वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने बताया कि वैश्विक अनिश्चितताओं और चुनौतियों के बावजूद जनवरी, 2024 से भारत में औसतन मासिक प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) प्रवाह 4.5 अरब अमेरिकी डॉलर याने 38 हजार 595 करोड़ रुपये से अधिक रहा है। साल, 2024 में जनवरी-सितंबर की अवधि में देश में एफडीआई लगभग 42 प्रतिशत बढ़कर 42.13 अरब अमेरिकी डॉलर याने 3 लाख 61 हजार 334 करोड़ रुपये हो गया। एक साल पहले की समान अवधि में यह आंकड़ा 29.73 अरब डॉलर था।
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के आंकडो़ं के मुताबिक वित्त वर्ष 2024-25 की पहली तिमाही में एफडीआई प्रवाह 22.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गया, जो वित्त वर्ष 2023-24 की पहली तिमाही के 17.8 बिलियन अमेरिकी डॉलर की तुलना में 26 प्रतिशत अधिक है। वर्ष 2000 से 2024 तक, कुल 991 बिलियन अमेरिकी डॉलर का एफडीआई प्रवाह दर्ज किया गया, जिसमें से 67 प्रतिशत (667 बिलियन अमेरिकी डॉलर) पिछले दस वित्तीय वर्षों (2014-2024) के दौरान प्राप्त हुए। विनिर्माण क्षेत्र में एफडीआई इक्विटी में 69 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जो वर्ष 2004-2014 में 98 बिलियन अमेरिकी डॉलर से बढ़कर वर्ष 2014-2024 में 165 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया।
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गोयल ने बताया कि हाल ही की अपनी यूएस यात्रा के दौरान मैं अमेरिका के सबसे बड़े Funds में से एक के CEO से मिला, जो भारत में सबसे बड़ा निवेशक भी है। उन्होंने मुझे बताया कि पिछले 10 वर्षों में भारत में किया गया निवेश उनके फंड का अब तक का सबसे अच्छा निवेश रहा है।” वे पिछले 20 वर्षों से भारत में निवेशक हैं, लेकिन उनका 80 प्रतिशत से अधिक निवेश पिछले कुछ वर्षों में हुआ है। सीईओ ने मुझे बताया कि वह भारत में निवेश के 20 वर्ष पूरे होने का जश्न मनाने के लिए भारत आएंगे और भारत में निवेश की एक और श्रृंखला की घोषणा करेंगे।” भारतीय शेयर बाजार का अच्छा प्रदर्शन अधिक से अधिक एफआईआई (विदेशी संस्थागत निवेशक) को भी आकर्षित करेगा।
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय ने बताया कि भारत ने अपनी आर्थिक यात्रा में एक उल्लेखनीय मील का पत्थर हासिल किया है, अप्रैल 2000 के बाद से सकल विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (एफडीआई) इनफ्लो $1 ट्रिलियन तक पहुंच गया है। इस ऐतिहासिक उपलब्धि को पहली छमाही के दौरान एफडीआई मौजूदा वित्त वर्ष में लगभग 26% की बढ़ोतरी के साथ $42.1 बिलियन तक पहुंचने से बल मिला है। बीते दशक (अप्रैल 2014 से सितंबर 2024) में, कुल एफडीआई इनफ्लो $709.84 बिलियन था, जो पिछले 24 वर्षों में कुल एफडीआई इनफ्लो का 68.69% था।
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केंद्रीय मंत्री गोयल ने कहा कि देश में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) बढ़ रहा है। पश्चिम एशिया, जापान, यूरोपीय संघ और अमेरिका के निवेशक भारत को शीर्ष निवेश गंतव्य के रूप में मान्यता दे रहे हैं, जिससे तेज आर्थिक वृद्धि हो रही है और लाखों नए रोजगार पैदा हो रहे हैं। वैश्विक निवेशक भारत में गहरी रुचि दिखा रहे हैं, क्योंकि यहां मजबूत घरेलू बाजार, कुशल और प्रतिभाशाली कार्यबल और कानून का शासन जैसे कई फायदे हैं।
गोयल ने कहा कि मैं स्पष्ट रूप से देख सकता हूं कि भारत में FDI एक बार फिर तेजी से बढ़ रहा है और इससे लाखों रोजगार पैदा हो रहे हैं। पश्चिम एशिया के देश, EFTA क्षेत्र, जापान, यूरोपीय संघ (Europrean Union) और अमेरिका के निवेशक सभी महसूस कर रहे हैं कि भारत एफडीआई के लिए सबसे पसंदीदा गंतव्य बना हुआ है। भारत का स्थिर और पूर्वानुमानित विनियामक ढांचा, अनुकूल कारोबारी माहौल और व्यापार करने में आसानी को बढ़ावा देने वाली प्रगतिशील नीतियां दुनिया भर से निवेशकों को आकर्षित कर रही हैं।
