वित्त वर्ष 2023 की तीसरी तिमाही के दौरान सीमेंट क्षेत्र में दिखी बेहतर प्राप्तियां और मात्रात्मक बिक्री में तेजी का रुझान आगे भी बरकार रह सकता है। इन्फ्रास्ट्रक्चर पर जोर दिए जाने के कारण मांग में तेजी और कीमतों में वृद्धि वित्त वर्ष 2024 में भी जारी रहने के आसार हैं।
तीसरी तिमाही के दौरान राजस्व में सालाना आधार पर 17 फीसदी की वृद्धि हुई है, लेकिन एबिटा 14 फीसदी घट गई और कर पश्चात मुनाफे (PAT) में 23 फीसदी का इजाफा हुआ।
खर्च, विशेष तौर पर बिजली और ईंधन लागत में सालाना आधार पर 30 फीसदी की वृद्धि हुई। ईंधन कीमतों में तेजी के मद्देनजर यह कोई अचरज की बात नहीं है। मगर तिमाही आधार पर रुझान कहीं बेहतर है क्योंकि ईंधन लागत में 6 फीसदी की कमी आई और प्रति टन एबिटा में इजाफा हुआ। अन्य कच्चे माल की लागत में भी तिमाही आधार पर 4 फीसदी और सालाना आधार पर 7 फीसदी की वृद्धि हुई।
फरवरी में अधिकतर सीमेंट कंपनियों ने दाम बढ़ाए जो एक अच्छा संकेत है। इससे मांग में तेजी का संकेत मिलता है जो अगले वित्त वर्ष में बरकरार रहनी चाहिए। घरेलू कोयला और पेट कोक की कीमतों में नरमी आने से ऊर्जा की लागत स्थिर रहनी चाहिए। इससे वित्त वर्ष 2023 की चौथी तिमाही में खर्च के मामले में क्रमिक आधार सुधार दिखना चाहिए।
सीमेंट कंपनियों ने फरवरी के दूसरे पखवाड़े में 10 से 15 रुपये प्रति बैग (50 किलोग्राम) के इजाफे की घोषणा की थी। वित्त मंत्रालय ने सीमेंट पर जीएसटी दरों को मौजूदा 28 फीसदी से घटाने की सिफारिश की है। यदि जीएसटी समिति सीमेंट पर कर दी दरें घटाने के लिए सहमत हो जाती है तो इससे प्राप्तियों में सुधार होगा बशर्ते सीमेंट उत्पादक इसका पूरा लाभ आगे न बढ़ा दें।
सीमेंट कंपनियों को भविष्य में मांग बेहतर रहने की उम्मीद है क्योंकि सभी प्रमुख कंपनिया विस्तार की योजना बना रही हैं। अल्ट्राटेक सीमेंट ने अपनी घरेलू क्षमता को वित्त वर्ष 2026 तक बढ़ाकर 15.4 करोड़ टन सालाना और वित्त वर्ष 2030 तक सालाना 20 करोड़ टन करने की योजना बनाई है।
श्री सीमेंट भी दिसंबर 2024 तक अपनी क्षमता में सालाना 95 लाख टन तक का इजाफा कर सकती है और उसका लक्ष्य 2030 सालाना 8 करोड़ टन क्षमता तक पहुंचना है।
डालमिया भारत की नजर वित्त वर्ष 2027 तक सालाना 7.5 करोड़ टन और वित्त वर्ष 2031 तक सालाना 11-13 करोड़ टन क्षमता तक पहुंचने पर है। लघु अवधि में उसकी योजना वित्त वर्ष 2024 तक सालाना 4.9 करोड़ टन क्षमता हासिल करने की है।
कुल मिलाकर, अगले दो से तीन वर्षों के दौरान क्षमता में 6 फीसदी वार्षिक चक्रवृद्धि दर के साथ विस्तार होने की संभावना है।