facebookmetapixel
अरावली पर सुप्रीम कोर्ट की रोक: पर्यावरण संरक्षण के नजरिये पर पुनर्विचार का मौकाबैंक रिकवरी पर सरकार का फोकस बढ़ा, वसूली में तेजी लाने के लिए तंत्र को किया जा रहा मजबूतरहने योग्य शहरों के लिए डिजाइन को नागरिक कौशल बनाना क्यों जरूरी है?बैंकिंग सेक्टर में बदलाव! RBI ने कहा: पांच वर्षों में पहली बार सरकारी बैंकों में कर्मचारियों की बढ़ी संख्याइलेक्ट्रिक मोबिलिटी को रफ्तार: 6000 ई-बसों की निविदा जल्द होगी जारी, PM ई-ड्राइव को मिलेगा बूस्टबड़े बदलावों और आर्थिक झटकों का साल: कैसे 2025 ने वैश्विक आर्थिक व्यवस्था की पुरानी नींव हिला दीपश्चिमी प्रतिबंधों की मार: रूस से कच्चे तेल का आयात तीन साल के निचले स्तर पर, सप्लाई में बड़ी गिरावटGold Outlook 2026: ऊंची कीमतों के बावजूद सोने की चमक बरकरार, 2026 में भी तेजी का समर्थन करेंगे फंडामेंटल्सरिटायरमेंट फंड से घर का सपना: NPS निकासी में मकान खरीदने या बनाने के लिए सबसे ज्यादा आवेदन दर्जबॉन्ड की बढ़त थमी, ब्याज दरों के खेल में कंपनियों की बैंकों की ओर दमदार वापसी

Stock Market : आखिरी तिमाही में लौटेंगे एफपीआई

Last Updated- April 02, 2023 | 11:01 PM IST
FPI Trend: Continuous selling by foreign investors stopped, buyers became buyers after two months, pumped Rs 15,446 crore into the market विदेशी निवेशकों की लगातार बिकवाली का दौर थमा, दो महीने बाद बने खरीदार, बाजार में झोंके 15,446 करोड़ रुपये

निर्मल बांग के मुख्य कार्याधिकारी (संस्थागत इक्विटीज) राहुल अरोड़ा ने पुनीत वाधवा को दिए साक्षात्कार में कहा कि वित्त विधेयक 2023 में संशोधन के सरकार के कदम ने 2022-23 के आखिर में असहजता पैदा की। लेकिन बाजारों ने इसे घटनाक्रम को समाहित कर लिया है और आगे बढ़ चले हैं। पेश हैं बातचीत के मुख्य अंश…

क्या बाजार आर्थिक हालात के लेकर ज्यादा निराशावादी है?

ब्याज दरों में बढ़ोतरी और महंगाई को लेकर निराशावादी होने की ज्यादा वजहें नहीं हैं। अमेरिकी फेडरल रिजर्व और भारतीय रिजर्व बैंक एक और बार 25-25 आधार अंकों का इजाफा कर सकते हैं। भारत में वित्त वर्ष 24 में महंगाई घटकर 5 फीसदी पर आने की उम्मीद है। पिछले 12-15 महीने में ब्याज दरों में इजाफे की जैसी रफ्तार रही है उसे देखते हुए लगता है कि अमेरिका में मंदी की संभावना ज्यादा है लेकिन यह अल्पकालिक रह सकता है। शेयर खरीद के लिए समय निश्चित करना हमेशा ही मुश्किल भरा रहा है, लेकिन हमें इससे पहले आय के अगले दौर का इंतजार करना चाहिए। तब हमें शायद कीमत मिल सकती है।

क्या वित्त विधेयक के प्रावधानों में बदलाव से निवेशकों का सेंटिमेंट बिगड़ा है?

