म्युचुअल फंड लगातार दूसरे वर्ष देसी इक्विटी बाजार में 1.5 लाख करोड़ रुपये (18 अरब डॉलर) का निवेश करने की राह पर हैं। इस कैलेंडर वर्ष में अब तक देसी इक्विटी फंडों ने 1.4 लाख करोड़ रुपये का निवेश किया है जबकि पिछले साल उन्होंने रिकॉर्ड 1.8 लाख करोड़ रुपये का निवेश किया था।
म्युचुअल फंडों की तरफ से इक्विटी में निवेश उससे जुड़ा हुआ है, जो उन्हें इक्विटी व हाइब्रिड योजनाओं में मिलता है। सक्रिय इक्विटी योजनाओं में सकल निवेश इस साल 2022 के मुकाबले ज्यादा रहा है क्योंकि तब निवेश निकासी ने शुद्ध निवेश का आंकड़ा कम कर दिया था और इस तरह से बाजारों में निवेश की उनकी क्षमता सीमित हो गई थी।
सक्रिय इक्विटी योजनाओं में साल 2023 के पहले 10 महीने में शुद्ध रूप से 1.3 लाख करोड़ रुपये का निवेश हासिल हुआ है, जो पिछले साल की समान अवधि में मिले 1.5 लाख करोड़ रुपये के निवेश से 17 फीसदी कम है। सकल निवेश हालांकि 15 फीसदी बढ़ा है क्योंकि एसआईपी खाते में इजाफा हुआ, लेकिन निवेश निकासी यानी रीडम्पशन 42 फीसदी की बढ़त के साथ 1.65 लाख करोड़ रुपये से 2.3 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गया।
गोल्डमैन सैक्स के हालिया नोट में कहा गया है, मासिक म्युचुअल फंड निवेश में थोड़ी नरमी आई है, खास तौर से स्मॉल व मिडकैप फंडों में। लेकिन हमारा मानना है कि देसी निवेश बाजार को सहारा देना जारी रखेगा और वैश्विक जोखिम के हालात में किसी बड़ी गिरावट की आशंका को सीमित कर देगा, खास तौर से नकदी का संतुलन ठीक रहने और लंबी अवधि के औसत के स्तर पर रहने से।
नोट में कहा गया है, एसआईपी के जरिये निवेश अब तक मजबूत बना हुआ है, जिसे नए खाते में वृद्धि से सहारा मिला है और य स्थिर मांग के स्रोत के लिहाज से उल्लेखनीय है। खुदरा निवेशकों के निवेश का तरजीही जरिया एसआईपी है और इसने जनवरी से अक्टूबर 2023 के बीच 1.5 लाख करोड़ रुपये का निवेश हासिल किया है, जो साल 2022 की समान अवधि में 1.2 लाख करोड़ रुपये रहा था।
एसआईपी निवेश के सहारे से म्युचुअल फंड साल की समाप्ति विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों से काफी ज्यादा निवेश के साथ करने वाले हैं। साल 2022 में 1.2 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा की निकासी के बाद एफपीआई ने इस कैलेंडर वर्ष में अब तक शुद्ध रूप से 1.2 लाख करोड़ रुपये का निवेश किया है।
मिरे ऐसेट एमएफ के वाइस चेयरमैन व सीईओ स्वरूप मोहंती ने कहा, पिछले कुछ वर्षों में बड़े एफपीआई निवेश की अनुपस्थिति में बाजार में डटे रहने और लगातार खरीदारी करने के लिए म्युचुअल फंड उद्योग को काफी श्रेय दिया जाना चाहिए। यह उद्योग के इन्वेस्टिंग यूनिवर्स में भी प्रतिबिंबित हुआ है जो अब इक्विटी को वृद्धि की खातिर परिसंपत्ति वर्ग के तौर पर मान्यता दे रहे हैं।
मार्च के बाद बाजार की तेजी के दम पर म्युचुअल फंडों के सुधरे रिटर्न ने उद्योग के लिए खुदरा निवेशकों के मजबूत निवेश को सुनिश्चित किया है, हालांकि बीच-बीच में मुनाफावसूली भी हुई है। यह तेजी स्मॉलकैप व मिडकैप शेयरों की ओर झुकी है और इससे इनमें में निवेश करने वाली म्युचुअल फंड की मांग ज्यादा देखने को मिल रही है।
2023 में एक दिसंबर तक निफ्टी में 11.9 फीसदी की उछाल आई है जबकि निफ्टी मिडकैप 100 और निफ्टी स्मॉलकैप 100 में क्रमश: 44.4 फीसदी व 58 फीसदी की उछाल आई है।
स्मॉलकैप फंडों ने पिछले 12 महीने में सबसे ज्यादा निवेश हासिल किया है और यह जानकारी एसोसिएशन ऑफ म्युचुअल फंड्स इन इंडिया यानी एम्फी के आंकड़ों से मिली।
नवंबर 2022 से अक्टूबर 2023 के बीच स्मॉलकैप फंडों में 37,102 करोड़ रुपये का शुद्ध निवेश हुआ है, वहीं मिडकैप फंडों को 21,993 करोड़ रुपये का निवेश हासिल हुआ है। लार्जकैप फंडों से शुद्ध रूप से 4,060 करोड़ रुपये की निकासी हुई है।