सूचीबद्धता के बाद शेयर मूल्य में लगभग 50 प्रतिशत की वृद्धि के बाद एलजी इलेक्ट्रॉनिक्स इंडिया का मूल्यांकन अब लगभग 13 अरब डॉलर हो गया है, जो उसकी दक्षिण कोरियाई पैतृक कंपनी एलजी इलेक्ट्रॉनिक्स इंक के 9.4 अरब डॉलर के बाजार पूंजीकरण से 37 प्रतिशत अधिक है।
इस आईपीओ में सोल में मुख्यालय वाली मूल कंपनी ने 15 फीसदी हिस्सेदारी बेचकर 1.3 अरब डॉलर (करीब 11,607 करोड़ रुपये) जुटाए। शेष 85 फीसदी हिस्सेदारी का मूल्यांकन करीब 11 अरब डॉलर है जो एलजी के स्वयं के बाजार पूंजीकरण से करीब 17 फीसदी अधिक है।
एलजी अब मारुति सुजूकी इंडिया के साथ अपनी मूल कंपनी के मूल्यांकन को पीछे छोड़ने वाली कंपनी बन गई है। भारत की सबसे बड़ी यात्री कार निर्माता कंपनी मारुति का मूल्यांकन 57.5 अरब डॉलर है, जो सुजूकी मोटर कॉर्प के 28.3 अरब डॉलर के बाजार पूंजीकरण की तुलना में दोगुना से भी ज्यादा है। सुजूकी के पास अपनी भारतीय सहायक कंपनी में 58.28 प्रतिशत हिस्सेदारी है।
हालांकि घरेलू स्तर पर सूचीबद्ध ज्यादातर बहुराष्ट्रीय सहायक कंपनियां अपनी मूल कंपनियों के बाजार पूंजीकरण से आगे नहीं निकल पातीं, फिर भी वे आम तौर पर ऊंचे मूल्यांकन प्रीमियम पर कारोबार करती हैं। ऐसी 11 कंपनियों के विश्लेषण से पता चलता है कि पिछले 12 महीनों के कीमत-आय (पी/ई) मल्टीपल उनकी मूल कंपनियों की तुलना में दो से छह गुना ज्यादा हैं।
इस रुझान ने एलजी और ह्युंडै जैसी कंपनियों को भारत में सूचीबद्धता की राह पर बढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया है। विश्लेषकों का मानना है कि घरेलू बाजारों पर एलजी की दमदार शुरुआत कई अन्य दिग्गजों को भारत में लिस्टिंग के लिए प्रोत्साहित कर सकती है।