मार्च से मई तक की सुस्त अवधि के बाद छोटे और मझोले उद्यमों (एसएमई) के आरंभिक सार्वजनिक निर्गम में तेजी से उछाल आई है। जून से अब तक 68 एसएमई ने 3,131 करोड़ रुपये जुटाए हैं जिसमें प्राथमिक बाजार के उत्साहजनक रुझानों और लिस्टिंग पर बढ़िया लाभ कमाने की इच्छा ने योगदान दिया। विशेषज्ञ मुख्य प्लेटफॉर्म के आईपीओ के असर की ओर इशारा करते हैं। जून और जुलाई में मुख्य प्लेटफॉर्म पर 21 आईपीओ सूचीबद्ध हुए और 33,813 करोड़ रुपये जुटाए गए जिससे विभिन्न क्षेत्रों में निवेशकों का उत्साह बढ़ा।
प्राइम डाटाबेस के प्रबंध निदेशक प्रणव हल्दिया ने कहा, जब भी मुख्य प्लेटफॉर्म पर गतिविधियां तेज होती हैं, एसएमई क्षेत्र भी उसी राह पर चलता है। दोनों ही तेजी से बढ़ते सेकंडरी बाजार से चलते हैं, जो नए निर्गमों के लिए निवेशकों की रुचि में इजाफा करता है। सूचीबद्धता के बाद मिलने वाला लाभ भी निवेशकों को आकर्षित करता है।
स्वतंत्र इक्विटी विश्लेषक अंबरीश बालिगा ने कहा, उपलब्ध नकदी के कारण मुख्य प्लेटफॉर्म के आईपीओ के मुकाबले मामूली बढ़त भी निवेशकों को आकर्षित करती है। हालांकि जोखिम भरे एसएमई आईपीओ के प्रति बढ़ती उत्सुकता ने प्रवेश मानदंडों को और सख्त बना दिया है।
न्यूनतम आवेदन राशि 1 लाख रुपये से दोगुनी होकर 2 लाख रुपये हो गई है। अप्रैल 2025 में एनएसई ने मुख्य प्लेटफॉर्म का रुख करने वाले एसएमई के लिए अपने पात्रता मानकों में संशोधन किया। अब कंपनियों को पिछले तीन वर्षों में से कम से कम दो वर्षों में परिचालन लाभ दिखाना होगा। नवीनतम वर्ष में 100 करोड़ रुपये से अधिक का राजस्व दर्ज करना होगा और आवेदन के समय प्रवर्तक की हिस्सेदारी 20 फीसदी से अधिक रखनी होगी।
बाजार पर नजर रखने वाले कुछ लोगों का मानना है कि बड़े आकार और सख्त मानकों से निवेशकों के जोखिम का आंशिक समाधान ही होता है। बालिगा ने तर्क दिया, 1 लाख रुपये से कम निवेश करने वाले छोटे निवेशक बाहर हो रहे हैं, ज्यादा संपन्न समूहों के बीच नकदी भरपूर बनी हुई है। हमें एसएमई क्षेत्र में सूचीबद्ध कंपनियों के लिए कड़े डिस्क्लोजर मानदंडों की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि कई प्रवर्तक सूचीबद्धता के बाद हितधारकों से संवाद बंद कर देते हैं और सिर्फ उतना ही करते हैं जितना नियमों के तहत जरूरी है।
उन्होंने कहा, जिस प्रकार एसएमई के लिए अनिवार्य मार्केट मेकर्स की आवश्यकता होती है, उसी प्रकार दोतरफा संचार के लिए भी नियामक के आदेश होने चाहिए, जैसे निवेशक कॉल और प्रेजेंटेशन जो साल में कम से कम दो बार शेयरधारकों, संभावित निवेशकों और शोध विश्लेषकों के लिए सुलभ हों।