बाजार के नजरिये से यह अपने आप में असहज महसूस कराने वाला था, लेकिन मुझे लगता है कि बाजार ने इसे समाहित किया और आगे बढ़ गया। मुझे नहीं लगता कि भारत में कराधान की नीतियों को लेकर मनोदशा पर असर डाला है। हम निश्चित तौर पर यह नहीं सोचते कि इसका इक्विटी बाजार में निवेश पर खास असर होगा। स्थिति अलग होती,अगर यह इक्विटी बाजारों के लिए लंबी अवधि के पूंजीगत लाभ कर लागू किया जाता।

क्या स्थानीय निवेश रुक जाएगा और विदेशी पोर्टफोलियो वापस लौटेंगे?

निवेश अब वित्त वर्ष 24 में सापेक्षिक बढ़त के मामले में उम्दा प्रदर्शन का पीछा करेगा और मुझे लगता है कि भारत इस आधार पर खरा उतरेगा। स्थानीय निवेश बना रहेगा। एसआईपी के आंकड़े अपेक्षाकृत सुस्त बाजार में मजबूत व उत्साहजनक रहे हैं। इक्विटी अभी भी निवेशकों की पसंदीदा नजर आ रही है, हालांकि कुछ लोग सोने जैसी परिसंपत्ति में आवंटन पर विचार कर रहे हैं। व्यापक स्तर पर हमें स्थानीय निवेश बने रहने की उम्मीद है। एफपीआई वित्त वर्ष 24 के आखिर में तेजी से लौट सकते हैं जब फेड का रुख बदलेगा और यहां तक कि वह दरें घटाने लगेगा। अगले छह से नौ महीने एफपीआई निवेश के लिहाज से चुनौतीपूर्ण हो सकते हैं।

अगर बाजारों में सुधार होता है तो कौन अग्रणी के तौर पर उभरेगा?

निश्चित तौर पर बैंकिंग, वित्तीय सेवा और बीमा क्षेत्र से अग्रणी उभरेगा क्योंकि इसका इंडेक्स में खासा भारांक है। सूचना प्रौद्योगिकी कैलेंडर वर्ष के आखिर में वापसी कर सकता है, हाांकि अगले छह से नौ महीने इस क्षेत्र के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकते हैं। अगर मॉनसून बेहतर रहता है और चुनाव के कारण सरकारी खर्च बेहतर रहता है तो उपभोक्ता क्षेत्र में भी दिलचस्पी लौट सकती है।

क्या भारत में कोविड व फ्लू के बढ़ते मामले बाजारों के लिए अहम नहीं हैं?

जब तक कि इनके आंकड़े इतने न हों जहां हम आवाजाही पर पाबंदी लगाना शुरू करें तब तक इनकी बाजारों के लिए बहुत अहमियत नहीं है। अभी ऐसा कोई सबूत नहीं है।

आप किन क्षेत्रों पर ओवरवेट या अंडरवेट हैं?

हम सीमेंट, सड़क निर्माण, दवा, वाणिज्यिक वाहन और गैस शेयरों पर ओवरवेट हैं जबकि चुनिंदा बैंकिंग, एग्रोकेमिकल और कंज्यूमर डिस्क्रिशनरी पर भी हमारा नजरिया ओवरवेट है। हमारा अहम अंडरवेट सूचना प्रौद्योगिकी है। कुछ स्पेशियलिटी केमिकल कंपनियों के नाम सामने आएंगे, जहां कीमतों में खासी कमी देखी गई है। कुछ क्विक सर्विस रेस्टोरेंट व हॉस्पिटैलिटी शेयरों में वित्त वर्ष 24 में खासी तेजी देखने को मिल सकती है।

क्या अगली तिमाहियों में कंपनियों की कम आय का असर दिखेगा?

हां। पिछले दशक में भी हर वित्त वर्ष की शुरुआत में बिकवाली की वजह जरूरत से ज्यादा आय के अनुमान रही है ताकि मूल्यांकन को सही ठहराया जा सके और जैसे-जैसे साल आगे बढ़ता है इन अनुमानों में लगातार संशोधन किया जाता है। यह साल भी अलग नहीं है। अभी लाभ में 18 फीसदी की बढ़त का अनुमान है। मुझे आश्चर्य होगा, अगर यह हासिल हो जाता है।

First Published - April 2, 2023 | 11:01 PM IST

संबंधित पोस्ट