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हम कमजोर रिटर्न के दौर से गुजर रहे हैं: CEO, ICICI Prudential AMC

स्मॉलकैप में बड़ी चुनौती यह है कि इस सेगमेंट को 2008 से किसी बड़े बिकवाली चक्र से नहीं जूझना पड़ा है

Last Updated- August 14, 2023 | 10:15 PM IST
We are in a world of moderate returns: ICICI Prudential AMC's S Naren

बाजारों में पिछले कुछ दिनों से उतार-चढ़ाव बना हुआ है। आईसीआईसीआई प्रूडें​शियल ऐसेट मैनेजमेंट कंपनी (ICICI Prudential AMC) के कार्यकारी निदेशक एवं मुख्य निवेश अधिकारी (CEO) एस नरेन ने पुनीत वाधवा के सा​थ एक ईमेल साक्षात्कार में बताया कि मौजूदा समय में सबसे बड़ी समस्या यह है कि निवेशक मिडकैप और स्मॉलकैप पर ध्यान तेजी से बढ़ा रहे हैं, जिनमें मूल्यांकन महंगा हो गया है। पेश हैं बातचीत के मुख्य अंश:

पिछले कुछ सप्ताहों में बाजारों के प्रदर्शन पर आपका क्या नजरिया है?

भारत दुनिया में बेहद मजबूत सफलता वाले बाजारों में से एक है। अगले दशक के लिए किसी भी देश में इस तरह की संभावना नहीं दिख रही है। अनुकूल जनसां​ख्यिकीय परिदृश्य के साथ साथ मजबूत दीर्घाव​धि विकास और सुधरती कॉरपोरेट आय को देखते भारतीय इ​क्विटी बाजार अच्छी हालत में है। इन कारकों की वजह से बाजार ने अच्छी तेजी दर्ज की है और मूल्यांकन वै​श्विक बाजारों के मुकाबले लगातार ऊंचे बने हुए हैं। भविष्य में भूराजनीतिक, जिंस कीमतें, वै​श्विक केंद्रीय बैंक की गतिवि​धि जैसे कारक कुछ उतार-चढ़ाव ला सकते हैं। मौजूदा मूल्यांकन को देखते हुए यह कहा जा सकता है कि हम नरम रिटर्न वाली दुनिया में हैं।

आपकी नजर में, कौन से क्षेत्र अब गिरावट के लिहाज से ज्यादा कमजोर हैं?

हमने स्मॉलकैप और मिडकैप में ज्यादा उतार-चढ़ाव देखा है। निवेशक इन सेगमेंटों पर ध्यान बढ़ा रहे हैं, जिससे चुनौती पैदा हो रही है। हमारे स्मॉलकैप और मिडकैप में तेजी आई है जिससे मध्याव​धि में गिरावट की गुंजाइश है। अल्पाव​धि को बड़े प्रवाह से मदद मिल रही है। अन्य चुनौती ऊंचे मूल्यांकन को लेकर है। इ​क्विटी बाजारों में, सकारात्मक खबरों और ऊंचे मूल्यांकन का अक्सर तालमेल देखने को मिलता है, जो मौजूदा समय में भी दिख रहा है।

क्या निवेशक ऊंचे मूल्यांकन की वजह से नए निवेश से परहेज कर रहे हैं? आप अपने ग्राहकों को क्या सलाह देना चाहेंगे?

वारेन बफे और हॉवर्ड मार्क्स जैसे प्रख्यात निवेश गुरुओं का मानना है कि कमजोर परिसंप​त्ति वर्गों में निवेश लाभकारी हो सकता है। यही कारण है कि हम निवेशकों को मौजूदा बाजार हालात में हाइब्रिड रणनीतियों पर विचार करने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं। हाइब्रिड निवेश के जरिये आप कम मूल्य के परिसंप​त्ति वर्गों की पहचान और निवेश कर सकते हैं जिसकी वजह से लंबी अव​धि में बेहतर जो​खिम-समायोजित रिटर्न मिल सकता है।

एक फंड प्रबंधक के तौर पर आपके लिए बाजारों के ऊंचे स्तरों पर पहुंचने से अब सबसे बड़ी चुनौती क्या है?

हम जिस बड़ी चुनौती से जूझ रहे हैं, वह यह है कि निवेशक सीधे तौर पर स्मॉलकैप और मिडकैप में ध्यान बढ़ा रहे हैं, जिनमें मूल्यांकन ऊंचा हो गया है। वहीं वे लार्जकैप, मल्टीकैप और फ्लेक्सीकैप संबं​धित रणनीतियों पर कम ध्यान दे रहे हैं। ये रणनीतियां मौजूदा बाजार हालात को देखते हुए सुर​क्षित विकल्प प्रदान करती हैं।

कई म्युचुअल फंडों ने स्मॉलकैप में एकमुश्त निवेश स्वीकार करना बंद कर दिया है। अब आपकी क्या योजना है?

स्मॉलकैप में बड़ी चुनौती यह है कि इस सेगमेंट को 2008 से किसी बड़े बिकवाली चक्र से नहीं जूझना पड़ा है। बिकवाली की अव​धियों के दौरान, अक्सर गिरावट आई है। हालांकि स्मॉलकैप सेगमेंट में ऐसा नहीं देखा गया। इसकी वजह से मजबूत बुनियादी आधार वाली कंपनियों का मूल्यांकन तेज से चढ़ा है। इससे मौजूदा समय में स्मॉलकैप में निवेश चुनौतीपूर्ण हो गया है।

अगले कुछ महीनों के दौरान विदेशी संस्थागत निवेश और घरेलू संस्थागत निवेश का प्रवाह कैसा रहेगा?

शानदार वृ​द्धि, अनुकूल भूराजनीतिक हालात, बैंकिंग संकट का अभाव, मजबूत वृहद आ​र्थिक परिवेश जैसे कारक भारत को अन्य उभरते बाजारों के मुकाबले एक आकर्षक विकल्प के तौर पर साबित कर सकते हैं। विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक भारत को दीर्घाव​धि अवसर के तौर पर देखते हैं। हालांकि कुछ अव​धियों में बिकवाली के उदाहरण देखे जा सकते हैं, लेकिन इससे हमें खरीदारी के अवसर भी मिल सकते हैं।

First Published - August 14, 2023 | 10:15 PM IST

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