बाजार नियामक SEBI ने स्टॉक्स में उतार-चढ़ाव के बेहतर मैनेजमेंट के लिए और बाजार सहभागियों के बीच सूचना विषमता को कम करने के लिए नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) और BSE के डेरिवेटिव सेगमेंट पर कारोबार करने वाले शेयरों के प्राइस बैंड फॉर्मूलेशन में भारी बदलाव का प्रस्ताव दिया है।
अमेरिकी शॉर्ट-सेलर हिंडनबर्ग रिसर्च की 24 जनवरी को प्रकाशित रिपोर्ट के बाद अदाणी ग्रुप के शेयरों में आए जबरदस्त उतार-चढ़ाव को देखते हुए बाजार नियामक SEBI यह प्रस्ताव लाया है। बता दें कि रिपोर्ट में अदाणी ग्रुप पर लगाए आरोपों से निवेशकों का भरोसा टूटा, इस कारण अदाणी समूह के शेयरों में बहुत ज्यादा बिकवाली (Sell-off) हुई थी। इसके चलते ग्रुप की कंपनियों की मार्केट वैल्यू 140 अरब डॉलर घट गई थी। हालांकि अदाणी ग्रुप ने इन आरोपों से इनकार किया है।
प्रस्ताव के तहत, डेरिवेटिव अनुबंध वाले स्टॉक्स के लिए डायनेमिक प्राइस बैंड को उस दिन की ट्रेडिंग एक्टिविटी के आधार पर समायोजित किया जाएगा। SEBI का सुझाव है कि यदि वायदा और ऑप्शंस सेगमेंट में किसी एक शेयर में 20 फीसदी से अधिक उतार-चढ़ाव होता है, तो कूलिंग-ऑफ अवधि को धीरे-धीरे बढ़ाया जाना चाहिए। न्यूनतम कूलिंग-ऑफ अवधि 1 घंटे होनी चाहिए जो वर्तमान में सिर्फ 15 मिनट है।
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एक बार कूलिंग-ऑफ अवधि समाप्त हो जाने के बाद, स्टॉक्स को 5 फीसदी की मौजूदा सीमा के विपरीत केवल 2 फीसदी अतिरिक्त मूवमेंट करने की अनुमति होगी। SEBI का कहना है कि ये उपाय बाजार में बहुत ज्यादा उतार-चढ़ाव को नियंत्रित करने के लिए एक टूल के रूप में काम करेंगे। इससे किसी स्टॉक्स में एक दिन में बहुत ज्यादा मूवमेंट को कंट्रोल करने में मदद मिलेगी। SEBI ने जनता से 5 जून तक प्रस्ताव पर राय मांगी हैं।