हंगरी के लेखक लास्ज़लो क्रास्ज़नाहोरकाई को गुरुवार को 2025 का साहित्य नोबेल पुरस्कार देने की घोषणा हुई। स्वीडिश अकादमी उन्हें 1.2 मिलियन डॉलर (लगभग 11 करोड़ रुपये) की पुरस्कार राशि के साथ सम्मानित करेगी। अकादमी के स्थायी सचिव मैट्स माल्म ने कहा कि लास्ज़लो की रचनाएं दुनिया के सामने आने वाली तबाही के बीच भी कला की ताकत को बखूबी दर्शाती हैं। उनकी कहानियां गहरी, अनोखी और प्रभावशाली हैं, जो पाठकों को सोचने पर मजबूर करती हैं।
1901 से शुरू हुए नोबेल पुरस्कार स्वीडन के मशहूर व्यापारी और डायनामाइट के आविष्कारक अल्फ्रेड नोबेल की वसीयत के तहत दिए जाते हैं। साहित्य, विज्ञान और शांति के क्षेत्र में ये पुरस्कार दुनिया के सबसे बड़े सम्मानों में से एक हैं। पहले साहित्य नोबेल विजेता फ्रांस के कवि सुली प्रुधोम थे।
Also Read: जॉन क्लार्क, माइकल डेवोरेट और जॉन मार्टिनिस ने जीता 2025 का फिजिक्स नोबेल पुरस्कार
इसके बाद विलियम फॉल्कनर, विंस्टन चर्चिल, ओरहान पामुक और हाल ही में 2023 में नॉर्वे के जॉन फॉसे जैसे बड़े नाम इस सूची में शामिल हुए। पिछले साल 2024 में दक्षिण कोरिया की लेखिका हान कांग ने यह पुरस्कार जीता और वह इस सम्मान को पाने वाली पहली दक्षिण कोरियाई और 18वीं महिला बनीं।
हालांकि, स्वीडिश अकादमी के फैसलों पर कई बार सवाल भी उठे हैं। 2016 में अमेरिकी गायक-गीतकार बॉब डायलन को पुरस्कार देने पर बहस छिड़ गई थी कि क्या उनके गाने साहित्य की श्रेणी में आते हैं। 2019 में ऑस्ट्रिया के पीटर हैंडके को पुरस्कार मिलने पर भी विवाद हुआ, क्योंकि उन्होंने 2006 में यूगोस्लाव के पूर्व राष्ट्रपति स्लोबोदान मिलोसेविक के अंतिम संस्कार में हिस्सा लिया था, जिन पर कोसोवो में हजारों लोगों की मौत और लाखों के विस्थापन का आरोप था। इसके अलावा, रूस के लेव तोल्स्तोय, फ्रांस के एमिल जोला और आयरलैंड के जेम्स जॉयस जैसे साहित्य के दिग्गजों को नजरअंदाज करने के लिए भी अकादमी की आलोचना हुई।
लास्ज़लो का यह पुरस्कार उनकी अनोखी लेखन शैली और गहरे विषयों को दुनिया के सामने लाने के लिए है। उनकी रचनाएं मानवता, समाज और अस्तित्व के सवालों को बारीकी से उकेरती हैं। यह सम्मान न केवल उनके लिए, बल्कि हंगरी के साहित्य के लिए भी गर्व का पल है।