इस तरह की वृद्धि एक वैश्विक निवेश गंतव्य के रूप में भारत की बढ़ती अपील को दर्शाती है, जो एक सक्रिय नीति ढांचे, एक गतिशील कारोबारी माहौल और बढ़ती अंतर्राष्ट्रीय प्रतिस्पर्धात्मकता से प्रेरित है। एफडीआई ने पर्याप्त गैर-ऋण वित्तीय संसाधन प्रदान करके, प्रौद्योगिकी हस्तांतरण को बढ़ावा देने और रोजगार के अवसर पैदा करके भारत के विकास में एक परिवर्तनकारी भूमिका निभाई है। “मेक इन इंडिया”, उदार क्षेत्रीय नीतियों और वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) जैसी पहलों ने निवेशकों का विश्वास बढ़ाया है, जबकि प्रतिस्पर्धी श्रम लागत और रणनीतिक प्रोत्साहन बहुराष्ट्रीय कॉरपोरेशन को आकर्षित करना जारी रखते हैं। निवेश का यह मजबूत इनफ्लो वैश्विक आर्थिक परिदृश्य को आकार देने में भारत की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित करता है।
प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने निवेशक-अनुकूल नीति लागू की है। इसमें रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण कुछ क्षेत्रों को छोड़कर अधिकांश क्षेत्र बिना सरकारी मंजूरी के स्वचालित मार्ग से 100 प्रतिशत एफडीआई के लिए खुले हैं। लगभग 90 प्रतिशत एफडीआई प्रवाह स्वचालित मार्ग के तहत प्राप्त होता है।
डीपीआईआईटी (DPIIT) की भूमिका: डीपीआईआईटी एफडीआई नीति के निर्माण के लिए जिम्मेदार है, जिसे विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम, 1999 (फेमा) के तहत अधिसूचित नियमों के माध्यम से लागू किया जाता है, जिसे आर्थिक मामलों के विभाग (डीईए) द्वारा प्रशासित किया जाता है और भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा विनियमित किया जाता है। विदेशी निवेश सुविधा पोर्टल (एफआईएफपी) सरकारी मार्ग के तहत प्राप्त प्रस्तावों का प्रबंधन करता है और उन्हें संबंधित मंत्रालयों को कार्रवाई के लिए आगे बढ़ाता है।
स्वीकृत एफडीआई: एफडीआई को दो प्रवेश मार्गों के माध्यम से अनुमति दी जाती है- स्वचालित मार्ग और सरकारी मार्ग। स्वचालित मार्ग के तहत, सरकार या आरबीआई से किसी पूर्व अनुमोदन की आवश्यकता नहीं होती है, अधिकांश क्षेत्र 100 प्रतिशत एफडीआई के लिए खुले हैं। वित्त वर्ष 2023-24 में 98 प्रतिशत से अधिक एफडीआई इक्विटी इसी मार्ग से प्राप्त हुआ। सरकारी मार्ग के लिए एफआईएफपी के माध्यम से संबंधित क्षेत्र के मंत्रालयों या विभागों से पूर्व अनुमोदन की आवश्यकता होती है और यह अधिसूचित क्षेत्रों या गतिविधियों में निवेश के साथ-साथ भारत के साथ भूमि सीमा साझा करने वाले देशों से निवेश पर भी लागू होता है।
निषिद्ध एफडीआई: अधिसूचित क्षेत्रों या गतिविधियों में एफडीआई निषिद्ध है, जिसमें लॉटरी व्यवसाय, जुआ और सट्टेबाजी, रियल एस्टेट, तम्बाकू विनिर्माण, परमाणु ऊर्जा और अन्य क्षेत्र शामिल हैं जो निजी निवेश के लिए खुले नहीं हैं।
भारत में एफडीआई सुधार: सरकार ने वर्ष 2019 और 2024 के बीच सभी क्षेत्रों में एफडीआई नीतियों को उदार बनाया है। वर्ष 2019 में कोयला और अनुबंध निर्माण में स्वचालित मार्ग के तहत 100 प्रतिशत एफडीआई की अनुमति दी गई थी, जबकि सरकारी मार्ग के तहत डिजिटल मीडिया में 26 प्रतिशत एफडीआई की अनुमति दी गई थी।
वर्ष 2020 में स्वचालित मार्ग के तहत बीमा मध्यस्थों में 100 प्रतिशत एफडीआई की अनुमति दी गई थी और हवाई परिवहन तथा रक्षा क्षेत्रों के लिए संशोधित सीमाएं निर्धारित की गई थीं। वर्ष 2021 में बीमा क्षेत्र में एफडीआई को बढ़ाकर 74 प्रतिशत कर दिया गया, दूरसंचार को स्वचालित मार्ग के तहत शामिल किया गया तथा पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस क्षेत्र में पीएसयू को एफडीआई के लिए खोल दिया गया। वर्ष 2022 में एलआईसी में स्वचालित मार्ग के तहत 20 प्रतिशत एफडीआई की अनुमति दी गई। वर्ष 2024 में अंतरिक्ष क्षेत्र को उदार बनाया गया।
(एजेंसी इनपुट के साथ)
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