नई दिल्ली में चल रहे दूरसंचार सम्मेलन में स्वदेशी 4 जी स्टैक और भारत में डिजिटल क्रांति प्रमुख विशेषताओं के रूप में उभरकर सामने आए हैं। ‘इंडिया मोबाइल कांग्रेस’ का उद्घाटन करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के दूरसंचार क्षेत्र की उपलब्धियों को रेखांकित किया और भारत में निवेश, निर्माण और नवाचार की समयबद्धता को उजागर किया।
तकरीबन 15 साल पहले के कथित 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन घोटाले और वर्ष 2007 में हचिसन एस्सार के अधिग्रहण के बाद वोडाफोन पर अतीत से प्रभावी कर या फिर कंपनियों के समायोजित सकल राजस्व (एजीआर) से जुड़े शुल्क पर सरकार बनाम उद्योग जगत जैसे विवादों को छोड़ दिया जाए तो भारत का दूरसंचार क्षेत्र कंपनियों के लिए काफी कामयाबी लाने वाला रहा है।
वैसे तो उद्योग जगत पर विपरीत असर डालने वाली कई नीतियों और निर्णयों को या तो बाद में सरल किया गया या फिर उन्हें वापस ले लिया गया लेकिन हाल के दिनों में कुछ नई समस्याएं सामने आई हैं। उदाहरण के लिए उद्योग जगत के कुछ प्रमुख प्रतिनिधियों ने डिजिटल धोखाधड़ी से निपटने के लिए नियामकीय व्यवस्था के पुनर्गठन की आवश्यकता पर जोर दिया है। देश में दूरसंचार नियमों को लगातार बदलते डिजिटल जोखिमों के साथ तालमेल वाला बनाने की जरूरत है। हालांकि इस बात पर अब तक कोई ठोस सहमति नहीं बन पाई है कि स्पैम कॉल्स और संदेशों के लिए किसे जिम्मेदार बनाया जाए। सरकार, नियामक और उद्योग जगत तीनों इस पर अलग-अलग नजरिया रखते हैं।
चुनौतियों के बावजूद देश का दूरसंचार क्षेत्र तकनीकी उन्नति के क्षेत्र में बेहतर रहा है। स्वदेशी 4जी टेक्नॉलजी स्टैक के साथ दुनिया के पांच खास देशों में शामिल होना ऐसा ही एक उदाहरण है। इस स्टैक के लिए सी-डॉट ने कोर नेटवर्क का विकास किया, तेजस नेटवर्क्स ने रेडियो एक्सेस नेटवर्क (आरएएन) मुहैया कराया और टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस) ने सिस्टम इंटीग्रेटर का काम किया।
भारत के अलावा चीन, दक्षिण कोरिया, डेनमार्क और स्वीडन ने 4जी मोबाइल टेक्नॉलजी स्टैक विकसित किया है। उपयोगकर्ताओं के लिए इसका अर्थ होगा तेज और विश्वसनीय मोबाइल इंटरनेट सेवाएं और उम्मीद है कि यह स्वदेशी तकनीक देश को राष्ट्रीय सुरक्षा लाभ और डिजिटल संप्रभुता प्रदान करेगी। 4जी स्टैक का एक और लाभ यह है कि इसके सॉफ्टवेयर-प्रथम डिजाइन के कारण भविष्य में इसे 5जी इन्फ्रास्ट्रक्चर में उन्नत किया जा सकता है। भारत संचार निगम लिमिटेड (बीएसएनएल) के लिए काम में लगाया गया यह स्वदेशी 4जी स्टैक अब निर्यात के लिए भी तैयार किया जा रहा है।
4जी स्टैक जैसे तकनीकी नवाचार के बीच भारत ने 5जी के क्षेत्र में भी अभूतपूर्व कामयाबी हासिल की है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार अब देश के हर जिले में 5जी की सुविधा है। सितंबर तक देश में 36.5 करोड़ लोग 5जी सेवाओं का उपयोग कर रहे थे। लॉन्च होने के तीन साल के भीतर यह उल्लेखनीय आंकड़ा है। देश में कुल दूरसंचार क्षेत्र की पहुंच भी एक सकारात्मक संकेतक है, जो 86.4 फीसदी पर है, और कई अर्थव्यवस्थाओं के विपरीत इसमें अभी भी वृद्धि की पर्याप्त संभावनाएं मौजूद हैं। यह वृद्धि मुख्य रूप से ग्रामीण भारत से अपेक्षित है, जहां टेलीघनत्व 59.3 फीसदी है, जबकि शहरी क्षेत्रों में यह 134.5 फीसदी तक पहुंच चुका है।
दूरसंचार उपकरणों का घरेलू निर्माण और उत्पादन संबद्ध प्रोत्साहन योजना यानी पीएलआई के कारण भारत से इनका रिकॉर्ड स्तर पर निर्यात, इस क्षेत्र की सफलता की कहानी में नया आयाम जोड़ रहे हैं। एक अनुमान के अनुसार 2014 से अब तक मोबाइल फोन उत्पादन 28 गुना और निर्यात 127 गुना बढ़ा है। हालांकि, दूरसंचार क्षेत्र को अग्रणी बनाए रखने के लिए सेवा प्रदाताओं की वित्तीय स्थिति मजबूत होना आवश्यक है।
इसी संदर्भ में भारत के निजी दूरसंचार क्षेत्र में दो कंपनियों का दबदबा कायम होने की बढ़ती चिंता का समाधान जरूरी है। दूरसंचार कंपनियों को अपने टैरिफ की संरचना को व्यवस्थित करना होगा, जो वैश्विक स्तर पर सबसे कम दरों में से एक हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने दूरसंचार सम्मेलन में कहा कि एक जीबी वायरलेस डेटा की कीमत एक कप चाय से भी कम है। लेकिन दीर्घकालिक दृष्टि से यह मॉडल उद्योग के लिए टिकाऊ नहीं हो सकता।