्था सहज नहीं है।
रिजर्व बैंक ऑफ ऑस्ट्रेलिया ने भी हफ्ते के दौरान ब्याज दरें बढ़ा दी। केंद्रीय बैंक ने चेतावनी दी है कि महंगाई को लक्षित स्तर पर लाने के लिए और सख्ती की जरूरत पड़ सकती है।
अल्फानीति फिनटेक (Alphaniti Fintech) के सह-संस्थापक यू आर भट्ट ने कहा, अभी तक यह माना जा रहा था कि दरें सर्वोच्च स्तर पर पहुंच चुकी है और फेड की तरफ से ब्याज कटौती सिर्फ समय की बात है।
फेड अधिकारियों के बयान आक्रामक रहे हैं और वे महंगाई को लक्षित स्तर के दायरे में लाने की बात करते रहे हैं। लगातार ब्याज बढ़ोतरी किसी के हक में नहीं है, लेकिन 25 आधार अंक की बढ़ोतरी पर वास्तव में बात नहीं हो रही। ऐसे में निवेशक इसी के हिसाब से कदम बढ़ा रहे हैं।
लगातार दो दिन तक टूटने के बावजूद नया सर्वोच्चस्तर नजरों में बना हुआ है। सेंसेक्स अब तक के सर्वोच्च स्तर से महज एक फीसदी दूर है जबकि निफ्टी 1.3 फीसदी पीछे है।
मोतीलाल ओसवाल फाइनैंशियल सर्विसेज के खुदरा शोध प्रमुख सिद्धार्थ खेमका ने कहा, कुल मिलाकर ढांचा सकारात्मक बना हुआ है और निफ्टी धीरे-धीरे अपने पिछले सर्वोच्च स्तर की ओर बढ़ रहा है। व्यापक बाजार में शेयर विशेष में कामकाज हो रहा है, खास तौर से उम्दा क्षेत्रों में। अगले हफ्ते बाजार की नजर वैश्विक केंद्रीय बैंकों के फैसले पर होगी, जहां बाजार यथास्थिति की उम्मीद कर रहा है। साथ ही निवेशकों को अमेरिका व भारत के महंगाई आंकड़ों पर नजर रखनी चाहिए।
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बाजार में चढ़ने व गिरने वाले शेयरों का अनुपात कमजोर रहा और 1,862 शेयर गिरे जबकि 1,679 में बढ़ोतरी हुई। सेंसेक्स के दो तिहाई शेयर टूटे। इन्फोसिस 1.3 फीसदी गिरा और सूचकांक के नुकसान में सबसे ज्यादा योगदान किया। रिलायंस इंडस्ट्रीज में 0.7 फीसदी की गिरावट आई।
केंद्रीय बैंकों के फैसले के अलावा मॉनसून की चाल और विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) की तरफ से होने वाले निवेश पर भी निवेशकों की नजर होगी।
शुक्रवार को fpi 309 करोड़ रुपये के शुद्ध बिकवाल रहे। साल 2023 में अब तक fpi 39,047 करोड़ रुपये के शुद्ध लिवाल रहे हैं।
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भट्ट ने कहा, मॉनसून के सामान्य रहने को लेकर राय बंटी हुई है। नतीजे भी आ चुके हैं और निवेशक अब आम चुनाव 2024 और इससे पहले होने वाले विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए दांव लगाएंगे। मई में जिस तरह से मजबूत खरीदारी देखने को मिली थी, वह इस महीने नहीं रही। इस बार समय-समय पर बिकवाली हो रही है।