शेयर बाजार में गिरावट को देखते हुए प्रमुख कंपनियां अपना आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) लाने से भले ही परहेज कर रही हों मगर छोटे एवं मझोले उपक्रम (एसएमई) सेगमेंट में कई कंपनियां धड़ल्ले से आईपीओ ला रही हैं। साल के पहले दो महीनों में 40 एसएमई आईपीओ बाजार में आए हैं जबकि पिछले साल की समान अवधि में 34 एसएमई आईपीओ आए थे। इसके उलट जनवरी और फरवरी में केवल 9 मेनबोर्ड आईपीओ आए जो पिछले साल की समान अवधि की तुलना में 16 कम है। यह रुझान मार्च में भी जारी है और एसएमई क्षेत्र के करीब आधा दर्जन आईपीओ आए जबकि मेनबोर्ड की एक भी कंपनी अभी तक आईपीओ लेकर नहीं आई है।
सूचीबद्धता के बाद मजबूत प्रदर्शन को देखकर खुदरा निवेशक भी एसएमई सेगमेंट पर खूब दांव लगा रहे हैं जिससे इस क्षेत्र की कंपनियां निर्गम लाने के लिए उत्साहित हैं। एसएमई आईपीओ में अच्छे रिटर्न को देखते हुए निवेशक इसमें बने रहते हैं। प्राइम डेटाबेस के प्रबंध निदेशक प्रणव हल्दिया ने कहा, ‘मांग और आपूर्ति दोनों के मामले में एसएमई आईपीओ का अपना अलग गणित है। हालांकि पिछले कुछ वर्षों में इस क्षेत्र में खुदरा निवेशकों की भागीदारी में कमी आई है और मांग पक्ष में बदलाव दिखा है, जिसके एसएमई और मुख्य कंपनियों में एकसमान रहने की संभावना है।’
हल्दिया ने कहा कि 2020 में प्रति एसएमई आईपीओ खुदरा क्षेत्र से आवेदनों की संख्या औसतन 297 हुआ करती थी जो 2024 में बढ़कर 1.88 लाख हो गई है। सूचीबद्धता के बाद आईपीओ से लाभ 1 फीसदी से बढ़कर 60 फीसदी तक होने की वजह से खुदरा निवेशक एसएमई आईपीओ में पैसा लगाने के लिए प्रेरित हुए हैं। बीएसई एसएमई प्लेटफॉर्म पर सूचीबद्ध कंपनियों के शेयर भाव पर नजर रखने वाला बीएसई एसएमई आईपीओ इंडेक्स 2024 में 2.5 गुना बढ़ा है जबकि बीएसई आईपीओ इंडेक्स 32 फीसदी बढ़ा है।
हालांकि एसएमई आईपीओ इंडेक्स में मुख्य इंडेक्स की तुलना में ज्यादा गिरावट आई है। सालाना आधार पर बीएसई एसएमई आईपीओ इंडेक्स 26 फीसदी गिरा है जबकि मुख्य इंडेक्स 19 फीसदी नीचे आया है।
हल्दिया ने कहा, ‘एसएमई शेयर बेहद जोखिम वाले होते हैं और उसमें तरलता का भी अभाव है। छोटे निवेशकों को इनसे पूरी तरह दूर रहना चाहिए।’
निवेशकों के उत्साह ने इस सेगमेंट को लेकर चिंता भी बढ़ा दी है। बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने पिछले साल एसएमई आईपीओ के नियमों को सख्त कर दिया था ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि अच्छी कंपनियां ही एसएमई प्लेटफॉर्म के जरिये सूचीबद्ध हों। नए नियमों के अनुसार पिछले 2-3 वित्त वर्ष 1 करोड़ रुपये परिचालन लाभ कमाने वाली कंपनी ही आईपीओ ला सकती है। नियामक ने बिक्री पेशकश के आकार को भी सीमित कर दिया है, जिसमें शेयरधारकों को कुल निर्गम आकार के 20 फीसदी तक बेचने की अनुमति है और विक्रेता शेयरधारक अपनी हिस्सेदारी का 50 फीसदी से अधिक नहीं बेच सकता है।